योग और हमारा स्वास्थ्य/अनुलोम-विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम
यह एक सरल प्राणायाम है।अनुलोम का अर्थ है 'सीधा'और विलोम का अर्थ है'उल्टा'।श्वास लेने के लिए दो नासिका द्वार हैं--दायाँ और बाँया।दाँयी नासिका को सूर्य नाङी और बाँयी नासिका को चंद्र नाङी कहा गया है।इस प्राणायाम से हम इन दोनो नाङियों को प्रभावित करते है।
विधी
पद्मासन या सुखासन में बैठें।बाँया हाथ ज्ञान मुद्रा मे बाँये घुटने पर रखें।दाँया हाथ (अगुँठे के साथ वाली दो उँगली मोङ कर)नासिका के पास इस प्रकार रखें कि अँगूठा नासिका के दाँयी तरफ और उँगली नासिका के बाँयी तरफ रहे।अँगुठे से दाँयी नासिका बन्द करें।बाँयी नासिका से धीरे धीरे श्वास भरें (पूरक करे)।पूरी तरह श्वास भरने के बाद अँगुली से बाँयी नासिका बन्द करें और धीरे-धीरे दाँयी तरफ से श्वास खाली करें (रेचक करें)।इसी प्रकार दाँयी तरफ से श्वास का पूरक करे बाँयी तरफ रेचक करें। यह एक आवर्ती हुई।इसी प्रकार बाँये से पूरक और दाँये से रेचक तथा दाँये से पूरक और बाँये से रेचक करे।
लाभ
*श्वसनतन्त्र सुदृढ होता है।
*पर्याप्त मात्रा मे आक्सीजन मिलने से हृदय को पुष्टि मिलती है।
*ईडा और पिंगला नाङी प्रभावित होती है।सुष्मना जाग्रण मे सहायक।
*मस्तिष्क की पुष्टि।
विशेष
कपालभाति प्राणायाम के बाद अनुलोम विलोम अवश्य करें।