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हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/उद्धव संदेश

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हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)
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उद्धव संदेश


(१)

उधौ मन मानेकी बात।

दाख छुहारा छांडि अमृत फल, विषकीरा, विष खाता।

ज्यौं चकोर को देइ कपूर कोउ, तजि अंगार अघात।

मधुप करत घर कोरि काठ में, बधत कमल के पात॥

ज्यौं पतंग हित जानि आपनौं, दीपक सौं लपटात।

'सूरदास' जाकौ मन जासौं सोई ताहि सुहात॥

(२)

अति मलीन वृषभानु कुमारी।

हरि स्त्रम-जल भी ज्यौ उर-अंचल, तिहिं लालच न धुवावति सारी।

अध मुख रहति अनत नहिं चितवति, ज्यौं गथ हारे थकित जुवारी।

छुटे चिकुर बदन कुम्हिलाने, ज्यों नलिनी हिमकर की मारी।

हरि संदेश सुनि सहज मृतक भइ, इक बिरहिनि, दूजे अलि जारी।

सूरदास कैसे करि जीवै, ब्रज बनिता बिन स्याम दुखारी॥