सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम

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  • शहरी सहकारी बैंकों की अनियमितताएँ:

वर्ष 2014 में बनी ‘आर. गाँधी समिति’ (R. Gandhi Committee) द्वारा जारी रिपोर्ट में पाया गया कि जहाँ छोटे, गैर-अनुसूचित UCBs 10 लाख से कम के ऋण वितरण पर विशेष ध्यान दे रहे थे, वहीं बड़े और अनुसूचित UCBs अपने मुख्य उद्देश्य से हटते हुए व्यावसायिक बैंकों की तरह बड़े व्यापारिक ऋण वितरण में अधिक सक्रिय थे। जबकि इस दौरान ऐसे बैंकों ने सहकारी बैंकों के लिये निर्धारित कई प्रकार की छूट का लाभ भी प्राप्त किया। सहकारी बैंकों में अनियमितता की बढती घटनाओं को देखते हुए RBI हाल के वर्षों में नए UCBs को लाइसेंस जारी करने से बचता रहा है।

  • राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों को व्यापार इलेक्ट्रॉनिक प्राप्य छूट प्रणाली (Trade Electronic Receivable Discounting System-TReDS) मंच पर लाने और इसे जीएसटी नेटवर्क के साथ लिंक करने की घोषणा की गई है।

TReDS एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म है जिसे MSMEs को देरी से होने वाले भुगतान की समस्या को हल करने के लिये शुरूं किया गया है।

राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता कार्यक्रम वर्ष 2007-08 में आरंभ किया गया। भारतीय सूक्ष्म,लघु व मध्यम उद्यमों में वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के विकास के लिये सरकार का नोडल कार्यक्रम है।

इसका उद्देश्य विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों के तकनीकी उन्नयन द्वारा क्षेत्र की सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला में वृद्धि करना है। इसके लिये आवंटन वर्ष 2017-18 के 506 करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 में 1006 करोड़ रुपए कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY) और ग्रामीण रोज़गार सृजन कार्यक्रम को मिलाकर बनाया गया है। इसका उद्घाटन 15 अगस्त, 2008 को किया गया था।

भारत सरकार द्वारा उक्त योजना के क्रियान्वयन हेतु राष्ट्रीय स्तर पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग(KVIC ) को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। राज्य स्तर पर यह योजना राज्य KVIC निदेशालय,राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड(KVIBs),ज़िला उद्योग केंद्रों और बैंकों के माध्यम से लागू की जाती है।

साख गांरटी कोष:- सरकार ने उन सूक्ष्म और लघु उद्यमों को राहत प्रदान करने के लिये एक ऋण गारंटी निधि की स्थापना की है जो अपने उद्यमों के विकास के लिये ऋण प्राप्त करने हेतु ज़मानत (Collateral Security Pledge) देने में असमर्थ रहते हैं।

साख गांरटी कोष को पहले ही 2500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7500 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इस वृद्धि के साथ-साथ संबंधित योजना में अन्य ढाँचागत सुधारों की बदौलत इस सेक्टर में ऋण वृद्धि और रोज़गार सृजन को काफी बढ़ावा मिलेगा।

स्फूर्ति,2005 में शुरू (Scheme of Fund for Regeneration of Traditional Industries -SFURTI)

परंपरागत उद्योगों के पुनरुद्धार के लिये कोष योजना(SFURTI)उद्योगों को अत्यधिक उत्पादक एवं प्रतिस्पर्द्धी बनाने तथा ग्रामीण और अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर बढ़ाने के विचार से खादी,ग्रामोद्योग और कॉयर क्षेत्रों में पहचाने गए क्लस्टरों संबंधी परंपरागत उद्योगों के पुनर्सृजन के लिये की गई थी। इस स्कीम का उद्देश्य खादी,ग्राम एवं कॉयर क्षेत्रों में परंपरागत उद्योगों के एकीकृत क्लस्टर आधारित विकास के पुनर्सृजन हेतु सतत् और प्रतिकृति मॉडल स्थापित करना है। स्फूर्ति के लिये बजटीय आवंटन को वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान के 10 करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में 125 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इससे परंपरागत एवं ग्रामीण उद्योगों में रोज़गार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

एस्पायर योजना (Aspire),2015 में

रोज़गार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा 2015 में ‘नवाचार,कृषि-उद्योग और उद्यमिता के संवर्द्धन के लिये योजना’ (A Scheme for promotion of Innovation, Entrepreneurship and Agro-Industry) शुरू की गई थी। इस योजना के लिये आवंटन को वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान के 50 करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में 232 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य 100 आजीविका बिजनेस इन्क्यूबेटरों और 20 प्रौद्योगिकी बिज़नेस इन्क्यूबेटरों की स्थापना करना है। इससे उद्यमिता और रोज़गार सृजन में तेजी आएगी।