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आर्थिक भूगोल/विशेष आर्थिक क्षेत्र

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आर्थिक भूगोल
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विशेष आर्थिक क्षेत्र अथवा सेज़ (SEZ) विशेष रूप से पारिभाषित उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं, जहाँ से व्यापार, आर्थिक क्रियाकलाप, उत्पादन तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित किया जाता है।[] यह क्षेत्र 10 से 10,000 हेक्टेयर या इससे भी अधिक क्षेत्रफल के हो सकते हैं ।

निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र
निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र

इन क्षेत्रों में आधारभूत ढाँचे अर्थात् भवन, कारखाने ऊर्जा, सडक, परिवहन, संचार व्यवस्था इत्यादि की उत्कृष्ट सुविधा होती है । लगभग सभी विकसित देशों में विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित हैं ।ये क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम-कायदों को ध्यान में रखकर व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये विकसित किये जाते हैं।[] भारत उन शीर्ष देशों में से एक है, जिन्होंने उद्योग तथा व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये विशेष रूप से ऐसी भौगोलिक क्षेत्रों को विकसित किया गया है।भारत पहला एशियाई देश है, जिसने निर्यात को बढ़ाने के लिये 1965 में कांडला में एक विशेष क्षेत्र की स्थापना की थी। इसे एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन (EPZ) नाम दिया गया था।[]

यह क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम कायदों को ध्यान में रखकर व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए विकसित किए जाते हैं। विशेष आर्थिक क्षेत्र को आर्थिक विकास का पैमाना बनाने के लिए इसे उच्च गुणवत्ता तथा अवसंरचना से युक्त किया जाता है तथा इसके लिए सरकार ने वर्ष 2000 में विशेष आर्थिक जोन नीति भी बनाई, जिससे अधिक से अधिक विदेशी निवेशक भारत में आएं।सरकार ने विशेष आर्थिक जोन अधिनियम,2005 भी पारित किया, इसका उद्देश्य अधिक-से-अधिक विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर व्यापार को बढ़ावा देना था। इसके अलावा विशेष आर्थिक क्षेत्र को और विशिष्ट बनाकर व्यापार को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम पारित किया गया,जिसका उद्देश्य निर्यात के लिए आधिकारिक तौर पर अनुकूल मच प्रदान करना था। इस नए अधिनियम में विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाइयों एवं इसे विकसित करने वाली कम्पनियों को कर में छूट का प्रावधान किया गया है । एसईजेड का निर्माण सिर्फ केन्द्र द्वारा ही नहीं, बल्कि राज्य सरकारों एवं निजी कम्पनियों द्वारा भी किया जा रहा है । इसके लिए पंजाब, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश एवं तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों ने भी राज्य एसईजेड अधिनियम बनाए हैं।

2005, अधिनियम की महत्त्वपूर्ण बातें

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  1. इस अधिनियम में सेज़ इकाइयों तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित करने वालों के लिए कर में छूट का प्रावधान किया गया है।
  2. इस अधिनियम के अनुसार, जो भी इकाइयां विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थापित की जाएंगी उन्हें पांच वर्षों तक कर में 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
  3. इसके बाद अगले पांच वर्ष कर में 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी।
  4. इसके बाद के अगले पांच वर्ष तक निर्यात से होने वाले लाभ पर 50 प्रतिशत की छूट दिए जाने का प्रावधान है।
  5. विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित करने वालों को भी 10 से 15 वर्ष की समय सीमा के लिए आयकर में 100 प्रतिशत छूट का प्रावधान किया गया है।
  6. यह अधिनियम, आयात-निर्यात एवं वैश्विक स्तर पर मुक्त व्यापार को स्थापित करने में सहायक है।
  7. आयात एवं निर्यात के लिए विश्व स्तर की सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहा है।
  8. इस अधिनियम का उद्देश्य विशेष आर्थिक क्षेत्र को आधिकारिक रूप से सशक्त बनाने तथा उसे स्वायत्तता प्रदान करना है जिससे विशेष आर्थिक क्षेत्र से जुड़ी जांच एवं प्रकरणों का निपटारा जल्द से जल्द किया जाए।

इसके अतिरिक्त कई अन्य राज्यों ने राज्य एसईजेड नीतियों का भी निर्माण किया है । विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 के अनुसार, एसईजेड में स्थापित होने वाली इकाइयों को शुरूआत के पाँच वर्षों तक कर में 100% की छूट एवं इसके बाद अगले पाँच वर्षों तक 50% की छूट दिए जाने का प्रावधान है ।एसईजेड विकसित करने वालों को भी 10 से 15 वर्ष की समय-सीमा के लिए आयकर में 100% छूट का प्रावधान किया गया है । इस अधिनियम का उद्देश्य एसईजेड को आधिकारिक रूप से सशक्त बनाना तथा उसे स्वायत्तता प्रदान करना है, ताकि एसईजेड से संबन्धित प्रकरणों का निपटारा शीघ्र हो सके । इसके लिए इन क्षेत्रों में आयात-निर्यात सम्बन्धी विश्व स्तर की सुविधा उपलब्ध कारवाई जाती है।[] इस अधिनियम के पश्चात विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) नियम, 2006 विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) नियम, 2007 विशेष आर्थिक क्षेत्र (दूसरा संशोधन) नियम, 2007 विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) नियम, 2009 एवं विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) नियम, 2013 भी बनाए गए ।

विशेष आर्थिक क्षेत्र के मुख्‍य उद्देश्‍य

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  1. अतिरिक्‍त आर्थिक गतिविधियों का संचालन
  2. वस्‍तुओं और सेवाओं के निर्यात को प्रोत्‍साहन
  3. ‍ स्वदेशी और विदेशी स्रोतों से निवेश को प्रोत्‍साहन
  4. रोजगार के अवसरों का सृजन
  5. आधारभूत सुविधाओं का विकास

विशेष आर्थिक क्षेत्र के प्रकार

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विशेष आर्थिक क्षेत्र के पांच प्रमुख प्रकार हैं:-

  1. मुक्त-व्यापार क्षेत्र (FTZ)
  2. निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (EPZ)
  3. मुक्त क्षेत्र/मुक्त आर्थिक क्षेत्र (FZ/FEZ)
  4. औद्योगिक पार्क/औद्योगिक एस्टेट (IE)
  5. नि:शुल्क बंदरगाहों
  6. बंधुआ रसद पार्क (बीएलपी)
  7. शहरी उद्यम क्षेत्र

विश्व बैंक ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों के प्रकारों के बीच अंतर को स्पष्ट करने के लिए निम्न तालिका बनाई:-

प्रकार उद्देशय आकार विशिष्ट स्थान विशिष्ट गतिविधियाँ बाजार
मुक्त-व्यापार क्षेत्र व्यापार का समर्थन <50 हेक्टेयर बंदरगाह प्रवेश बंदरगाहों और व्यापार से संबंधित घरेलू बाजार, पुनः निर्यात
निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र निर्यात विनिर्माण <100 हेक्टेयर कहीं नहीं विनिर्माण, प्रसंस्करण ज्यादा निर्यात
निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (एकल इकाई / मुक्त उद्यम) निर्यात विनिर्माण कोई न्यूनतम नहीं देश भर में विनिर्माण, प्रसंस्करण ज्यादा निर्यात
निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र निर्यात विनिर्माण <100 हेक्टेयर कहीं नहीं विनिर्माण, प्रसंस्करण निर्यात, घरेलू
मुक्त बंदरगाह /विशेष आर्थिक क्षेत्र एकीकृत विकास >1000 हेक्टेयर कहीं नहीं बहु उपयोगी आंतरिक, घरेलू, निर्यात
शहरी उद्यम क्षेत्र शहरी पुनरोद्धार <50 हेक्टेयर शहरी/ग्रामीण बहु उपयोगी घरेलू

विशेष आर्थिक क्षेत्र के फायदे

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वर्ष 2013 तक देश में काम कर रहे 170 विशेष आर्थिक क्षेत्रों ने 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है और कुल निर्यात में इनकी भागीदारी एक-तिहाई रही है।

आयोग ने सुझाव दिया है कि कोस्टल इकनोमिक जोन बनाए जाएं, क्योंकि निर्यात तटों से ही होता है। कांडला निर्यात जोन 1965 में शुरू किया गया था और आज भी यह सबसे सफल है।एसईजेड की स्थापना किसी भी निजी, सार्वजनिक अथवा संयुक्त क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा की जा सकती है, इसके साथ ही विदेशी कम्पनियों को भी इसकी स्थापना की अनुमति प्रदान की जाती है उत्तर प्रदेश में नोएडा, पश्चिम बंगाल में फाल्ता, गुजरात में काण्डला एवं सूरत, महाराष्ट्र में शालारू, तमिलनाडु में चेन्नई, आन्ध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम आदि विशेष आर्थिक क्षेत्र के उदाहरण हैं ।

एसईजेड के कई लाभ है इससे आयात-निर्यात को बढ़ावा मिलता है, इससे विदेशी निवेश में वृद्धि होती है आयात-निर्यात को बढ़ावा मिलने एवं विदेशी निवेश में वृद्धि होने के कारण अत्यधिक संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है, जिससे बेरोजगारी जैसी समस्याओं के समाधान में सहायता मिलती है ।एसईजेड विदेशी मुद्रा के अर्जन में भी सहायक होता है । इस तरह, यह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है । एसईजेड में हर प्रकार की सुविधा एवं छूट के कारण वस्तुओं की निर्माण लार है । इस तरह औद्योगिक प्रगति के दृष्टिकोण से भी एसईजेड अत्यन्त लाभप्रद है ।

संबंधित प्रश्न

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  1. SEZ की स्थापना कब हुई?
  2. देश में कितने विशेष आर्थिक क्षेत्र हैं?
  3. विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना से भारत के अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है, चर्चा करें।

सन्दर्भ

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  1. Ramesh Singh. Bhartiya Arthvyavastha. McGraw-Hill Education (India) Pvt Limited. पृप. 11–. आइएसबीएन 978-0-07-065551-5.
  2. Malini L. Tantri (9 May 2016). Special Economic Zones in India. Cambridge University Press. आइएसबीएन 978-1-107-10954-4.
  3. http://sezindia.nic.in/hi/cms/aboutintroduction-hi.php
  4. Mookkiah Soundarapandian (2012). Development of Special Economic Zones in India: Impact and implications. Concept Publishing Company. आइएसबीएन 978-81-8069-773-9.