सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा सहायिका/राष्ट्रीय उद्दान

विकिपुस्तक से

एशियाई जल भैंस का वैज्ञानिक नाम बुबलस अर्नि (Bubalus Arnee) है। यह अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की रेडलिस्ट में यह संकटग्रस्त (Endangered) प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध है। यह वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची -1 के तहत सूचीबद्ध है। यह CITES परिशिष्ट- III में शामिल है तथा कानूनी रूप से भूटान, भारत, नेपाल और थाईलैंड में संरक्षित है।

  • संकटपूर्ण वन्यजीव पर्यावास’ (Critical Wildlife Habitat) को वन अधिकार अधिनियम, 2006 में राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के ऐसे क्षेत्रों के रूप में परिभाषित किया गया है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित और अधिसूचित किये जाने के लिये वन्यजीव संरक्षण के उद्देश्य हेतु अक्षत (Inviolate) रूप में रखा जाना आवश्यक है।

बैगा समुदाय (बड़े पैमाने पर मध्य प्रदेश में) भारत में 75 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) में से एक है, जो वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत पर्यावास अधिकार प्राप्त करने के लिये पात्र हैं। विकास और संरक्षण हेतु वनों एवं वनभूमि के डायवर्सन पर राज्य के बढ़ते नियंत्रण ने इन वन समुदायों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश सरकार ने बैगाओं के निवास स्थान के अधिकारों को मान्यता दी और यह जनजाति भारत में पहला समुदाय बन गया जिसे पर्यावास के अधिकार प्राप्त हुए। PVTGs के पर्यावास अधिकारों को राज्यों में ज़िला स्तरीय समिति द्वारा मान्यता प्राप्त है। जनजातीय कार्य मंत्रालय PVTGs के संदर्भ में पर्यावास अधिकारों की परिभाषा के दायरे और सीमा को स्पष्ट करता है।

  • काप्पाफाइकस अल्वारेज़ी (Kappaphycus Alvarezii) एक आक्रामक समुद्री शैवाल है, जो प्रवाल भित्तियों को धीरे-धीरे खत्म करती है। इसका प्रसार मन्नार की खाड़ी में वलई द्वीप (Valai Island) तक हो चुका है और यह समुद्री राष्ट्रीय उद्यान के एक वृहद् प्रवाल क्षेत्र को दुष्प्रभावित कर सकती है।
  • प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (Conservation of Migratory Species- CMS),जिसे बॉन सम्मेलन भी कहा जाता है, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तत्त्वावधान में एक पर्यावरणीय संधि है जो प्रवासी जानवरों और उनके आवास का संरक्षण और सतत् उपयोग सुनिश्चित करने हेतु एक वैश्विक मंच प्रदान करती है।

फरवरी 2020 में गुजरात के गांधी नगर में आयोजित CMS की 13वीं कॉप की मेजबानी भारत द्वारा की गई।

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority- NTCA) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है, जिसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 द्वारा पर्यवेक्षण और समन्वय संबंधी कार्य सौंपे गए है।

NTCA की स्थापना दिसंबर 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिश के बाद की गई थी, जिसे प्रोजेक्ट टाइगर और भारत में कई टाइगर रिज़र्व्स के पुनर्गठन हेतु भारत के प्रधानमंत्री द्वारा स्थापित किया गया था। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा NTCA की अध्यक्षता की जाती है, न कि का प्रधानमंत्री द्वारा TRAFFIC, विश्व वन्यजीव कोष (WWF) और अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) का एक संयुक्त कार्यक्रम है। TRAFFIC का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वन्य पौधों और पशुओं का व्यापार प्रकृति के संरक्षण के लिये खतरा न हो। TRAFFIC संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी अभिसमय (CITES) के सचिवालय के साथ मिलकर काम करता है।

  • जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere Reserve) प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे क्षेत्र है जिनमें स्थलीय, समुद्री और तटीय पारितंत्र शामिल होते हैं। प्रत्येक आरक्षित क्षेत्र सतत् उपयोग के साथ ही जैव-विविधता संरक्षण हेतु समाधानों को बढ़ावा देता है।

ये रिज़र्व केंद्र सरकारों द्वारा नामित किये जाते हैं और उन राज्यों के संप्रभु क्षेत्राधिकार में होते हैं, जिस राज्य में वे स्थित होते हैं। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है: कोर क्षेत्र, बफर क्षेत्र और संक्रमण क्षेत्र। बफर क्षेत्र/ज़ोन कोर क्षेत्र के चारों ओर का क्षेत्र होता है तथा इसका उपयोग ऐसी गतिविधियों के लिये किया जाता है जो सुरक्षित एवं मज़बूत पारिस्थितिक प्रथाओं के अनुरूप हों। संक्रमण क्षेत्र आरक्षित क्षेत्र का वह हिस्सा है जहाँ आर्थिक एवं मानव विकास संबंधी ऐसी गतिविधियों की अनुमति होती है जो सामाजिक-सांस्कृतिक तथा पारिस्थितिक रूप से संधारणीय हों।

  • शाहीन फाल्कन(सुभेद्य (Vulnerable) श्रेणी) को इंडियन पेरेग्रिनस फाल्कन (Falco Peregrinus Peregrinator) के नाम से भी जाना जाता है।

अंटार्कटिका को छोड़कर शेष सभी महाद्वीपों में पाया जाता है।

  • एकीकृत बाघ आवास संरक्षण कार्यक्रम (ITHCP) इसे वर्ष 2014 में शुरू किया गया। एकीकृत बाघ आवास संरक्षण कार्यक्रम (ITHCP) एक रणनीतिक वित्तपोषण तंत्र (Strategic Funding Mechanism) है जिसका उद्देश्य एशिया में बाघों को जंगलों में संरक्षित करना और उनके प्राकृतिक आवासों को बचाना है।

यह छह देशों (बांग्लादेश, भूटान, भारत, इंडोनेशिया, नेपाल और म्याँमार) में 12 परियोजनाओं को सहायता प्रदान कर रहा है जिससे बाघ संरक्षण परिदृश्य का बेहतर प्रबंधन किया जा सके। यह ग्लोबल टाइगर रिकवरी प्रोग्राम (GTRP) में योगदान दे रहा है जो कि वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का वैश्विक प्रयास है

  • हायसिंथ (आइकोर्निया केसिपीज) जल पादप हैं। जो विश्व के सबसे अधिक समस्या उत्पन्न करने वाले जलीय खरपतवार हैं इसे बंगाल का आतंक कहा जाता है। ये पादप सुपोषी जलाशयों में काफी वृद्धि करते हैं तथा पारितंत्र गति को असंतुलित कर देते हैं।
  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) भारतीय उपमहाद्वीप का स्थानिक है। पाकिस्तान में इसका शिकार किये जाने और अनिश्चित संरक्षण प्रयासों के कारण, इस प्रजाति के अस्तित्व के लिये भारत आखिरी उम्मीद है।

यह रेगिस्तान, छोटे घास के मैदानों और अर्द्ध शुष्क परिदृश्य में रहता है। यह भारत में केवल 6 भारतीय राज्यों-राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश तक ही सीमित है। भारत में केवल 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड बचे हैं, जिनमें से लगभग 90% राजस्थान और गुजरात में पाए जाते हैं। यह राजस्थान का राजकीय पक्षी है। IUCN की रेड लिस्ट में इसे ‘गंभीर संकटग्रस्त (CR) की श्रेणी में रखा गया है। पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय अपनी केंद्र प्रायोजित योजना ‘वन्यजीव आवास का एकीकृत विकास’ के माध्यम से गंभीर रूप से संकटग्रस्त 21 प्रजातियों के संरक्षण के लिये ‘लुप्तप्राय प्रजाति संवर्द्धन कार्यक्रम’ के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को धन प्रदान करता है। GIB के प्रजनन (Breeding ) और हैचिंग (Hatching) के लिये 2 केंद्र हैं- जैसलमेर और कोटा। हाल के एक निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने MoEFCC को अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के साथ-साथ ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की रिकवरी के लिये तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है। भारत सरकार ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के आवासों को संरक्षण रिज़र्व घोषित करने का निर्णय लिया है और विद्युत् कंपनियों को हाई वोल्टेज वाली लाइनों को ज़मीन के नीचे रखने पर विचार करने के लिये कहा है क्योंकि कई पक्षियों की मौत इन लाइनों के संपर्क में आने से हुई है।

  • पैंगोलिन स्तनधारी जीव हैं। ये एकमात्र स्तनधारी हैं जो पूरी तरह से शल्क (scales) से ढके होते हैं ये इन शल्कों का उपयोग जंगल में स्वयं को शिकारियों से बचाने के लिये करते हैं।

इन्हें दो महाद्वीपों- एशिया और अफ्रीका में वितरित किया गया है और IUCN की सूची में सुभेद्य से घोर-संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। ओडिशा स्थित नंदनकानन प्राणी उद्यान में पेंगोलिन संरक्षण प्रजनन केंद्र है, जिसे भारत के केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo authority) के वित्तीय समर्थन से वर्ष 2008 में स्थापित किया गया था।

बंगाल स्लो लोरिस’ भारत की उत्तर-पूर्वी सीमा और बांग्लादेश, म्याँमार, थाईलैंड, चीन, वियतनाम तथा कंबोडिया में भी पाया जाता है। यह रात्रिचर, वृक्षवासी और सर्वाहारी है। इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I में रखा गया है। इसे IUCN की लाल सूची में सुभेद्य (Vulnerable) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह CITES के परिशिष्ट में भी सूचीबद्ध है।

  • रक्ताभ-ग्रीवा युक्त हॉर्नबिल को भारत के CITES की परिशिष्ट-I और II में तथा IUCN के ‘सुभेद्य’ श्रेणी में सूचीबद्ध सूचीबद्ध है।

भारत में यह उत्तरी पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर और मिज़ोरम राज्यों में पाई जाती हैं।यह भारत, चीन, थाईलैंड तथा भूटान में कई संरक्षित क्षेत्रों में भी पाई जाती है।

  • कृष्ण मृग/काले हिरण (Blackbuck) को IUCN की लाल सूची के अंतर्गत संकटमुक्त/कम चिंतनीय(Least Concerned) प्रजातियों की श्रेणी में रखा गया है।

यह आंध्रप्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब का राजकीय पशु है।

  • गोल्डन लंगूर भारत में केवल पश्चिमी असम के एक छोटे से क्षेत्र और भूटान के काले पहाड़ की तलहटी में पाया जाता है।

इसको वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के परिशिष्ट 1 तथा IUCN की लाल सूची में संकटग्रस्त प्रजातियों की ’लुप्तप्राय ' श्रेणी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।


राष्ट्रीय उद्दान तथा वन्यजीव अभयारण्य[सम्पादन]

प्र. निम्नलिखित में से कौन-सा राष्ट्रीय उद्यान पूरी तरह से समशीतोष्ण अल्पाइन क्षेत्र में स्थित है? (2019)

(a) मानसराष्ट्रीय उद्यान
(b) नामदफा राष्ट्रीय उद्यान
(c) नेओरा वैली राष्ट्रीय उद्यान
(d) फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान[उत्तर]

प्र. अगस्त्यमला बायोस्फीयर रिज़र्व में निम्नलिखित में से कौन स्थित हैं? (2019)

नेय्यर, पीपारा और शेंदुरनी वन्यजीव अभयारण्य; और कालाकाद मुंडनथुराई टाइगर रिज़र्व

प्र. पारिस्थितिक दृष्टिकोण से, निम्नलिखित में से कौन पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट के बीच एक संपर्क होने में निम्नलिखित में से किसका महत्त्व अधिक है? (2017):- सत्यमंगलम टाइगर रिज़र्व

प्र. निम्नलिखित राष्ट्रीय उद्यानों में से किस एक की जलवायु है जो उष्णकटिबंधीय से उपोष्ण,शीतोष्ण और आर्कटिक तक परिवर्तित होती है? (2015):- नामदफा राष्ट्रीय उद्यान
  • सिक्किम में स्थित कंचनजंगा बायोस्फीयर रिज़र्व एक राष्ट्रीय उद्यान भी है।

यूनेस्को ने अपने 30वें सत्र में विश्व नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व में शामिल करने के लिये कंचनजंगा बायोस्फीयर रिज़र्व को नामित किया था, यह सत्र इंडोनेशिया के पालेम्बैंग में 23-27 जुलाई, 2018 को आयोजित किया गया था। इस सूची में शामिल अन्य भारतीय जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों में नीलगिरी, मन्नार की खाड़ी, सुंदरबन, नंदादेवी, नोकरेक, पंचमढ़ी, सिमलीपाल, अंचनकमार-अमरकंटक, ग्रेट निकोबार और अगस्त्यमाला हैं। उल्लेखनीय है कि कंचनजंगा बायोस्फीयर रिज़र्व भारत का 11वाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नामित डब्लूएनबीआर होगा। भारत में कुल 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र हैं, जिनमें से 11 को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डब्ल्यूएनबीआर हेतु नामित किया गया है

माउंट टेंचेंखांग कंचनजंगा(6010 मी.) राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है। पश्चिमी सिक्किम में स्थित यह पर्वत प्राकृतिक सुंदरता,जैव-विविधता,झीलों तथा बर्फ से ढके पहाड़ों के लिये जाना जाता है।

इसे जुलाई 2016 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया था, जो भारत का पहला और एकमात्र ‘मिश्रित धरोहर’ स्थल है।

  • बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान से गुजरने वाले NH-766 के वन क्षेत्र में रात्रि के समय यात्रा पर वर्ष 2009 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। पेंच टाइगर रिज़र्व (मध्य प्रदेश) के बाद भारत में इस स्थान पर बाघों की सबसे अधिक आबादी पाई जाती है।
  • दाम्पा टाइगर रिज़र्व:-मिज़ोरम,वर्ष 1994 में टाइगर रिज़र्व का दर्जा प्राप्त। यहाँ के उष्णकटिबंधीय वनों में प्रचुर मात्रा में वनस्पति एवं प्राणी जैव-विविधता पाई जाती है।
  1. गुमटी वन्य जीव अभयारण्यः-त्रिपुरा राज्य के दक्षिणी त्रिपुरा ज़िले में विस्तारित है। यहाँ के प्राकृतिक वातावरण में कोई विशेष छेड़छाड़ नहीं हुई है तथा यह कई घरेलू एवं प्रवासी पक्षियों का निवास स्थल है।
  2. सारामती शिखर:- नगालैंड राज्य में म्याँमार की सीमा से संलग्न भाग में स्थित 3826 मीटर ऊँचाईवाला है। नगालैंड की सबसे ऊँची पर्वत चोटी है।
  • महाराष्ट्र सरकार ने चंद्रपुर ज़िले में घोड़ाज़री को एक नए वन्यजीव अभयारण्य के रूप में मंज़ूरी दी है। नए अभयारण्य में ब्रह्मपुरी वन का लगभग 159 वर्ग किमी. क्षेत्र शामिल हैं। यह क्षेत्र 10 से 15 बाघों और 23 तेंदुओं का आवास है।

यह वन्यजीव अभयारण्य ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व के उत्तर-पूर्व में स्थित है और यह इस क्षेत्र में ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व से उमरेड-करहांदला वन्यजीव अभयारण्य या उमरेड से ताडोबा आवागमन करने वाले वन्यजीवों के लिये भी महत्त्वपूर्ण गलियारा है। ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व महाराष्ट्र राज्य के चंद्रपुर ज़िले में स्थित है। इसे महाराष्ट्र के सबसे पुराने और सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है।

  • मकालू-बरूण राष्ट्रीय उद्यान नेपाल में स्थित 580 वर्ग मील क्षेत्र में विस्तृत उद्यान है। इसमें उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों से लेकर 8000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित अल्पाइन टुंड्रा तक के प्राचीन पारिस्थितिकी तंत्र पाए जाते हैं।

यह उद्यान पूर्वी नेपाल में अवस्थित है जहाँ इसके पश्चिम में सागरमाथा राष्ट्रीय उद्यान और पूर्व में अरुण नदी की स्थित है। यह विश्व का एकमात्र संरक्षित क्षेत्र है जो 8,000 मीटर (26,000 फीट) से अधिक की ऊँचाई पर अवस्थित है। इस उद्यान में दुनिया की पाँचवीं सबसे ऊँची पर्वत चोटी, मकालू (8463 मीटर) और लगभग निर्जन बरुण घाटी स्थित है।

  • रातापानी बाघ अभयारण्य मध्य प्रदेश के भोपाल-रायसेन वन प्रभाग में 890 वर्गघोषित किमी. में फैला हुआ है।

रायसेन,सीहोर और भोपाल ज़िलों का लगभग 3,500 वर्ग किमी. का क्षेत्र इसी अभयारण्य के लिये आरक्षित किया गया है। इसके साथ ही 1,500 वर्ग किमी. को कोर क्षेत्र के रूप में, जबकि 2,000 वर्ग किमी. को बफर जोन (Buffer Zone) के रूप में नामित किया जाएगा। बांधवगढ़ बाघ अभ्यारण्य मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत का भी सबसे बड़ा बाघ अभ्यारण्य है।

  • कॉर्बेट नेशनल पार्क वर्ष 1936 में स्थापित भारत का पहला राष्ट्रीय पार्क है। पार्क से अपवाहित होने वाली प्रमुख नदियाँ रामगंगा,सोनानदी,मंडल और पलायन हैं।

स्थापना के समय इसका नाम हैली नेशनल पार्क (Hailey National Park) था, जिसे वर्ष 1957 में बदलकर कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया था

  • नेय्यार वन्यजीव अभयारण्य-केरल राज्य के तिरुवंतपुरम जिले पश्चिमी घाट के दक्षिण-पूर्वी भाग में में स्थित है। यह अगस्त्यमलाई पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। यहाँ पर बाघ,तेंदुआ,स्लॉथ भालू, हाथी, सांभर,भौंकने वाले हिरण (Barking Deer) ,बोनट मकाक (Bonnet Macaque), नीलगिरि लंगूर और नीलगिरि तहर सहित स्तनधारियों की 39 प्रजातियांँ मिलती हैं। इस अभयारण्य में स्तनधारियों के अतिरिक्त पक्षियों की 176, सरीसृप की 30, उभयचर की 17 और मछलियों की 40 प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
यह अभयारण्य नेय्यार और उसकी सहायक नदियों मुलयार तथा कल्लर के बेसिन क्षेत्र में स्थित है।
  • स्ट्रोमेटोलाइट पार्क राजस्थान में चित्तौड़गढ़ ज़िले के भोजुंडा नामक स्थान पर स्थित है। यह पृथ्वी पर प्रारंभिक जीवन के साक्ष्यों को संरक्षित करने वाला स्थल है। नील-हरित शैवालों द्वारा निर्मित ये संरचनाएँ हैं,जो अपने फिलामेंट्स के माध्यम से कार्बोनेट कणों को आकर्षित करती हैं तथा उन कणों को आपस में जोड़ती हैं जिससे एक मैट का निर्माण होता है।

ये कार्बोनेट चट्टानों में पाई जाने वाली परतदार, स्तंभाकार एवं गाँठदार संरचनाएँ हैं, जो जीवन की गतिविधियों एवं तलछट प्रग्रहण तथा शैवालों के संयोजन एवं नष्ट हो रहे बैक्टीरिया के आपस में जुड़ने की क्षमता के परिणामस्वरूप बनती हैं।

बाघों के लिये निगरानी प्रणाली - गहन संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिति (Monitoring System for Tigers’ Intensive Protection and Ecological Status-M-STrIPES), राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2010 में शुरू की गई एक सॉफ्टवेयर निगरानी प्रणाली है, जिससे बाघों को वास्तविक समय में ट्रैक किया जा सके और इस तरह उनके अवैध शिकार को रोका जा सके।

प्रोजेक्ट टाइगर भारत सरकार की एक केन्द्र प्रायोजित योजना है जिसे 1 अप्रैल, 1973 को नामित टाइगर रिज़र्व में जंगली बाघों के इन-सीटू संरक्षण (in-situ conservation) के लिये लॉन्च किया गया था। योजना का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक, सुरुचिपूर्ण, सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय मूल्यों के लिये बाघों का संरक्षण सुनिश्चित करना और लोगों के लाभ, शिक्षा और आनंद हेतु प्राकृतिक विरासत के रूप में जैविक महत्त्व के क्षेत्रों को संरक्षित करना है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) एक वैधानिक निकाय (statutory body) है जो प्रोजेक्ट टाइगर को तकनीकी मार्गदर्शन और वित्तपोषण प्रदान करता है।

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राष्ट्रीय उद्दान संबंधित राज्य शीर्ष पाठ
बुक्सा टाइगर रिज़र्व पश्चिम बंगाल,डोलोमाइट खनन से गंभीर रूप से क्षति पहुँचने की आशंका उदाहरण
सत्कोसिया (Satkosia) टाइगर रिज़र्व ओड़िशा में महानदी के तट के किनारे,दो जैव-भौगोलिक क्षेत्रों का संगम बिंदु है;डक्कन प्रायद्वीप और पूर्वी घाट उदाहरण
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश की विंध्य पहाड़ियों में रॉयल बंगाल टाइगर्स
  • अबोहर वन्यजीव अभयारण्य (AWS) पंजाब के फाजिल्का ज़िले में स्थित है, जो कई गाँवों की निजी भूमि में विस्तृत एक खुला अभयारण्य है।
  • कृष्णमृग/काला हिरण को वर्ष 1989 में पंजाब के राज्य पशु के रूप में अधिसूचित किया गया था राज्य में इनकी उपस्थिति कृषि क्षेत्रों, परती भूमि, अर्द्ध-परती बंजर भूमि, विस्तृत रेत के टीलों आदि से युक्त अर्द्ध-शुष्क मैदानों में आवास की उपलब्धता के कारण AWS तक ही सीमित है।

IUCN रेड लिस्ट में कृष्णमृग 'कम चिंतनीय' (Least Concern) वाली प्रजातियों की सूची में शामिल है, लेकिन यह पिछले कुछ वर्षों से आवारा कुत्तों, काँटेदार तार और भूमि उपयोग में परिवर्तन, फसल चक्र में बदलाव की वजह से आवास विखंडन जैसे कारणों से संकट का सामना कर रहा है।

  • 'हाथियों की हत्या की निगरानी' (MIKE) कार्यक्रम

इसका उद्देश्य हाथियों की आबादी की निगरानी करने, अवैध हत्या के स्तर में बदलाव का पता लगाने की क्षमता को बेहतर बनाने हेतु राज्यों की मदद करना है।

  • प्रोग्राम ‘माइक’ पूरी तरह से दानकर्त्ताओं के सहयोग पर निर्भर है। यूरोपीय संघ ‘माइक’ कार्यक्रम का सबसे महत्त्वपूर्ण दाता रहा है। जापान, यूनाइटेड किंगडम एवं चीन की सरकारों और यूएस फिश एंड वाइल्डलाइफ सर्विस द्वारा भी वित्त प्रदान किया गया है।

नीलगिरी जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र

  • भारत में स्थापित 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों (BSRs) में भारत का पहला जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र है जिसे सितंबर 1986 में स्थापित किया गया था। इसमें वायनाड, नागरहोल, बांदीपुर,मुकुर्ती राष्ट्रीय उद्यान और मदुमलाई के अभयारण्य परिसर, नीलांबुर के पूरे वनाच्छादित पहाड़ी ढलान, ऊपरी नीलगिरी पठार, साइलेंट वैली और सिरुवानी पहाड़ियाँ शामिल हैं।
  • NBR में कई प्राकृतिक वनस्पतियाँ- शुष्क झाड़ियों, शुष्क और नम पर्णपाती वनों, अर्द्ध-सदाबहार एवं आर्द्र सदाबहार वनों, घास के मैदान और दलदल के साथ पाई जाती हैं।
  • यहाँ दो संकटग्रस्त (Endangered) जानवरों की प्रजातियों नीलगिरि ताहर और शेर जैसी पूँछ वाले मकॉक बंदर की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है।
  • इसकी ऊँचाई 250 मीटर से 2,650 मीटर तक है। पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले लगभग 80 प्रतिशत फूलदार पौधे इसी क्षेत्र में हैं।

मानस राष्ट्रीय उद्यान (MNP)

  • असम में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान, प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व, एलिफेंट रिज़र्व और एक बायोस्फीयर रिज़र्व।
  • यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल,यह असम में भारत-भूटान सीमा पर 850 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • यह कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों जिनमें बाघ,रायनो,स्वैम्प मृग और विभिन्न प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं,आदि का आवास स्थल है।
  • हिमालय की तलहटी में स्थित,यह भूटान के रॉयल मानस नेशनल पार्क के साथ जुड़ा हुआ है।
  • मानस राष्ट्रीय उद्यान की उत्तरी दिशा में भूटान है,जिसमें 1,000 वर्ग किमी० तक इस वन का विस्तार है।
  • मानस नदी, जो उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है, का बेसिन भूटान का सबसे बड़ा नदी बेसिन है। भूटान में यह 272 किमी. तक बहती है और असम में ब्रह्मपुत्र नदी में मिलने तक 104 किमी. तक प्रवाहित होती है और अंततः बंगाल की खाड़ी में गिरती है।