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सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन/लिंग बोध-जेंड़र

विकिपुस्तक से

रूढ़िवादी धारणा जब हम विश्वास करते हैं कि इस विशेष धार्मिक आर्थिक क्षेत्रीय समूह के लोगों की कुछ निश्चित विशेषताएं होती हैं या वे केवल खास प्रकार का कार्य कर सकते हैं तब रोहित भावनाओं का जन्म होता है। बहुत से लोग मानते हैं कि महिलाएं अच्छी नर्स हो सकती हैं,क्योंकि वह अधिक सहनशील और विनम्र होती है।इसी प्रकार यह भी माना जाता है कि विज्ञान के लिए तकनीकी दिमाग की जरूरत होती है और लड़कियां और महिलाएं तकनीकी कार्य करने में सक्षम नहीं होती। 19वीं शताब्दी में लगभग 200 वर्ष पूर्व शिक्षा के बारे में कई नए विचारों ने जन्म लिया विद्यालय अधिक प्रकरण में आ गए और वे समाज जिन्होंने स्वयं कभी पढ़ना लिखना नहीं सीखा था अपने बच्चों को स्कूल भेजने लगे तब भी लड़कियों की शिक्षा को लेकर बहुत विरोध हुआ इसके बावजूद बहुत ही स्त्रियों और पुरुषों ने बालिकाओं के लिए स्कूल खोलने के प्रयत्न किए स्त्रियों ने पढ़ना लिखना सीखने के लिए संघर्ष किया।

रमा सुंदरी और आमार जीबोन

रमा सुंदरी(1800-1900)जो 200 वर्ष पूर्व पश्चिम बंगाल में पैदा हुई थी 60 वर्ष की अवस्था में उन्होंने बांग्ला भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी उनकी पुस्तक आमार जीबोन किसी भारतीय महिला द्वारा लिखित पहली आत्मकथा है। वह जमींदार परिवार की गृहिणी थी।उस समय लोगों का विश्वास था कि यदि लड़की लिखती-पढ़ती है,तो वह पति के लिए दुर्भाग्य लाती है और विधवा हो जाती है इसके बावजूद उन्होंने अपनी शादी के बहुत समय बाद स्वयं ही छुप छुप कर लिखना पढ़ना सीखा।

वे लिखती हैं "मैं अत्यंत सबेरे ही काम करना शुरू कर देती थी और उधर आधी रात हो जाने के बाद भी काम में लगी रहती थी बीच में भी विश्राम नहीं होता था उस समय मैं केवल 14 वर्ष की थी मेरे मन में एक अभिलाषा पनपने लगी। मैं पढ़ना सीखूँगी और एक धार्मिक पांडुलिपि पढ़ूँगी। मैं अभागी थी। उन दिनों स्त्रियों को नहीं पढ़ाया जाता था बाद में मैं स्वयं ही अपने विचारों का विरोध करने लगी।मुझे क्या हो गया है? स्त्रियाँ पढ़ती नहीं है,फिर मैं कैसे पढ़ूँगी?फिर मुझे एक सपना आया-मैं चैतन्य भागवत पढ़ रही थी।बाद में दिन के समय जब मैं रसोई में बैठी हुई भोजन बना रही थी मैंने अपने पति को सबसे बड़े बेटे से कहते हुए सुना-"बिपिन!मैंने अपनी चैतन्य भागवत यहां छोड़ी है।जब मैं इसे मँगाऊँ,तुम इसे अंदर ले आना। "वे पुस्तक वहीं छोड़ कर चले गए। जब पुस्तक अंदर रख दी गई, मैंने चुपके से उसका एक पन्ना निकाल लिया और सावधानी से उसे छुपा दिया।उसे छुपाना भी एक बड़ा काम था,क्योंकि किसी को भी वह मेरे हाथ में नहीं दिखना चाहिए था। मेरा सबसे बड़ा बेटा उस समय ताड़ के पत्तों पर लिख कर अक्षर बनाने का अभ्यास कर रहा था उसमें से भी मैंने एक छिपा दिया जब मौका मिलता, मैं जाती और उस पन्ने के अक्षरों का मिलान अपने याद किए गए अक्षरों से करती। मैंने उन शब्दों का भी मिलान करने की कोशिश की, जो मैं दिन भर में सुनती रहती थी और कोशिश से एक लंबे समय के बाद मैं पढ़ना सीख सकी।"[] राससुंदरी के अक्षर ज्ञान ने उन्हें चैतन्य भागवत पढ़ने का अवसर दिया।"

रुकैया सखावत हुसैन और लेडीलैंड का सपना

एक धनी जमींदार परिवार में जन्मी,उर्दू पढ़ना और लिखना आता था परंतु उन्हें बांग्ला और अंग्रेजी सीखने से रोका गया उस समय अंग्रेजी को ऐसी भाषा के रूप में देखा जाता था जो लड़कियों के सामने नए विचार रखती थी। जिन्हें लोग लड़कियों के लिए ठीक नहीं मानते थे इसलिए अंग्रेजी अधिकतर लड़कों को ही पढ़ाई जाती थी अपने बड़े भाई और बहन के सहयोग से बांग्ला और अंग्रेजी पढ़ना और लिखना सीखा। 1905 में जब वे केवल 25 वर्ष की थी अंग्रेजी भाषा के कौशल का अभ्यास करने के लिए उन्होंने एक कहानी सुल्ताना का सपना लिखा जिसमें सुल्ताना नामक एक स्त्री की कल्पना की गई जो लेडीलैंड नाम की एक जगह पहुंचती है लेडीलैंड ऐसा स्थान था जहां पर स्त्रियों को पढ़ने काम करने और अविष्कार करने की स्वतंत्रता थी। इस कहानी में महिलाएं बादलों से होने वाले वर्षा को रोकने के उपाय खोजती हैं और हवाई कारें चलाती है।लेडीलैंड में पुरुषों की बंदूकें और युद्ध के अन्य अस्त्र-शस्त्र स्त्रियों की बौद्धिक शक्ति से हरा दिए जाते हैं और पुरुष एक अलग अलग स्थान में भेज दिए जाते हैं,सुल्ताना लेडीलैंड में अपनी बहन साराह के साथ यात्रा पर जाती है,तभी उसकी आंख खुल जाती है और उसे पता चलता है कि वह तो सपने देख रही थी। 1910 में उन्होंने कोलकाता में लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला जो आज भी कार्यरत है।

जनगणना लड़कों और पुरुषों लड़कियों और महिलाएँ
1961 40 15
2001 76 54
2011 उदाहरण उदाहरण

2006 एक कानून बना जिससे घर के अंदर शारीरिक और मानसिक हिंसा को भोग रही औरतों को कानूनी सुरक्षा दी जा सके।महिला आंदोलन की अभियानों के कारण 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने कार्य के स्थान और शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं के साथ होने वाले यौन प्रताड़ना से उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए।

  1. पृ-60-61,कक्षा-7,सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-2,