सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/आधारिक संरचना:ऊर्जा,बंदरगाह,सडंक,विमानपत्तन,रेलवे

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ऊर्जा[सम्पादन]

  • नई जलविद्युत नीति के तहत सरकार ने बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को 'अक्षय ऊर्जा स्टेटस' (Renewable Energy Status) प्रदान करने की मंज़ूरी दी है।

इससे पहले 25 मेगावाट (MW) क्षमता से कम की केवल छोटी परियोजनाओं को ही अक्षय ऊर्जा के रूप में वर्गीकृत किया गया था। बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को ऊर्जा के एक अलग स्रोत के रूप में माना जाता था। भारत का लक्ष्य 2022 तक 175 GW ऊर्जा अक्षय प्राप्त करना है।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency-BEE)[सम्पादन]

  • एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड(EESL),NTPC Limited, PFC, REC और POWERGRID जैसे चार राष्ट्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का एक संयुक्त उद्यम है। इसे विद्युत मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया है।
  • EESL का उद्देश्य कुशल और परिवर्तनकारी समाधानों हेतु बाज़ार तक पहुँच बनाना है जो प्रत्येक हितधारक के लिये लाभदायक स्थिति पैदा करता है।
  • EESL ने UJALA योजना के तहत 29 करोड़ से अधिक LED बल्ब वितरित किये हैं और आत्मनिर्भर वाणिज्यिक मॉडल के माध्यम से भारत भर में 50 लाख LED स्ट्रीटलाइटों को रेट्रोफिट किया है।[१]
  • ऊर्जा संरक्षण अधिनियम,2001 के प्रावधान के तहत 1 मार्च,2002 को स्थापित ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency-BEE)एक सांविधिक निकाय है।
  • यह ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत सौंपे गए कार्यों को पूरा करने, मौजूदा संसाधनों और बुनियादी ढाँचे की पहचान और उपयोग के लिये उपभोक्ताओं, एजेंसियों तथा अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है।

BEE स्टार रेटिंग स्टैंडर्ड्स एंड लेबलिंग प्रोग्राम, 2006 के अनुसार प्रदान की जाने वाली रेटिंग है। यह भारत में बिजली उपकरणों को उनकी दक्षता के आधार पर प्रदान की जाती है।

  • गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (Gujarat International Finance Tec-City-IFSC), घरेलू अर्थव्यवस्था के अधिकार क्षेत्र से बाहर के निवेशकों को अपने क्षेत्र के अंतर्गत लाता है। जैसे- केंद्र सरकार अपनी सीमाओं के बाहर वित्त, वित्तीय उत्पादों एवं सेवाओं के विस्तार से संबंधित है।
  • निर्यात को बढ़ावा देने हेतु निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (Export Processing Zone-EPZ) मॉडल की प्रभावशीलता को महत्त्व देने वाला भारत एशिया का पहला था, जिसने वर्ष 1965 में कांडला में एशिया का पहला EPZ स्थापित किया गया था।
  • SEZs (Special Economic Zone) नियंत्रण और भुगतान की बहुलता से संबंधित मुद्दों का समाधान करते हैं, विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा प्रदान करते हैं तथा एक स्थिर राजकोषीय शासन प्रणाली प्रदान करते हैं।

बंदरगाह[सम्पादन]

सीमा पार व्यापार को सरल बनाने और लॉजिस्टिक्स चेन को अधिक कुशल बनाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुद्री यातायात की सुविधा (Convention on Facilitation of International Maritime Traffic- FAL) पर IMO के 2019 के सम्मेलन के तहत नया नियम लाया गया है।

FAL कन्वेंशन[सम्पादन]

यह डेटा के लिये एक ‘सिंगल विंडो’ के उपयोग को प्रोत्साहित करता है जिससे सार्वजनिक अधिकारियों के लिये आवश्यक सभी जानकारी जैसे- जहाज़ों, व्यक्तियों और कार्गो के आगमन, रहने और प्रस्थान संबंधी आदि जानकारी को एक एकल पोर्टल के माध्यम से बिना दोहराव के प्रस्तुत किया जा सके। इसमें नियमों को सरल बनाने, जहाज़ों के आगमन, रहने और प्रस्थान को लेकर दस्तावेज़ी औपचारिकताओं और प्रक्रियाओं को शामिल किया गया है। इस अनुबंध पर 121 सरकारों ने हस्ताक्षर किये हैं। IMO ने IMO जनरल डिक्लेरेशन, कार्गो डिक्लेरेशन, शिप्स स्टोर्स डिक्लेरेशन, क्रू इफेक्ट्स डिक्लेरेशन, क्रू लिस्ट, पैसेंजर लिस्ट और डेंजरस गुड्स जैसे डॉक्यूमेंट्स के लिये मानकीकृत फॉर्म जारी किये हैं। इसके अलावा पाँच अन्य दस्तावेज़ों की जरूरत है जिनमें शामिल हैं- सुरक्षा पर दस्तावेज़, जहाज़ों से निकलने वाला कचरा, सीमा शुल्क जोखिम के मूल्यांकन के लिये इलेक्ट्रॉनिक कार्गो की अग्रिम जानकारी पर दस्तावेज़ एवं दो यूनिवर्सल पोस्टल कन्वेंशन (Universal Postal Convention) और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियम के तहत दस्तावेज़। इलेक्ट्रॉनिक डेटा विनिमय के तहत सभी राष्ट्रों में अब इलेक्ट्रॉनिक डेटा के विनिमय के लिये प्रावधान होना चाहिये।


भारत ने दिसंबर, 2018 में बंदरगाहों पर एक पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम- PCS1x शुरू किया। ‘PCS1x’ एक क्लाउड आधारित तकनीक है जिसे मुंबई स्थित लॉजिस्टिक्स समूह जे.एम. बक्सी ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है। PCS1x इंजन, वर्कफ़्लो, मोबाइल एप्लीकेशन, ट्रैक और ट्रेस, बेहतर उपयोगकर्त्ता इंटरफ़ेस, सुरक्षा सुविधाओं आदि की सूचना प्रदान करता है और समावेशन को बेहतर बनाता है। PCS1x की एक अनूठी विशेषता यह है कि यह थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर को जोड़ सकता है जो समुद्री उद्योग के लिये सेवाएँ प्रदान करता है। इससे हितधारकों को सेवाओं के व्यापक नेटवर्क तक पहुँचने में मदद मिलती है। यह भुगतान की सुविधा भी प्रदान करता है जिससे बैंक द्वारा भुगतान प्रणाली पर निर्भरता कम होती है। PCS1x एक डेटाबेस प्रदान करता है जो सभी लेन-देन के लिये एकल डेटा बिंदु के रूप में कार्य करता है। ऐसा अनुमान है कि यह सुविधा लेन-देन में लगने वाले के समय को दो दिन तक कम कर देगी। इससे भारत में समुद्री व्यापार में बड़ा बदलाव आएगा और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business- EDB) एवं लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (Logistics Performance Index - LPI) रैंक में सुधार होगा।

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterways Authority of India-IWAI)[सम्पादन]

  • भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग अधिनियम, 1985 के तहत जहाज़रानी मंत्रालय के अधीन स्थापित एक सांविधिक निकाय।
  • इसका मुख्यालय नोएडा, उत्तर प्रदेश में है।
  • यह प्राधिकरण देश के अंतर्देशीय जलमार्गों की विशाल अप्रयुक्त क्षमता के अधिकतम उपयोग के लिये एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
  • इसको नौवहन और नौका परिवहन तथा इससे संबंधित मामलों के लिये अंतर्देशीय जलमार्गों के विकास और विनियमन का काम सौंपा गया है।
  • इसे बीओटी परियोजनाओं में संयुक्त उद्यम एवं इक्विटी भागीदारी के लिये भी प्राधिकृत किया गया है।
  • यह नदी के विविधतापूर्ण जीव-जंतुओं और जलीय जैव विविधता के संरक्षण के लिये ‘प्रकृति से समन्वय’ के सिद्धांत का अनुसरण करता है।
  • इसके द्वारा एक नया पोर्टल ‘न्यूनतम उपलब्ध गहराई सूचना प्रणाली’ (LADIS) लॉन्च किया है।
  • LADIS यह सुनिश्चित करेगा कि न्यूनतम उपलब्ध गहराइयों के बारे में वास्तविक आँकड़ों को जहाज़/नौका और मालवाहक जहाज़ों के मालिकों को प्रसारित किया जाए, ताकि वे राष्‍ट्रीय जलमार्गों पर अधिक नियोजित तरीके से परिवहन परिचालन कर सकें।
  • IWAI ने LADIS को राष्ट्रीय जलमार्ग (National Waterways) पर चलने वाले अंतर्देशीय जहाज़ों के प्रतिदिन के संचालन को सुगम बनाने तथा सेवा और संचालन में किसी भी प्रकार की बाधा से बचने के लिये डिज़ाइन किया है।
  • यह राष्ट्रीय जलमार्गों पर निर्बाध परिचालन के लिये सूचना के आदान-प्रदान की विश्वसनीयता और दक्षता को बढ़ाएगा, इसके अलावा, जहाज़ों की आवाज़ाही के दौरान पैदा होने वाली समस्याओं के बारे में भी पूर्वानुमान व्‍यक्‍त करेगा।

विमानपत्तन[सम्पादन]

  • 2018-19 के बजट में घोषित NABH निर्माण का उद्देश्य हवाई अड्डे की क्षमता को पाँच गुना से अधिक बढ़ाना है ताकि हवाई अड्डे एक वर्ष में एक अरब यात्राएँ कराने में सक्षम हो सकें। यह नागर विमानन मंत्रालय की एक पहल है।

साइकिल उद्योग क्षेत्र के विकास के लिये एक विकास परिषद

  • केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (Department for Prmotion of Industry and Internal Trade- DPIIT)द्वारा इसकी स्थापना को मंज़ूरी दी गई है।16 nov

इससे हल्की,सुरक्षित,तेज़,मूल्यवर्द्धित और स्मार्ट साइकिलों के निर्माण की योजना बनाने हतू गठित।

  • इसका उद्देश्य ऐसी साइकिलों का निर्माण करना है जो निर्यात और घरेलू स्तर पर प्रयोग के लिये वैश्विक मानकों के अनुरूप हों।

इस 23 सदस्यीय विकास परिषद की अध्यक्षता DPIIT के सचिव द्वारा की जाएगी।

  • इस विकास परिषद की कार्यावधि 2 वर्ष की होगी।
  • DPIIT के प्रकाश अभियांत्रिकी प्रभाग (Light Engineering Industry Division) के संयुक्त सचिव इस विकास परिषद के सदस्य सचिव होंगे।
  • इस विकास परिषद में विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों से संबंधित 9 पदेन सदस्य (Ex-officio Members) होंगे।
  • इस विकास परिषद में सात डोमेन (Domain) विशेषज्ञ तथा चार नामांकित सदस्य होंगे।

इसके निम्नलिखित गतिविधियों के माध्यम से ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम तथा साइकिल उद्योग को बढ़ावा देगी- विकास परिषद के माध्यम से साइकिल निर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्ध्दा तथा सेवाओं के स्तर में सुधार करना। भारतीय साइकिल प्रौद्योगिकी तथा इसकी मूल्य श्रृंखला में बदलाव लाना। विभिन्न हितधारकों को समन्वित रूप से निरंतर प्रोत्साहन देते हुए समग्र पर्यावरण प्रणाली के विकास को सुनिश्चित करना। साइकिल की मांग बढ़ाने के लिये हरसंभव प्रयास करना तथा साइकिल उद्योग क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के विकास और इसके उचित संचालन को सुनिश्चित करना। विभिन्न योजनाओं और व्यापार अनुकूल नीतियों के माध्यम से साइकिल उद्योग क्षेत्र में निर्यात प्रतिस्पर्ध्दा बढ़ाना। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा विभिन्न अभियान चलाकर क्रमशः स्वास्थ्य,वायु प्रदूषण से मुक्ति, ऊर्जा बचत, विसंकुचन से लाभ संबंधी जानकारी देकर लोगों को साइकिल के अविश्वसनीय लाभों की जानकारी देना। अभिनव योजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को नए रूप में विकसित करना। साइकिल निर्माण और मरम्मत की दुकानों के लिये कुशल मानव संसाधन का विकास करना। भारत में साइकिल के निर्माण, पुनर्चक्रण और बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफल प्रयोगों और उदाहरणों की पहचान और अध्ययन करना।

रेलवे[सम्पादन]

रेलवे पुनर्गठन संबंधी विभिन्न समितियाँ

  1. प्रकाश टंडन समिति (1994)पहली समिति थी, जिसने रेलवे के प्रदर्शन का सूक्ष्म विश्लेषण किया और इस संदर्भ में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। समिति की सिफारिशों में आधुनिक वित्तीय सूचना प्रणाली, ग्राहक केंद्रित व्यापारिक दृष्टिकोण, निवेश प्रणाली में सुधार, मानव संसाधन विकास और संगठनात्मक पुनर्गठन जैसे मुद्दों को कवर किया गया था।
  2. सैम पित्रोदा समिति (2012) द्वारा भारतीय रेल के आधुनिकीकरण पर सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में ट्रैक और पुल, सिग्नलिंग, रोलिंग स्टॉक, ट्रेनों कि गति, स्वदेशी विकास, सुरक्षा, वित्त पोषण और मानव संसाधन जैसे 15 मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुशंसा की थी।
  3. बिबेक देबरॉय समिति (2015)

रेल मंत्रालय और रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन और भारतीय रेलवे कि विभिन्न परियोजनाओं के लिये संसाधन जुटाने हेतु एक खाका तैयार करने के उद्देश्य से बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। बिबेक देबरॉय समिति की प्रमुख सिफारिशों में तत्कालीन ग्रुप ‘ए’ की सभी सेवाओं को दो भागों- 1) तकनीकी (2) गैर-तकनीकी में विभाजित करना भी शामिल था।

  1. प्रोजेक्ट उत्कृष्ट: इसके तहत कोच के भीतरी तथा बाहरी हिस्से,शौचालय,लाइटिंग और यात्री सुविधाओं में सुधार किया जाएगा।
  2. प्रोजेक्ट रफ्तार: इसके तहत यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों की औसत गति बढ़ाने के उपाय किये जा रहे हैं।
  3. ‘समन्वय' पोर्टल (www.railsamanvay.co.in) राज्य सरकारों के साथ ऐसे लंबित मुद्दों की ऑनलाइन रिपोर्टिंग के लिये विकसित किया गया है, जो विभिन्न रेलवे एजेंसियों द्वारा चलाई जा रही अवसंरचना विकास परियोजनाओं से संबंधित है।

संदर्भ[सम्पादन]

  1. https://www.eeslindia.org/content/raj/eesl/en/About-Us/about-eesl/About-EESL.html