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वार्ता:योग/योग क्या है?

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"जीवन जीने की सँयमी पद्धति ही योग है!"

               -योगी कुमार प्रदीप.

हमारे अनुभूत, अनुभव से, योग का सामान्य अर्थ है- 'जोडना' अर्थात 'सही को सही से जोड़ना' यानि कि स्वयँ को- 'स्वयँ से, शरीर के साथ, शरीर से जुड़े सभी सम्पर्क-सम्बन्धों में व सम्बन्धियों एवँ जीव जगत और प्रकृति के साथ तालमेलपूर्ण अर्थात सँयमित जीवन जीना!'

पातन्ज्लयोग(समाधिपाद,सूत्र-२) के अनुसार– "योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:| शब्दार्थ- चित्त की वृत्तियोंं को रोकना 'योग' है! व्याख्या- सत्त्वप्रधान चित्त की बहिरमुखी होती बृत्तियों को सांसारिक विषयो से रोककर, अन्तर्मुखी करके, अपने कारण में सीन कर देना 'योग' है!

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माऊण्ट आबू, राजस्थान के राजयोग के अनुसार– "निरन्तर कर्म करते समय, निराकार परमात्मा शिव की याद में रहना ही योग है!

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