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  • जी, यह मसान में भूख जगाता है, यह गीत भुवाली की है हवा हुजूर, यह गीत तपेदिक की है दवा है हुजूर, जी, और गीत भी हैं दिखलाता हूँ, जी, सुनना चाहें आप तो गाता...
    ५ KB (४१७ शब्द) - ११:५०, २७ मई २०२२
  • है, जी, यह मसान में भूख जगाता है, यह गीत भुवाली की है हवा हुजूर, यह गीत तपेदिक की है दवा हुजूर, जी, और गीत भी हैं, दिखलाता हूँ, जी, सुनना चाहें आप तो गाता...
    ५ KB (४३२ शब्द) - ०९:३९, २१ जनवरी २०२०
  • गीतों को बेचने के लिए ग्राहकों को अपने पास बुला रहा है और कहता है जी हां हुजूर मैं गीत बेचता हूं।मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूं मैं सभी किस्म के गीत बेचता...
    १२ KB (१,०४२ शब्द) - ०४:४२, २५ जुलाई २०२१
  • प्रेमी के हृदय की भॉति नित्य जलता ही रहता था। वे बेगम साहबा से जा-जाकर कहते-हुजूर, मियाँ की शतरंज तो हमारे जी का जंजाल हो गयी! दिन-भर दौड़ते-दौड़ते पैरों...
    ४४ KB (३,६७२ शब्द) - ०५:१३, २६ जुलाई २०२१
  • कितना सुन्दर है। किसका महल है यह? क्या आप मुझे बताएंगी? महिला ने कहा कि हुजूर यह महल महारानी लतीफबानु का है। उन्होंने खिड़की से आपको आते हुए देखा और आपको...
    १० KB (८५६ शब्द) - ०४:५१, ३० जुलाई २०२१
  • दारोगा को समझाया - 'हुजूर, मैं समझ गया। यह सारी बदमाशी मथुरामोहन कंपनीवालों की है। तमाशे में झगड़ा खड़ा करके कंपनी को बदनाम ...नहीं हुजूर, इन लोगों को छोड़...
    १२५ KB (१०,५०२ शब्द) - ०८:१७, १० अक्टूबर २०२३
  • में खाईं के मुँह से आवाज आई - 'सूबेदार हजारासिंह।' 'कौन लपटन साहब? हुक्म हुजूर!' - कह कर सूबेदार तन कर फौजी सलाम करके सामनेहुआ। 'देखो, इसी दम धावा करना...
    ४६ KB (३,७८४ शब्द) - ०८:२६, ७ फ़रवरी २०२२
  • दारोगा को समझाया - 'हुजूर, मैं समझ गया। यह सारी बदमाशी मथुरामोहन कंपनीवालों की है। तमाशे में झगड़ा खड़ा करके कंपनी को बदनाम ...नहीं हुजूर, इन लोगों को छोड़...
    १२६ KB (१०,५४५ शब्द) - ०४:४४, २५ जुलाई २०२१
  • में खाईं के मुँह से आवाज आई - 'सूबेदार हजारासिंह।' 'कौन लपटन साहब? हुक्म हुजूर!' - कह कर सूबेदार तन कर फौजी सलाम करके सामनेहुआ। 'देखो, इसी दम धावा करना...
    ४६ KB (३,७८६ शब्द) - १७:४४, २१ मार्च २०२२
  • में खाईं के मुँह से आवाज आई - 'सूबेदार हजारासिंह।' 'कौन लपटन साहब? हुक्म हुजूर!' - कह कर सूबेदार तन कर फौजी सलाम करके सामनेहुआ। 'देखो, इसी दम धावा करना...
    ४६ KB (३,७९२ शब्द) - ०३:५८, १९ अगस्त २०२२
  • बेचना वैसे बिल्कूल पाप, क्या करूँ मगर लाचार हार कर गीत बेचता हूँ! जी हाँ, हुजूर मैं गीत बेचता हूँ। नये कवि सभी प्रकार के वादों से मुक्त है, ये केवल मानवतावादी...
    ६६ KB (४,८०४ शब्द) - ०४:५८, २५ जुलाई २०२१
  • में खाईं के मुँह से आवाज आई - 'सूबेदार हजारासिंह।' 'कौन लपटन साहब? हुक्म हुजूर!' - कह कर सूबेदार तन कर फौजी सलाम करके सामनेहुआ। 'देखो, इसी दम धावा करना...
    ४६ KB (३,७८६ शब्द) - १७:४३, २१ मार्च २०२२