योग और हमारा स्वास्थ्य/वीरभद्रासन
वीरभद्रासन
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वीरभद्रासन जिसको वॉरईयर पोज़ (Warrior Pose) के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
वीरभद्रासन करने की विधि
[सम्पादन]- पैरों को ३ से ४ फुट की दूरी पर फैला कर सीधे खड़े हो जाएँ।
- दाहिने पैर को ९०° और बाएँ पैर को १५° तक घुमाएँ।
- दाहिना एड़ी बाएँ पैर के सीध में रखें।
- दोनों हाथों को कंधो तक ऊपर उठाएं, हथेलिया आसमान की तरफ खुले होने चाहिए ।
- हाँथ जमीन के समांतर हो।
- साँस छोड़ते हुए दाहिने घुटने को मोड़े।
- दाहिना घुटना एवं दाहिना टखना एक सीध में होना चाहिए। घुटना टखने से आगे नहीं जाना चाहिए।
- सर को घुमाएँ और अपनी दाहिनी ओर देखें।
- आसन में स्थिर हो कर हाथों को थोड़ा और खीचें।
- धीरे से श्रोणि(पेल्विस) को नीचे करें। एक योद्धा की तरह इस आसन में स्थिर रहें। नीचे जाने तक साँस लेते और छोड़ते रहें।
- साँस लेते हुए ऊपर उठें।
- साँस छोड़ते वक्त दोनों हाथों को बाजू से नीचे लाए।
- बाएँ तरफ से इसे दोहराएं.( बाएँ पैर को ९०° एवं दाये को १५° तक घुमाये)
वीरभद्रासन से लाभ
[सम्पादन]- वीरभद्रासन सबसे सुदृढ़ योग मुद्राओं में से एक है, यह योग के अभ्यास में सुदृढ़ता और सम्पूर्णता प्रदान करता है।
- हाथ, पैर और कमर को मजबूती प्रदान करता है।
- शरीर में संतुलन बढाता है, सहनशीलता बढती है।
- बैठ कर कार्य करने वालों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
- कंधो के जकड़न में अत्यंत प्रभावशाली है।
- कंधो के तनाव से तुरंत मुक्त करता है।
सावधानियाँ
[सम्पादन]- रीढ की हड्डी के विकारों से पीड़ित या किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति चिकित्सक से परामर्श ले कर ही ये आसन करें।
- उच्च रक्तचाप वाले मरीज़ यह आसन न करें।
- गर्भवती महिलाओ के लिए दुसरे और तीसरे तिमाही में अत्यन्त लाभदायक है। इस आसन को करते समय दीवार का सहारा लें। इस आसन को करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
- अगर दस्तग्र्स्त हैं य हाल में ही इससे पीड़ित थे तो ये आसन न करें।
- घुटनों में दर्द है य गठिया की बीमारी है तो घुटनों के पास सहारे का उपयोग करें।