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हिंदी सिनेमा 2024/भक्षक

विकिपुस्तक से

नाम = साहिल, रोल नंबर = 426 ̲ भक्षक फ़िल्म रिव्यु कलाकार : भूमि पेडनेकर, आदित्य श्रीवास्तव, संजय मिश्रा और साई तम्हणकर | लेखक : पुलकित और ज्योत्सना नाथ । निर्देशक : पुलकित | निर्माता : गौरी खान और गौरव वर्मा | ओटीटी : नेटफ्लिक्स

जारी तिथि : 9 फ़रवरी 2024 

यह फ़िल्म उन फ़िल्मो मे सें हैं जों कि मनोरंजन के साथ साथ समाज मे हो रही घटनाओ को भी बताते हैं यह फ़िल्म एक सच्ची घटना पर आधारित हैं जों कि एक जगह मुन्नावरपुर (बिहार) कि हैं फ़िल्म कि शुरुआत होती हैं मुन्नावरपुर बिहार सें जहाँ हमें दिखाया जाता हैं कि किस तरह लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न किया जा रहा हैं अथवा किस हद तक एक इंसान गिर सकता हैं फ़िल्म कि जों मुखिया किरादार हैं वह हैं वैशाली सिँह (भूमि पेड़नेकर ) जों कि एह महिला पत्रकार हैं अथवा एक अच्छी और बड़ी पत्रकार बनने के लिए संघर्ष कर रही हैं जों कि उनका एक सपना हैं और ऐसे मे उनके पास एक कहानी आती हैं जों कि लड़कियों सें जुडी हैं अथवा उनके साथ कई बार योन उत्पीड़न और बलात्कार हो चूका हैं औऱ इसी के साथ साथ वहां सें कई लड़किया गायब भी हो चुकी हैं यह उत्पीड़न मुन्नावरपुर के महिला शेल्टर होम मे हो रहा हैं जिसका सच बाहर लाने के लिए वैशाली सिंह रिपोर्टिंग करते हुए नज़र आती हैं जिसकी वजह सें उन्हें जान सें मारने कि धमकी दी जाती हैं उनकी कार का पीछा किया जाता हैं उन्हें डराया जाता हैं यहाँ तक कि इस शेल्टर होम के पीछे सरकार के भी कुछ लोग जुड़े हैं जिसकी वजह सें यह सच काफी समय तक बाहर नहीं आता हैं औऱ शेल्टर होम चलाने वाला बंसी साहू बेफिक्र होकर लड़कियों के साथ यौन हिंसा कर रहा हैं अथवा अपने साथियो सें भी लड़कियों का बलात्कार करवाता हैं जिसमे कि बेबी रानी जों कि लड़कियों को कीड़े कि दवा बोलकर नींद कि दवा खिला देती हैं और उसके बाद लड़कियों के साथ बलात्कार किया जाता हैं सोनू बच्चा मिथलेश सिन्हा एवं उनका डॉक्टर भी लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न करता हैं और जब लड़कियों कभी गर्भवती हो जाती हैं तोह उसे जान सें मार दिया जाता हैं वैशाली को इन सब बातो का तोह पता चल जाता हैं कि लड़कियों के साथ गलत तोह हो रहा हैं पर उन लड़कियों को बचाने के लिए इतना काफी नहीं होता हैं और इसी के लुए वह अपनी सूझ बूझ सें सबूत इखट्टा करती हैं वह अपने न्यूज़ चैनल के माध्यम सें पूरी घटना को बाहर लती हैं और सरकार पर भी एक दबाब बनाने कि कोशिश करती हैं जिससे कि सरकार भी इस मामले पर गौर करें वैशाली सच को ढूंढ़तें एक ऐसी जगह पहुँच जाती हैं जहा उन्हें एक लड़कि मिलती हैं जों कि पहले मुनव्वारपुर के शेल्टर होम मे खाना बनाने का काम करती थी और उसे आज भी उस जगह को याद करके डर लगनें लगता हैं पहले तोह वह मदद के लिए मना कर देती हैं पर जब वैशाली सिँह और उन्हें कैमरामैन भास्कर जी उन्हें यह आश्वासन दिलाते हैं कि उन पर कोई बात नहीं आएगी उसकी इस मदद सें सभी लड़किया बच सकती हैं तब जाकर कही सच सामने आता हैं जहा वह बताती हैं कि शेल्टर होम तोह बहाना हैं वहां एक ही कमरे मे सभी लड़कियों को रखा जाता हैं और जानवरो कि तरह उनके साथ व्यवहार किया जाता है और इस सच के आधार पर महिला आईपीएस जसमीत कौर जिनकी पहली ही बिहार मे होती हैं और वह बहुत अच्छा काम कर रही होती हैं वह वैशाली सें यह वादा करती हैं कि अगर कोई सबूत हुआ तोह वह खुद जाकर उन सभी लड़कियों को बचाएगी जों कि फ़िल्म के अंत मे मिल ही जाता हैं और बंसी साहू समेत उसके सभी साथी वही पर पुलिस का इंतज़ार करते हैं और उन्हें किसी का भी कोई डर नहीं होता पुलिस सभी को पकड़ लेती हैं ओर सभी लड़कियों को सही सलामत निकाल लेती हैं और उसी जगह पर वैशाली रिपोर्टिंग कर रही होती हैं और फिर फ़िल्म के अंत मे हमें वैशाली अपने विचार देते हुए नज़र आती हैं जों कि फ़िल्म देख रहे लोगो के लिए होता हैं जिसमे वोह कहती हैं कि दुसरो के दर्द मे दुखी होना भूल गए हैं क्या, क्या अब भी आप अपनी गिनती इंसानों मे कर रहे हैं या खुद को आप भक्षक मान चुके हैं |