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सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/महापुरुषों के विचार

विकिपुस्तक से

“लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है।”- नेल्सन मंडेला

जब पंचायत राज स्थापित हो जाएगा, तब लोकमत ऐसे भी अनेक काम कर दिखाएगा जो हिंसा कभी नहीं कर सकती। - महात्मा गांधी

गांधी जी के शब्दों में-

“सच्चा लोकतंत्र केंद्र में बैठकर राज्य चलाने वाला नहीं होता, अपितु यह तो गाँव के प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से चलता है।” गांधी जी का विचार था कि “हमारे अधिकारों का सही स्रोत हमारे कर्तव्य होते हैं और यदि हम अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वाह करेंगे तो हमें अधिकार मांगने की आवश्यकता नहीं होगी।”


यदि आज़ादी और समानता, जैसा कि कुछ लोग समझतें हैं, मुख्यत: प्रजातंत्र में पाई जानी है तो वह तभी प्राप्त की जा सकती है, यदि लोग समान रूप से सरकार में अधिकतम हिस्सा लें।’’

अरस्तू (Aristotle)

कैटलिन के शब्दों में “नागरिकता किसी व्यक्ति की वह वैधानिक स्थिति है जिसके कारण वह राजनीतिक रूप से संगठित समाज की सदस्यता प्राप्त कर विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक अधिकार प्राप्त करता है।”