हिंदी सिनेमा 2024/चेन्नई एक्सप्रेस

विकिपुस्तक से
             फिल्म समीक्षा

शीर्षक  : चेन्नई एक्सप्रेस

निर्माता  : गौरी खान,करीम मोरानी

निर्देशक : रोहित शेट्टी

संगीत  : विशाल-शेखर

कलाकार: शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, सत्यराज,निकितिन धीर, प्रियमण

समय  : 2 घंटे 22 मिनट

करीब डेढ़ महीने के प्रमोशन के बाद देश-विदेश में पहली बार लगभग चार हजार स्क्रीन पर रिलीज हुई बॉलिवुड के किंग खान की इस फिल्म के टाइटल ने पहले ही साफ कर दिया था कि कुछ नया देखने की चाह में थिएटर का रुख करने वालों को इस एक्सप्रेस ट्रेन की सवारी शायद पसंद न आए। 'ओम शांति ओम' के करीब 6 साल बाद दीपिका पादुकोण और शाहरुख खान की रोमांटिक जोड़ी का दर्शकों में पहले से जबर्दस्त क्रेज बना रहा। बॉक्स ऑफिस पर अब तक सभी सुपरहिट फिल्में दे चुके डायरेक्टर रोहित शेट्टी की लगभग अस्सी करोड़ के बजट में बनी इस ऐक्शन पैक्ड रोमांटिक लव स्टोरी में उन्होंने अपनी पिछली कामयाब फिल्मों के कई मसालों को फिर परोसा है।

करीब पांच साल पहले रोहित शेट्टी ने के. सुभाष की इस स्क्रिप्ट को तैयार किया। इसी बीच रोहित ने अपनी हर नई फिल्म प्रारंभ करने से पहले इस स्क्रिप्ट पर फिल्म बनाने की कोशिश की, लेकिन इस प्रॉजेक्ट पर खर्च होने वाले मोटे बजट की वजह से उन्हें कामयाबी नहीं मिली। पिछले साल रोहित के इस महंगे प्रॉजेक्ट पर एक बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी और अपने दोस्त करीम मोरानी को साथ काम शुरू किया। इस फिल्म की बेहतरीन लोकेशन जो इससे पहले किसी बॉलिवुड फिल्म में नजर नहीं आई, फिल्म का जबर्दस्त प्लस पॉइंट है। पहली बार किसी हिंदी फिल्म में दक्षिण की लोकेशन में शूट बेहतरीन ऐक्शन सीन,रंग बिरंगा माहौल, ग्राहक के साथ रोहित स्टाइल में कारों के परखच्चे उड़ते सीन फिल्म की खासियत हैं।

शाहरुख-दीपिका की लीड जोड़ी को अगर छोड़ दिया जाए तो फिल्म के ज्यादातर कलाकार दक्षिण से है । बेशक, दक्षिण में इनकी जबर्दस्त पहचान हो, लेकिन उत्तर में फिल्म के यहीं कलाकार बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म का कमजोर पक्ष साबित हो सकते है।

कहानी:- करीब चालीस साल के हो चुके राहुल (शाहरुख खान) की अब तक शादी नहीं हुई। वैसे, राहुल के शादी न करने की दूसरी बड़ी वजह उसका अपने दादा (लेख टंडन) और दादी (कामिनी कौशल) के साथ प्यार है। राहुल जब आठ साल का था तब उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी। बचपन से ही राहुल ने खुद को दादा-दादी के साथ पाया। अचानक, एक दिन दादा की मृत्यु हो जाती है। दादा की आखिरी ख्वाहिश थी कि उनकी अस्थियों को रामेश्वरम में जाकर प्रवाहित किया जाए। राहुल अपने दादा की इसी आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए मुंबई से ट्रेन पर चेन्नई के लिए निकलता है।

चेन्नै जाने वाली ट्रेन में राहुल की मुलाकात मीना उर्फ मीनाम्मा (दीपिका पादुकोण) से होती है। इसी ट्रेन से मीनाम्मा अपने गांव कोम्बन जा रही है, लेकिन राहुल को पता नहीं कि मीनाम्मा को उसके गांव जबरन ले जाया जा रहा है। इसी सफर के दौरान हालात कुछ ऐसे बनते है कि न चाहकर भी राहुल को मीनाम्मा के साथ उसके गांव जाना पड़ता है। गांव में मीनाम्मा के पिता दुर्गेश्वरा अजहागुसुंदरम (सथ्यराज) का दबदबा है। पूरा गांव उनके एक इशारे पर मरने-मारने को तैयार रहता है। बिन मां की मीनाम्मा अपने पिता की कमजोरी है। दुर्गेश्वरा अपने पास के गांव में रहने वाले तांगाबल्ली (निकितन धीर) के साथ अपनी बेटी की शादी करना चाहता है। इसी बीच राहुल और मीनाम्मा एक-दूसरे को चाहने लगते है, लेकिन इन दोनों के रीति-रिवाज, कल्चर और भाषा सब कुछ अलग-अलग है। इसके बावजूद दोनों हार मानने को तैयार नहीं हैं।


ऐक्टिंग:- शाहरुख ने पहली बार इस फिल्म में ऐसे कई ऐक्शन सीन्स किए हैं, जिनसे आज तक वह बचते रहे हैं। राहुल का किरदार शाहरुख कितनी बार निभा चुके हैं, यह तो शायद उन्हें भी मालूम न हो। राहुल में 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के राज की झलक नजर आती है। वहीं इंटरवल से पहले शाहरुख अपने किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाए। दीपिका ने बेहतरीन तरीके से किरदार निभाया है।

डायरेक्शन: बेशक इस फिल्म को रिलीज से पहले प्रमोशन के दौरान रोहित शेट्टी स्टाइल का कहा जा रहा था, लेकिन इस बार उनका स्टाइल पिछली फिल्मों से काफी कमजोर है, अगर ऐक्शन सीन्स और गजब लोकेशन्स को नजरअंदाज कर दिया जाए, तो स्क्रिप्ट में उनकी इस बार पकड़ कमजोर है। कहानी की रफ्तार उनकी पिछली फिल्मों जैसी नहीं है।

संगीत:- 'कश्मीर मैं तू कन्याकुमारी' गाने का फिल्मांकन देखने लायक है। इस गाने पर निर्माता ने जितना पैसा खर्च किया, उतने में सीमित बजट की कोई फिल्म बन जाए! वहीं, फिल्म के दूसरे गानों में टिपिकल साउथ टच होने की वजह से कोई गाना ऐसा नहीं, जो मूवी हॉल से बाहर आने के बाद भी जुबां पर रहे। विशाल-शेखर की जोड़ी का म्यूजिक इस बार कमजोर साबित हुआ है।

क्यों देखें:- बेहतरीन लोकेशन्स, साउथ की ऐसी ब्यूटी जिसे आपने कभी पर्दे पर नहीं देखा होगा, रोहित शेट्टी का ऐक्शन स्टाइल, अद्वितीय लोकेशन्स फिल्म का प्लस पॉइंट हैं, तो कमजोर स्क्रिप्ट, शाहरुख की ओवर ऐक्टिंग और धीमी रफ्तार, जरूरत से ज्यादा साउथ को टच फिल्म की बेहद कमजोर कड़ी है।