सामग्री पर जाएँ

हिंदी कविता (आदिकाल एवं निर्गुण भक्ति काव्य)/नन्दनक नन्दन कदम्बक तरु तर

विकिपुस्तक से
हिंदी कविता (आदिकाल एवं निर्गुण भक्ति काव्य)
 ← विद्यापति पदावली नन्दनक नन्दन कदम्बक तरु तर देख देख राधा रूप अपार → 
वंशी माधुरी

नन्दनक नन्दन कदम्बक तरु तर, धिरे-धिरे मुरलि बजाब।
समय संकेत निकेतन बइसल, बेरि-बेरि बोलि पठाव।।
साभरि, तोहरा लागि अनुखन विकल मुरारि।
जमुनाक तिर उपवन उदवेगल, फिरि फिरि ततहि निहारि।।
गोरस बेचरा अबइत जाइत, जनि-जनि पुछ बनमारि।
तोंहे मतिमान, सुमति मधुसूदन, वचन सुनह किछु मोरा।
भनइ विद्यापति सुन बरजौवति, बन्दह नन्द किसोरा।।