आर्थिक भूगोल/कृषि
मिट्टी को जोतने कोड़ने तथा फसल उगाने एवं पशुपालन की कार्यप्रणाली, कला एवं विज्ञान को कृषि कहते हैं। कृषि मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण व्यवसाय है क्योंकि इससे समस्त संसार के भोजन वस्त्र तथा आवास की आवश्यकता है पूरी होती है।विद्वानों का विचार है कि कृषि का आरंभ दक्षिण पश्चिमी एशिया में लगभग 4000 ईसा पूर्व हुआ। कुछ विद्वानों का मत है कि मनुष्य कृषि कार्य पाषाण युग से ही करता आया है। कृषि ने मनुष्य को अस्थाई आवास की सुविधा दी। कृषिका मशीनीकरण हो जाने से उत्पादन में वृद्धि हुई और कृषि उत्पादों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार शुरू हो गया। आज संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया,तथा रूस बड़ी मात्रा में कृषि उत्पादों का निर्यात करते हैं जबकि ग्रेट ब्रिटेन, नीदरलैंड, डेनमार्क, तथा जापान इन वस्तुओं का याद करते हैं।
कृषि पद्धतियां (Agricultural System)-भूतल पर विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न प्रकार की भौतिक, आर्थिक तथा सामाजिक परिस्थितियां पाई जाती है। जिस कारण अलग-अलग भागों में अलग-अलग कृषि पद्धतियां अपनाई जाती है। सामान्यतः दो प्रकार की कृषि की जाती है-
जीविकोपार्जी अथवा जीविका कृषि (Subsistence Agriculture)
[सम्पादन]इस कृषि में कृषक अपनी तथा अपने परिवार के सदस्यों की जीविकोपार्जन के लिए फसलें उगाता है।[१]कृषक अपने उपभोग के लिए वे सभी फसलें पैदा करता है जिनकी उसे आवश्यकता होती है। अतः इस कृषि में फसलों का विशिष्टीकरण नहीं होता हैं। इनमें धान, दलहन, तिलहन तथा सभी का समावेश होता है। विश्व में जीविकोपार्जन कृषि के दो रूप पाए जाते हैं-
(क) आदिम जीविकोपार्जी कृषि- जो स्थानांतरित कृषि के समरूप है।
(ख) गहन जीविकोपार्जी कृषि- जो पूर्वी तथा मानसून एशिया में प्रचलित है। चावल सबसे महत्वपूर्ण फसल है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में गेहूं, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन, दालें तथा तिलहन बोए जाते हैं। यह कृषि भारत, चीन ,उत्तरी कोरिया तथा म्यान्मार मैं की जाती है। इस कृषि के महत्वपूर्ण लक्षण निम्नलिखित हैं-
- जोत बहुत छोटे आकार की होती है।
- कृषि भूमि पर जनसंख्या के अधिक दबाव के कारण भूमि का गहनता उपयोग होता है।
- कृषि की गहनता इतनी है कि वर्ष में दो-तीन तथा कहीं-कहीं चार फसलें भी उगाई जाती है।
- मशीनीकरण के अभाव तथा अधिक जनसंख्या के कारण मानवीय श्रम का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है।
- कृषि के उपकरण बड़े साधारण तथा परंपरागत होते हैं परंतु पिछले कुछ वर्षों से जापान, चीन,तथा उत्तरी कोरिया में मशीनों का प्रयोग होने लगा है।
- अधिक जनसंख्या के कारण मुख्यत: खाद्य फसलें ही उगाई जाती है और चारे की फसलों तथा पशु को विशेष स्थान नहीं मिलता।
- गहन कृषि के कारण मिट्टी की उर्वरता का ह्रास होता है।मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के लिए हरी खाद,गोबर,कंपोस्ट तथा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। जापान में प्रति हेक्टेयर रसायनिक उर्वरकों की खपत सर्वाधिक है।[२]
आधुनिक कृषि (Modern Agriculture)
[सम्पादन]इस कृषि में आधुनिक ढंग से फसलें उगाई जाती है। कृषि के विभिन्न कार्यों के लिए भिन्न भिन्न मशीनों का प्रयोग किया जाता है।
अधिक उपज लेने के लिए उन्नत बीज,उर्वरक, कीटनाशक दवाइयां तथा सिंचाई की उत्तम सुविधा का प्रयोग किया जाता है।विस्तृत कृषि, वाणिज्य कृषि ,मिश्रित कृषि ,डेयरी फार्मिंग,उद्यान कृषि आदि आधुनिक ढंग से की जाती है।
विस्तृत कृषि (Extensive Agriculture)
[सम्पादन]मिश्रित कृषि एक मशीनीकृत कृषि है जिसमें खेतों का आकार बड़ा,मानवीय श्रम कम,प्रति हेक्टेयर उपज कम और प्रति व्यक्ति तथा कुल उपज अधिक होती है। यह कृषि मुख्यतः शीतोष्ण कटिबंधीय कम जनसंख्या वाले प्रदेशों में की जाती है। इन प्रदेशों में पहले चलवासु, चरवाहे पशुचारण का कार्य करते थे और बाद में यहां स्थाई कृषि होने लगी। इन प्रदेशों में वार्षिक वर्षा 30 से 60 सेमी होती है। जिस वर्ष वर्षा कम होती है उस वर्ष फसल को हानि पहुंचती है। यह कृषि 19वीं शताब्दी के आरंभ में शुरू हुई थी। इस कृषि का विकास कृषि यंत्रों तथा महाद्वीपीय रेलमार्ग के विकसित हो जाने से हुआ है। विस्तृत कृषि मुख्यत: रूस तथा यूक्रेन के स्टेपीज (Steppes) ,कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रेयरीज(Prairies), अर्जेंटीना के पंपास (Pampas of Argentina) तथा ऑस्ट्रेलिया के डांउन्स(Downs of Australia) में की जाती है। विस्तृत कृषि के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं:-
- खेत बहुत ही बड़े आकार के होते हैं। इन का क्षेत्रफल प्राय:240 से 1600 हेक्टेयर तक होता है।
- बस्तियां बहुत छोटी तथा एक दूसरे से दूर स्थित होती है।
- खेत तैयार करने से फसल काटने तक का सारा काम मशीनों द्वारा किया जाता है। ट्रैक्टर, ड्रिल, कंबाइन, हार्वेस्टर, थ्रेसर तथा विनोअर मुख्य कृषि यंत्र हैं।
- मुख्य फसल गेहूं है अन्य फसलें जैसे जो,जई, राई, फ्लैक्स तथा तिलहन ।
- खाद्यान्नों को सुरक्षित रखने के लिए बड़े-बड़े गोदाम बनाए जाते हैं जिन्हें साइलो या एलीवेटर्स कहते हैं।
- यांत्रिक ऋषि होने के कारण श्रमिकों की संख्या कम होती है।
- प्रति हेक्टेयर उपज कम तथा प्रति व्यक्ति उपज अधिक होती है।
जनसंख्या में निरंतर वृद्धि के कारण विस्तृत कृषि का क्षेत्र घटता जा रहा है। पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्यूनस आयर्स, ऑस्ट्रेलिया के तटीय भागों तथा यूक्रेन जैसे घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों से लोग विस्तृत कृषि के क्षेत्रों में आकर बसने लगे हैं। जिससे कृषि का क्षेत्र कम होता जा रहा है। इस प्रकार 19वीं शताब्दी में शुरू हुई यह कृषि अब बहुत ही सीमित क्षेत्रों में की जाती है।
वाणिज्य कृषि (Commercial Farming)
[सम्पादन]इस कृषि में फसलों को बेचने के लिए पैदा किया जाता है। अतः उत्पादन में फसल विशिष्टकरण इसकी मुख्य विशेषता है। विश्व में यह दो रूपों में पाई जाती है-
1. मध्य अक्षांशो में वाणिज्य अन्न कृषि-मध्य अक्षांशो में गेहूं के उत्पादन में विशिष्टकरण इस कृषि का मुख्य उदाहरण है। उत्तरी अमेरिका के प्रेयरी क्षेत्र, यूक्रेन क्षेत्र, पश्चिमी यूरोप, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी भागों तथा भारत के पंजाब,हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की कृषि की जाती है।[३] इस कृषि में अधिकांश कार्य मशीनों से किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में गेहूं के कृषि क्षेत्रों में कृषक बाहर से आते जाते हैं। इनके लिए साइडवाक कृषक तथा सूटकेस कृषक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। भारत में वाणिज्य कृषि बड़े पैमाने पर तो नहीं परंतु किसी हद तक की जाती है। यहां पर मशीनीकरण भी सीमित ही हुआ है।
2. उष्ण कटिबंध में रोपण कृषि- रोपण कृषि का विकास उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उपनिवेश काल में यूरोपीय देशों द्वारा किया गया। इसका मुख्य उद्देश यूरोपीय देशों को वे कृषि उपजें उपलब्ध करवाना था जो केवल उष्णकटिबंधीय जलवायु में ही होती है। अतः यह एक व्यापारिक कृषि बन गई जिसमें फसलों का विक्रय किया जाता है। भारत में असम व दार्जिलिंग तथा श्रीलंका के चाय बागान, मलेशिया के रबर बागान, ब्राजील के कॉफी बागान इस कृषि के मुख्य उदाहरण है। प्रारंभ में पूंजी निवेश उपनिवेशी देशों द्वारा किया गया था। बगानों का प्रबंध भी उपनिवेशी देशों के हाथों में ही था। परंतु बड़े पैमाने पर श्रम स्थानीय मजदूरों या बाहर से लाए गए भाड़े या बंधुआ मजदूरों द्वारा उपलब्ध कराया गया। इस कृषि में उत्पाद को भी बागान पर ही संसाधित किया जाता है। क्योंकि रोपण कृषि की उपजें मुख्यत: निर्यात के लिए ही होती है इसलिए इस कृषि के विकास के लिए सस्ते परिवहन का होना अति आवश्यक है यही कारण है कि विश्व के अधिकांश रोपण कृषि तटीय भागों में विकसित हुई है या वह सस्ते परिवहन द्वारा तट से जुड़ी हुई है।
रोपण कृषि के बागान प्राय: बड़े आकार के होते हैं और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र में पनपते हैं। सामान्यतः इनका आकार 4 से 40 हेक्टेयर तक होता है परंतु कहीं-कहीं यह बागान बहुत बड़े होते हैं। उदाहरणतः लाइबेरिया में हर्बल नामक स्थान पर फायरस्टोन कंपनी का रबर का बागान 54.4 हजार हेक्टेयर भूमि पर फैला हुआ है। उपनिवेशवाद की समाप्ति पर उपनिवेश स्वतंत्र हो गए और रोपण कृषि की विशेषताओं में परिवर्तन आ गया। उदाहरणतः बागानों का स्वामित्व तथा प्रबंध उपनिवेशी देशों से हटकर स्थानीय अधिकारियों के हाथों में आ गया।अब यह बागान अपनी उपजों का निर्यात करने के लिए स्थानीय बाजारों में भी बेचते हैं।
मिश्रित कृषि अथवा व्यापारिक फसल एवं पशुपालन (Mixed Farming or Commercial Crops & Livestock)
[सम्पादन]इस कृषि में फसलें उगाने तथा पशुओं को पालने का कार्य एक साथ किया जाता है। यह मिश्रित बुआई से भिन्न है। मिश्रित बुआई मैं एक ही खेत में एक ही समय पर कई फसलें बोई जाती है जबकि मिश्रित कृषि में फसलें हुआ ने के साथ साथ पशुपालन का कार्य भी किया जाता है। मिश्रित कृषि यूरोप में आयरलैंड से रूस तक, उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग, अर्जेंटीना के पंपास, दक्षिणी पूर्वी आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका और न्यूजीलैंड में की जाती है।[४] संयुक्त राज्य अमेरिका का मिश्रित कृषि क्षेत्र मक्के की पेटी है। मक्का खिलाकर पशुओं को मोटा किया जाता है। इसके अतिरिक्त जई, गेहूं तथा घास भी पैदा की जाती है।अब यहां पर सोयाबीन की फसल भी पैदा की जाने लगी है।
यह एक प्रोटीन युक्त फसल है जिसका विस्तार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह कृषि अधिकतर बड़े बड़े नगरों के आसपास की जाती है। जिससे इनकी ऊपर जो की बिक्री में कोई कठिनाई नहीं होती। उत्तम कृषि विधियां, उत्तम परिवहन,शहरी बाजार की निकटता तथा विश्वसनीय वर्षा से इस कृषि को भी बड़ी सहायता मिलती है।
डेरी फार्मिंग(Dairy Farming)-डेयरी फार्म कृषि का वह विशिष्ट ढंग है जिसमें दूध देने वाले पशुओं के प्रजनन, पशुचारण और नस्ल सुधारने की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है। दुधारू पशुओं विशेषतया गायों को पाला जाता है। दूध तथा दुग्ध उत्पाद जैसे मक्खन, पनीर, क्रीम, संघनित दूध और पाउडर दूध इस कृषि के मुख्य उत्पाद हैं।
डेरी फार्मिंग के क्षेत्र- डेरी फार्मिंग यूरोप (ब्रिटेन, आयरलैंड, डेनमार्क, नीदरलैंड, बेल्जियम, नार्वे, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस, यूक्रेन, लातविया, लिथुआनिया, तथा एस्टोनिया), उत्तरी अमेरिका की विशाल झीलों का क्षेत्र,दक्षिण पूर्वी आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड में विकसित है।
डेरी फार्मिंग की विशेषताएं-
- दुधारू पशुओं को पालना डेरी फार्मिंग की सबसे बड़ी विशेषता है। पशुओं के स्वास्थ्य और उनकी नस्ल पर विशेष ध्यान दिया जाता है। होलिस्टीन,रेनडेन, जर्सी,आयर-शायर तथा गोनर्से जैसे उच्च कोटि की नस्ल वाली गाय पाली जाती है।
- पशुओं की देखभाल वैज्ञानिक तरीकों से की जाती है।
- दूध दुहने और उसे संसाधित करने की क्रियाओं को मशीनों द्वारा किया जाता है।
- डेरी फार्मिंग घने औद्योगिक नगरों की मांग पर आश्रित है इसलिए अधिकांश डेयरी फार्मिंग शहरी क्षेत्रों के निकट ही पनपा है।
- दूध और दुग्ध पदार्थों को मांगते क्षेत्र तक पहुंचाने के लिए तीव्र यातायात का प्रयोग किया जाता है।
- नियोजित आवास,मशीन, चारे की मिलों, प्रशीतन तथा संचयन के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है।
ट्रक कृषि(Truck Farming)- यह एक विशेष प्रकार की कृषि है जिसमें साग सब्जियों की कृषि की जाती है। इन वस्तुओं को प्रतिदिन ट्रकों में भरकर निकटवर्ती नगरीय बाजारों में ले जाकर बेचा जाता है। बाजार से कृषि क्षेत्र की दूरी इस बात पर निर्भर करती है कि ट्रक द्वारा रात भर चलने में कितनी दूरी तय होती है। इसीलिए इस कृषि का नाम ट्रक कृषि रखा गया है।
ट्रक कृषि के क्षेत्र- ट्रक कृषि एवं उद्यान कृषि मुख्यत: उत्तर पश्चिमी यूरोप (ब्रिटेन, डेनमार्क, बेल्जियम, नीदरलैंड, जर्मनी और फ्रांस), संयुक्त राज्य अमेरिका (उत्तर पूर्वी भाग, केलिफोर्निया, फ्लोरिडा प्रायद्वीप तथा पूर्वी तटीय भाग), एवं कनाडा के पूर्वी भाग में की जाती है। इन प्रदेशों के शहरी तथा औद्योगिक क्षेत्रों में ताजी सब्जियों की भारी मांग रहती है और यह वस्तुएं इन प्रदेशों को ट्रक कृषि से ट्रक द्वारा प्राप्त होती है। अतः इस कृषि का नगरीकरण से गहरा संबंध है।
भारत में वातावरण अनुकूल तथा वर्धन काल लंबा होने के कारण लगभग सभी भागों में सब्जियां उगाई जाती है। यहां पर अधिकांश जनसंख्या शाकाहारी है और मांस का मूल्य अधिक होने के कारण सब्जियों की मांग अधिक रहती है। इसलिए इस कृषि पर अधिक बल दिया जाता है।
ट्रक कृषि की विशेषताएं- ट्रक कृषि एवं उद्यान कृषि की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है:-
- ट्रक कृषि एवं उद्यान कृषि के खेत छोटे होते हैं।
- परिवहन की सुविधा अच्छी रहती है।
- गहन कृषि की जाती है।
- सिंचाई की अच्छी व्यवस्था होती है।
- खादों का प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है।
- अधिकांश कार्य हाथों से किया जाता है।
- पेड़ो तथा पौधों को बीमारियों से बचाने के लिए दवाइयों का प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है।
उद्यान कृषि(Horticulture)- यह लगभग ट्रक कृषि जैसा ही है,अंतर केवल इतना है कि इसमें सब सब्जी के स्थान पर फलों तथा फूलों कि कृषि की जाती है। फलों तथा फूलों की मांग नगरों में बहुत होती है।
फल- नगरीय क्षेत्रों में फलों की मांग बहुत होती है जिससे कृषक को पर्याप्त आय हो जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के फल उगाए जाते हैं। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में केला, आम, जामुन, नारियल, काजू आदि। शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सेब, आडू, अखरोट, नाशपाती, रसबेरी आदि तथा भूमध्यसागरीय देशों में खट्टे फल जैसे- संतरा, मौसमी, नींबू आदि मुख्य फल है।
फूल- फलों की भांति फूलों की भी नगरीय क्षेत्रों में काफी मांग रहती है और फूलों की बिक्री से कृषक को काफी धन प्राप्त होता है। फूलों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी होता है। जॉर्जिया तथा आर्मीनिया में पैदा किए गए गुलाब के फूल मॉस्को तथा रूस के अन्य नगरों में भेजे जाते हैं। शीत ऋतु में इथोपिया प्याज के फूलों का निर्यात यूरोपीय देशों में करता है। नीदरलैंड में ट्यूलिप की कृषि विशेष रूप से की जाती है। यहां से इनका निर्यात वायुयान द्वारा यूरोप तथा अमेरिका के बड़े बड़े नगरों को किया जाता है। भारत में गुलाब तथा गेंदे के फूल अधिक पैदा किए जाते हैं। अजमेर के निकट पुष्कर घाटी गुलाब की कृषि के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में भी फूलों की खेती की जाती है।कश्मीर घाटी में विभिन्न प्रकार के फूल उगाए जाते हैं। यहां कटेवा भूमि पर केसर की खेती की जाती है। कन्नौज, जौनपुर तथा लखनऊ में फूलों पर आधारित सुगंधित तेल बनाए जाते हैं।
संबंधित प्रश्न
[सम्पादन]इस अध्याय से संबंधित प्रश्न कुछ इस प्रकार हैं:-
- कृषि के प्रकारों की व्याख्या करें।
- डेयरी फार्मिंग की विशेषताओं का वर्णन करें।
- कृषि के दो प्रमुख प्रकारों का वर्णन करें?
- ट्रक कृषि की विशेषताएं का वर्णन करें?
- व्यावसायिक खेती क्यों महत्वपूर्ण है?
सन्दर्भ
[सम्पादन]- ↑ S. S. Dhillon (2004). Agricultural Geography. Tata McGraw-Hill Education. आइएसबीएन 978-0-07-053228-1.
- ↑ Cheng Leong Goh; Gillian Clare Morgan (1982). Human and Economic Geography. Oxford University Press. आइएसबीएन 978-0-19-582816-0.
- ↑ H. M. Saxena (2013). Economic Geography. Rawat Publications. आइएसबीएन 978-81-316-0556-1.
- ↑ D R Khullar. Geography Textbook-Hindi. New Saraswati House India Pvt Ltd. आइएसबीएन 978-93-5041-244-2.