सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल
Central Industrial Security Force- CISF
CISF (Central Industrial Security Force) एक केंद्रीय सशस्त्र बल है जिसे ‘केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल अधिनियम, 1968’ के तहत गठित किया गया था।
यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आता है।
CISF पूरे भारत में स्थित औद्योगिक इकाइयों, सरकारी अवसंरचना परियोजनाओं और सुविधाओं तथा प्रतिष्ठानों को सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, खदानों, तेल क्षेत्रों और रिफाइनरियों, मेट्रो रेल, प्रमुख बंदरगाहों आदि जैसे औद्योगिक क्षेत्रों की सुरक्षा का ज़िम्मा CISF ही उठाता है।
भारत में अन्य केंद्रीय सशस्त्र बलों में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (Central Reserve Police Force-CRPF), सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force-BSF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police-ITBP), सशस्त्र सीमा बल (Sashastra Seema Bal-SSB) शामिल हैं।
सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका
[सम्पादन]1 जनवरी 2020 हाल ही में 7 नौसैनिकों के हनीट्रैप में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस आईएस को संवेदनशील सूचनाएं करते हुए पकड़े जाने के बाद, भारतीय नौसेना ने अपने अफसरों और सैनिकों के फेसबुक के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है नौसेना के अड्डे(बेस) डॉकयार्ड और ऑन बोर्ड युद्धपोत पर स्मार्टफोन ले जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। मैसेजिंग एप,नेटवर्किंग एवं ब्लॉगिंग सामग्री साझा करने होस्टिंग ई-कॉमर्स साइटों का इस्तेमाल पाबंदी के दायरे में है। 20 दिसंबर को आंध्र प्रदेश पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने जासूसी रैकेट को उजागर किया था।
तटीय और समुद्री सुरक्षा हेतु किये गए उपाय
तटीय और समुद्री सुरक्षा के लिये भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक और राज्य समुद्री पुलिस के रूप में त्रि-स्तरीय ढाँचा स्थापित किया गया है जो सीमा शुल्क और पोर्ट ट्रस्ट जैसी अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर समुद्री मार्गों के माध्यम से घुसपैठ पर नियंत्रण और रोक के लिये भारत के समुद्री क्षेत्रों, द्वीपों और निकटवर्ती समुद्रों की गश्त करती है। यह त्रि-स्तरीय व्यवस्था तटीय सुरक्षा योजना के अंतर्गत कार्य करती है। इस योजना के तहत तटीय सुरक्षा संबंधी अवसंरचना जैसे-तटीय पुलिस स्टेशनों, नावों, जलयानों आदि के विकास और प्रबंधन पर ध्यान दिया जा रहा है। स्वचालित पहचान प्रणाली (AIS), लॉन्ग रेंज आइडेंटिफिकेशन और ट्रैकिंग (LRIT), संचार प्रणालियों, डे-नाईट कैमरा से युक्त तटीय निगरानी नेटवर्क (Coastal Surveillance Network-CSN) के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक निगरानी तंत्र को संवर्द्धित किया गया है। बंदरगाहों में जलयान यातायात प्रबंधन प्रणाली (Vessel Traffic Management System-VTMS) रडार भी बंदरगाह क्षेत्रों में निगरानी की सुविधा प्रदान करते हैं। इसके अलावा तटीय सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय के लिये राज्यवार मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOPs) तैयार की गई हैं। मौजूदा तंत्रों की प्रभावशीलता का आकलन करने और अंतराल को दूर करने के लिये तटीय सुरक्षा अभ्यास नियमित रूप से आयोजित किये जा रहे हैं। द्विवार्षिक अभ्यास ‘सागर कवच’ (Sagar Kavach) इसका प्रमुख उदाहरण है जिसे भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक बल और तटीय पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है। तटीय सुरक्षा के लिये संस्थागत प्रावधान
भारतीय नेवी के 20 और तटरक्षक बल के 31 निगरानी स्टेशनों को जोड़ने के लिये नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन्स एंड इंटेलिजेंस (NC3I) नेटवर्क की स्थापना की गई है जिससे 7500 किमी. लंबी समुद्री सीमा पर समुद्री क्षेत्र जागरूकता (MDA) के विकास में सहायता मिल रही हैं। गुड़गाँव में भारतीय नेवी, तटरक्षक बल और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की संयुक्त पहल के रूप में सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (IMAC) स्थापित किया गया है जो NC3I के नोडल केंद्र का कार्य करता है। समुद्री और तटीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिये राष्ट्रीय समिति (National Committee for Strengthening Maritime and Coastal Security-NCSMCS) एक राष्ट्रीय स्तर का मंच और समुद्री तथा तटीय सुरक्षा के लिये एक सर्वोच्च समीक्षा तंत्र है, जिसमें सभी संबंधित मंत्रालयों और सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले NCSMCS की आखिरी बैठक 20 अक्तूबर 2017 को हुई थी।