सामान्य अध्ययन २०१९/संक्षिप्त सुर्खियाँ
जून
[सम्पादन]नेता प्रतिपक्ष
[सम्पादन]- 2019 के 17वीं लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को नेता प्रतिपक्ष पद की पात्रता हेतू आवश्यक न्यूनतम 10% सीटें प्राप्त नहीं हो सकी।
- यह एक सांविधिक पद है,जो संसद में विपक्ष नेता वेतन और भत्ता अधिनियम,1977 से शक्ति प्राप्त करता है।
- राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष विपक्ष में सबसे अधिक संख्या वाले दल के नेता को इसका दर्जा प्रदान किया जाता है।
- लोकसभा अध्यक्ष द्वारा 1956 में जारी किए गए निर्देशों का पालन,अध्यक्ष द्वारा इस दौरान किया जाना चाहिए।जिसके अनुसार सदन की बैठक आयोजित होन के लिए आवश्यक गणपूर्ति के 1/10वें भाग के बराबर सीटें नहीं होने पर लोकसभा अध्यक्ष,उक्त दल के सदस्य को इस पद हेतू मान्यता प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं है।
- इसे कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है।तथा उस पैनल का सदस्य होता है,जो प्रमुख संवैधानिक और सांविधिक पदों जैसे-CVC,CBI के निदेशक,लोकपाल के लिए उम्मीदवारों का चयन करता है।
- महत्व:-यह दो राजनीतिक दलों के बीच समझौता करते हैं जो आमतौर पर एक दूसरे की नीतियोों का विरोध करते हैं।साथ हीं निष्पक्षता की स्थिति उत्पन्न करता है।
- यह नीतिगत व विधायी कार्यों में विपक्ष की कार्यप्रणाली में सामंजस्य और प्रभावशीलता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निष्पादन भी करता है।
- 16वीं लोकसभा(2014) में मान्यता प्राप्त नेता प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति के कारण महत्वपूर्ण नियुक्तियों में विलम्ब हुआ।
जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन अन्य राज्यों से भिन्न
[सम्पादन]छ: माह के लिए विस्तारित करने का निर्णय लेकर इसके संबंध में लोकसभा में एक प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया। अन्य राज्यों में अनुच्छेद 356 के द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है;j&K में जम्मू और कश्मीर के संविधान की धारा 92 के द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाने से पूर्व ,राज्य में छ:माह की अवधि हेतु राज्यपाल शासन लागू किया जाता है। इस दौरान j&K की विधानसभा निलंबित अवस्था में बनी रहती है।हालांकि,राज्यपाल विधानसभा को भंग कर सकता है। राज्यपाल शासन के छ:माह की समाप्ति पर यदि विधानसभा के निलंबन को वापस नहीं लिया जाता है,तो यहाँ राष्ट्रपति शासन प्रभावी हो जाता है।(अनुच्छेद-356) राज्यपाल दोनों हीं मामलों में केंद्र के दिशानिर्देशों के प्रशासन का संचालन करता है। राज्यपाल शासन अथवा राष्ट्रपति शासन के दौरान यदि राज्यपाल विधानसभा को भंग करने का निर्णय करता है,तो चुनाव छ:माह की अवधि के भीतर करएं जाएंगे। ऐसा नहीं होने पर निर्वाचन आयोग को इसके कारणों से अवगत करवाना पड़ता है। यहाँ 20 जून 2018 से राष्ट्रपति शासन जारी है।इससे पूर्व 1996 में लागू किया गया।जब व्यापक आतंकवादी गतिविधियों के कारण राज्य में अशांति का वातावरण व्याप्त था।
नेशनल पीपुल्स पार्टी को राष्ट्रीय दल के रूप में घोषित
[सम्पादन]- इसको अरूणाचल प्रदेश,मणिपुर,मेघालय और नागालैंड़ में राज्यस्तरीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- यह देश का 8वाँ राष्ट्रीय राजनीतिक दल बन गया है।अन्य सात राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं:-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,भारतीय जनता पार्टी,बहुजन समाज पार्टी,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(मार्कसवादी),नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी तथा अॉल इंडिया तृणमूल कांग्रेस।
- निर्वाचन आयोग द्वारा किसी दल को राष्ट्रीय दल के रुप में मान्यता प्रदान की जाती हैं यदि वह निम्नलिखित अहर्ताओं में से कम से कम एक को पूरा करता है।
1.यदि उसे लोकसभा अथवा विधानसभा के आम चुनावों में चार या अधिक राज्यों में डाले गए कुल वैध मतों का 6% प्राप्त हुआ हो।तथा इसके अतिरिक्त उस दल ने किसी भी राज्य या राज्यों से लोकसभा की कम से कम चार सीटें प्राप्त की हों;अथवा 2.यदि उसने आम चुनाव में लोकसभा की 2% सीटों पर विजय प्राप्त की हो;और ये सदस्य तीन विभिन्न राज्यों से निर्वाचित हुए हों;अथवा 3.यदि किसी दल को कम से कम चार राज्यों में राज्यस्तरीय दल के रुप में मान्यता प्राप्त हो।
एशिया में सहभागिता और विश्वास निर्माण उपायों (CICA)पर शिखर सम्मेलन
[सम्पादन]- इसके 5वें शिखर सम्मेलन का आयोजन तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में संपन्न।
- यह सम्मेलन प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित किया जाता हैं।
- एशिया में शांति,सुरक्षा और स्थरता हेतु सहयोग को बढा़वा देने के लिए यह एक बहु-राष्ट्रीय मंच है।
- इसका गठन कजाकिस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव के प्रस्ताव पर किया गया था।
- यह संप्रभु,समानता,सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने तथा आर्थिक,सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग के सिद्धांतों के आधार पर निर्धारित नीति का अनुसरण करता है।
- इसका सदस्य बनने के लिए किसी राष्ट्र के क्षेत्र का कम से कम एक भाग एशिया में स्थित होना चाहिए।
- संयुक्त राष्ट्र को इसमें पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपने 62वें सत्र में UNO को पर्यवेक्षक का दर्जा प्रदान किया गया।
- भारत इसका संस्थापक सदस्य है।
काउंसिल ऑफ यूरोप
[सम्पादन]- हाल में इसके पार्लियामेंट्री असेंबली ने रूस के मतदान अधिकारों को पुनर्बहाल करने के पक्ष में मतदान किया है।रूस द्वारा क्रीमिया प्रायद्वीप के अवैध अधिग्रहण के कारण,इसके मतदान अधिकार के वापस लिए जाने के पांच वर्ष पश्चात ऐसा किया गया।
- यह यूरोप महाद्वीप में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के साथ-साथ मानवाधिकारों का संरक्षण तथा विधि के शासन को बनाए रखने हेतु स्थापित अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- 1949के ट्रीटी ऑफ़ लंदन द्वारा स्थापित।वर्तमान में इसके 47 सदस्य राष्ट्रों में28 यूरोपीय संघ के हैं
- यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स इस काउंसिल का एक भाग है।तथा इसे वर्ष 1953 में यूरोपीय कन्वेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स को प्रवर्तित करने हेतु प्रभारित किया गया।
- परिषद के सभी सदस्य राष्ट्रों के विदेश मंत्री तथा सदस्य विधि-निर्माताों की एक संसदीय सभा सम्मिलित हैं।
वित्तीय कार्यवाई कार्य बल (FATF)
[सम्पादन]- साऊदी अरब इसकी सदस्यता प्राप्त करनेवाला प्रथम अरब राष्ट्र बना।
- 1989 में स्थापित एक अंतर-सरकारी निकाय है,जिसका उद्येश्य धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग)एवं आतंकी वित्तपोषण को रोकने तथा अंतर्राष्ट्रीय वित्तयीय प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने से संबंधित अन्य खतरों से निपटने के लिए कार्रवाई करना है।
- इसका सचिवालय पेरिस में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन(OECD) के मुख्यालय में स्थित है।
- सदस्यता:-FATF में भारत तथा दो क्षेत्रीय संगठन,यथा-यूरोपीय आयोग और फारस की खाड़ी सहयोग परिषद सहित 39 सदस्य शामिल हैं।
- इसने पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने में विफल रहने पर,उसे आतंकी वित्तपोषण की निगरानी सूची अथवा ग्रे सूची में सूचीबद्ध किया है।
कर सूचना विनिमय समझौता(TIEA)
[सम्पादन]भारत ने मार्शल द्वीपसमूह के साथ अधिसूचित किया है। यह समझौता कर उद्देश्यों हेतु दो देशों के मध्य बैंकिंग और स्वामित्व जानकारी के साथ-साथ सूचना के आदान-प्रदान को सक्षम बनाता है।