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सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/गरीबी और भूख से संबंधित विषय

विकिपुस्तक से

निर्धनता

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  • दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM), ग्रामीण विकास मंत्रालय की इस योजना का उद्देश्य गरीबों हेतु सतत् सामुदायिक संस्था‍नों की स्‍थापना करना

तथा इसके माध्यम से ग्रामीण गरीबी समाप्त करना और आजीविका के विविध स्रोतों को प्रोत्‍साहन देना है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर का सृजन करने के लिए स्वयं सहायता समूह का भी गठन किया जाता है। केंद्र द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम को राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में लागू किया गया है।


  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2019 (Multidimensional Poverty Index- MPI) के अनुसार, भारत ने वर्ष 2006 से वर्ष 2016 के बीच 271 मिलियन(27.9%) लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
भारत ने ‘संपत्ति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता और पोषण’ जैसे मापदंडों में मज़बूत सुधार किया है।
101 देशों पर किये गए इस अध्ययन में पाया गया है कि :

31 देश निम्न आय वाले देश हैं, 68 देश मध्यम आय वाले देश हैं, और 2 देश उच्च आय वाले देश हैं

विश्व स्तर पर कुल 1.3 बिलियन(23.1%) लोग ‘बहुआयामी गरीब’ हैं और उनमे से एक तिहाई लोग (करीब 886 मिलियन) लोग माध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। इसके अतिरिक्त शेष बचे लोग निम्न आय वाले देशों में रहते हैं।
  • रिपोर्ट में गरीबी में कमी को दर्शाने के लिये ऐसे दस देशों की पहचान की गई है जिनकी आबादी करीब 2 बिलियन है और उन सभी 10 देशों ने सतत् विकास लक्ष्य 1 (गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति) की प्राप्ति में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
भारत सहित उन दस देशों में बांग्लादेश, कंबोडिया, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, इथियोपिया, हैती, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पेरू और वियतनाम भी शामिल थे।
भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश ने भी 2004 से 2014 के बीच लगभग 19 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
वर्ष 2005-06 के भारत का MPI 0.283 था वहीं वर्ष 2015-16 के बीच यह घटकर 0.123 हो गया है।

वर्ष 2005-06 में लगभग 640 मिलियन लोग ‘बहुआयामी गरीबी’ में रहते थे, जबकि वर्ष 2015-16 में यह आँकड़ा 369 मिलियन(36.9करोड) हो गया।

भारत का झारखंड राज्य ‘बहुआयामी गरीबी’ को सबसे तेज़ी से हटाने वाला राज्य है, झारखंड में 2005-06 में यह 74.9 प्रतिशत थी जबकि वर्ष 2015-16 में सिर्फ 46.5 ही रह गई।
भारत उन 3 देशों में शामिल है,जहां ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में कमी, शहरी क्षेत्रों में गरीबी में कमी को पीछे छोड़ दिया है।
गरीबी को मापने हेतु 10 मानक बनाए गए थे जिसमें संपत्ति,खाना पकाने का ईंधन,स्वच्छता और पोषण जैसे पैमाने भी शामिल किए गए थे।
भारत सरकार के संदर्भ में सरकार की स्वच्छता अभियान,पोषण अभियान और उज्जवला ने अहम भूमिका निभाई है।
भारत के 4 राज्यों बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक बहुआयामी गरीबी है।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक

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  • UNDP ने सर्वप्रथम वर्ष 1997 में मानव विकास रिपोर्ट में मानव निर्धनता सूचकांक प्रस्तुत किया था।
  • वर्ष 2010 में ऑक्सफोर्ड निर्धनता एवं मानव विकास पहल(OPHI)द्वारा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के सहयोग से विकसित।
  • यह पारंपरिक आय आधारित मापदंड के स्थान पर निर्धन व्यक्ति के जीवन वंचना पर ध्यान केंद्रित करता है।यह तीन वर्गों में 10 प्रत्ययों(इंडिकेटर)पर आधारित है।

आयाम-सूचक

  1. स्वास्थ्य-बाल मृत्यु दर& पोषण
  2. शिक्षा-स्कूलिंग वर्ष,स्कूल में उपस्थिति
  3. जीवन स्तर-भोजन पकाने का इंधन, स्वच्छता(शौचालय),पेयजल,विद्युत,आवासीय फर्श, परिसंपत्ति

भूख से संबंधित विषय

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7 जून, 2019 को पहली बार विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस (World Food Safety Day) मनाया गया।संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 2018 में खाद्य और कृषि संगठन के सहयोग से इसे अपनाया गया था। 2019 के विश्‍व खाद्य सुरक्षा दिवस की थीम 'खाद्य सुरक्षा सभी का सरोकार' (Food Safety, Everyone’s Business) है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी दो एजेंसियों- खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) को दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये नामित किया है


वाशिंगटन डीसी स्थित अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट (Global Food Policy Report-GFPR),2019के अनुसार भूख और कुपोषण, गरीबी, सीमित आर्थिक अवसर तथा पर्यावरण क्षरण के कारण दुनिया के कई हिस्सों में ग्रामीण क्षेत्र संकट की स्थिति से गुज़र रहे हैं जो सतत् विकास लक्ष्यों, वैश्विक जलवायु लक्ष्यों और बेहतर खाद्य तथा पोषण सुरक्षा की प्रगति की दिशा में बाधक है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की कुल आबादी में 45.3 प्रतिशत ग्रामीण आबादी है और दुनिया की कम-से-कम 70 प्रतिशत आबादी अत्यंत गरीब है। सबसे कमज़ोर और हाशिये पर होने के अलावा ग्रामीण आबादी तीव्र जनसंख्या वृद्धि दर, अपर्याप्त रोजगार और उद्यम निर्माण, खराब बुनियादी ढाँचा तथा अपर्याप्त वित्तीय सेवाओं के कारण पीड़ित है। इसके अलावा ग्रामीण समुदाय जलवायु परिवर्तन प्रभावों का खामियाजा भी भुगत रहे हैं, जो 2019 के लिये ग्रामीण पुनरुद्धार (Rural Revitalisation) को एक महत्त्वपूर्ण विषय बनाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, नव-प्रवर्तनशील और समग्र पुनरुद्धार के बिना नए अवसरों का लाभ उठाने और बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिये 2030 तक सभी के लिये खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना मुश्किल होगा, शायद असंभव भी। ग्रामीण पुनरुत्थान केवल एक दशक में ही भूख और कुपोषण को समाप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।