हिंदी कविता (छायावाद के बाद)/आपकी हंसी
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"आपकी हँसी"
निर्धन जनता का शोषण है,
कह कर आप हँसे!
लोकतंत्र का अन्तिम क्षण है,
कह कर आप हँसे!
सब के सब हैं भ्रष्टाचारी,
कह कर आप हँसे!
चारों ओर बड़ी लाचारी,
कह कर आप हँसे!
कितने आप सुरक्षित होंगे,
मैं सोचने लगा!
सहसा मुझे अकेला पाकर,
फिर से आप हँसे।