सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय

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ग्रामीण विकास में ‘पुरा’ की अवधारणा

गाँवों के विकास के लिये पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ.अब्दुल कलाम ने ‘पुरा’(providing urban amenities of rural areas) का विचार प्रस्तुत किया जिसके तहत 4 प्रकार की ग्रामीण-शहरी कनेक्टिविटी की बात की गई थी- फिजिकल, इलेक्ट्रॉनिक, नॉलेज तथा इकोनॉमिक कनेक्टिविटी। पुरा का लक्ष्य सभी को आय और आजीविका के अवसरों की गुणवत्ता प्रदान करना था। इसके द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से प्रति यूनिट 130 करोड़ रुपये की लागत से 7,000 PURA परिसरों की कल्पना की गई थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन

‘पुरा’ के अंतर्गत विनिर्धारित सफलता न प्राप्त कर पाने और गाँव-शहर के बीच अंतर पाटने की आवश्यकता के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा बजट 2014-2015 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन का प्रस्ताव रखा गया। सितंबर 2015 को ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक, आर्थिक और बुनियादी ढाँचे के विकास को प्राथमिकता प्रदान करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस मिशन को मंजूरी प्रदान की। इसके तहत, अगले तीन वर्षों में 300 क्लस्टर्स विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। ये क्लस्टर्स भौगोलिक रूप से नजदीक कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर बनाए जाएंगे। इन क्लस्टर्स के चयन के लिये ग्रामीण विकास मंत्रालय एक वैज्ञानिक प्रक्रिया तैयार करेगा, जिसके तहत जिला, उप-जिला एवं गाँव के स्तर तक विभिन्न पहलुओं, जैसे- जनसंख्या, आर्थिक संभावनाओं, क्षमताओं, पर्यटन इत्यादि का विश्लेषण किया जाएगा।

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1983 में विश्व की पर्यावरण समस्याओं के अध्ययन के लिये ब्रंटलैंड आयोग का गठन किया। इस आयोग ने एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें ‘धारणीय विकास’ की परिभाषा के बड़े व्यापक रूप से उद्धरण दिये गए। धारणीय विकास की अवधारणा पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन (UNCED) ने बल दिया, जिसने इसे इस प्रकार परिभाषित किया- ‘ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति क्षमता का समझौता किये बिना पूरा करें’।

वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी चुनौती (Global Housing Technology Challenge-GHTC) भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, द्वारा शुरू की गई एक पहल है। इसका उद्देश्य दुनिया भर की प्रमाणित तथा प्रदर्शन योग्य प्रौद्योगिकियों की समेकित पहचान और मूल्यांकन करना तथा और धीरे-धीरे उन्हें भारतीय निर्माण क्षेत्र (जो टिकाऊ एवं हरित होने के साथ ही आपदा प्रतिरोधी हैं) की मुख्यधारा में शामिल करना है ।

नई दिल्ली में विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन- 2019 (World Sustainable Development Summit- 2019) का आयोजन[सम्पादन]
  • TERI का एक प्रमुख वार्षिक सम्मेलन है।
  • अपनी 17 वर्षों की अवधि में यह सम्मेलन एक ही मंच पर वैश्विक नेताओं और विभिन्न शोधकर्त्ताओं के एकत्रित होने और व्यापक महत्त्व वाले जलवायु संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का एक प्रमुख केंद्र बन गया है।
  • WSDS ने दिल्ली सतत् विकास शिखर सम्मेलन (Delhi Sustainable Development Summit-DSDS) की विरासत को जारी रखा है जिसकी शुरुआत वर्ष 2001 में 'सतत् विकास' को विश्व स्तर पर साझा लक्ष्य बनाने के उद्देश्य से की गई थी।
  • भारत के अग्रणी विचार मंच ऊर्जा और संसाधन संस्थान (The Energy and Resources Institute-TERI) के सहयोग द्वारा किया जा रहा है।
  • इस वर्ष TERI ने फिजी में सतत् विकास के लिये फिजी के प्रधानमंत्री, फ्रैंक बैनीमारामा (Frank Bainimarama) को सतत् विकास नेतृत्व पुरस्कार 2019 (Sustainable Development Leadership Award 2019) से सम्मानित किया है।
  • इस शिखर सम्मेलन की थीम है- “Attaining the 2030 Agenda: delivering on our promise.”
  • WSDS 2019 जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के सामने आने वाली कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना करने के लिये एक्शन फ्रेमवर्क बनाने की मांग करता है। इस एक्शन फ्रेमवर्क में स्वच्छ महासागर, परिवहन और गतिशीलता, टिकाऊ कृषि, जलवायु वित्त और ऊर्जा संक्रमण शामिल हैं।
  • इसका मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को पूरा करने के मार्ग में आने वाली प्रणालीगत चुनौतियों, यथा- विकास हेतु वित्तपोषण, नवीकरणीय ऊर्जा, स्थायी मूल्य श्रृंखला और अन्य दूरगामी चुनौतियों का तेज़ी से समाधान करना है।

विश्व भर के नीति निर्माताओं शोधकर्त्ताओं, विचारकों, राजनयिकों और कंपनियों सहित 2000 से अधिक प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग ले र

  • ऊर्जा और संसाधन संस्थान (TERI) अनुसंधान, नीति, परामर्श और कार्यान्वयन क्षमताओं से युक्त एक स्वतंत्र, बहुआयामी संगठन है।
  • पिछले चार दशकों में TERI ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और स्थिरता के क्षेत्र में एक प्रमुख विचार मंच और अनुसंधान संस्थान के रूप में उभरकर सामने आया है।
  • 1974 में स्थापित इस संस्थान को पूर्व में टाटा ऊर्जा अनुसंधान संस्थान के नाम से जाना जाता था।
  • टेरी, एक प्रमुख भारतीय गैर-सरकारी गैर सरकारी संगठन, ऊर्जा और पर्यावरण की शैलियों में अनुसंधान और विश्लेषण का आयोजन करने के लिए एक वैश्विक संस्था है
  • उत्तराखंड में पलायन रोकने के लिए पलायन आयोग का गठन किया गया है।इसके अलावा उत्तराखंड की आर्थिकी चार धाम यात्रा के लिए नई व्यवस्था बनाई जा रही है। अब देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड बनाया जा रहा है और बद्रीनाथ केदारनाथ गंगोत्री एवं यमुनोत्री समेत प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन की जिम्मेदारी बोर्ड संभालेगा।