योग और हमारा स्वास्थ्य/वसिष्ठासन

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वसिष्ठासन[सम्पादन]

वसिष्ठासन का शाब्दिक अर्थ है “सबसे उत्कृष्ट, सर्वश्रेष्ठ, सबसे धनी” वशिष्ठ योग परंपरा में कई प्रसिद्ध संतों का नाम है। वशिष्ठ का वास्तवित अर्थ धनवान है। यह आसन शरीर के ऊपरी हिस्से (छाती, पेट और कंधे) को मजबूत बनाता है और उसमें स्थिरता लाता है।

वशिष्ठासन करने की विधि[सम्पादन]

  1. दंडासन में आ जाऐं।
  2. धीरे से शरीर का सारा वजन अपने दाऐं हाथ और पैर पर रखें। ऐसा प्रतीत होना चाहिए कि बहिना हाथ और पैर हवा में झूल रहे है।
  3. बाये पैर को दाहिने पैर पर रखें और बाये हाथ को अपने कूल्ह पर रखें।
  4. दाहिना हाथ कंधे के साथ होना चाहिए। ध्यान दे की वह कंधे के नीचे न हो।
  5. हाथ से जमीन को दबाऐं और आपके हाथ एक सीध में हो।
  6. सांस अंदर लेते हुए अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाऐं। ऐसा प्रतीत होना चाहिए की आपका हाथ जमीन पर सीधा खड़ा हुआ है।
  7. गर्दन को उठे हुए हाथ की तरफ मोड़ें और सांस अंदर और बहार करते हुए हाथों की उंगलियों को देखें।
  8. सांस छोड़ते हुए हाथ को नीचे ले आऐं।
  9. धीरे से दंडासन में आ जाऐं और अंदर-बहार जाती हुई सांस के साथ विश्राम करें।
  10. यही प्रक्रिया दुसरे हाथ के साथ दोहराऐं।

वशिष्ठासन के लाभ[सम्पादन]

  1. हाथों, कलाई व पैरों की मासपेशियों को मजबूत करने के लिए एक बेहतरीन मुद्रा है।
  2. पेट की मासपेशियों को मजबूत बनाता है।
  3. शरीर में स्थिरता बनाता है।
  4. यह एकाग्रता को बेहतर बनाने में मदद करते हुए संतुलन का भी परीक्षण करता है।

सावधानियां[सम्पादन]

  1. जिन लोगों को कलाई में कभी भी चोट लगी हो, वो यह आसन न करें।
  2. यदि किसी को कंधे अथवा कोहनी मे चोट लगी हो तो वो इस आसन को न करें।