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- सन् 1953 में यायावर प्रवृत्ति के लेखक देवेंद्र सत्यार्थी की आत्मकथा ’चाँद-सूरज के बीरन’ प्रकाशित हुई। इसमें लेखक ने अपने जीवन की आरंभिक घटनाओं का चित्रण...१५ KB (१,०७५ शब्द) - १४:१६, २६ अगस्त २०२१
- है। 'तुम तो उस्ताद हो मीता!' 'इस्स!' आसिन-कातिक का सूरज दो बाँस दिन रहते ही कुम्हला जाता है। सूरज डूबने से पहले ही नननपुर पहुँचना है, हिरामन अपने बैलों...१२५ KB (१०,५०२ शब्द) - ०८:१७, १० अक्टूबर २०२३
- कैथी लिपि में भी लिखा गया है । अवधी के कुछ अन्य प्रमुख कवि हैं- ईश्वर दास , सूरज दास , कासिम शाह , छेमकरण आदि तथा आधुनिक काल में पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र...४४ KB (३,०४२ शब्द) - १०:१०, ८ नवम्बर २०२४
- रचना सर्वप्रथम प्रेमचन्द ने ही की। यों, ऐतिहासिक दृष्टि से लाला श्रीनिवास दास का ‘परीक्षा-गुरु’ (1882 ई.) ही हिन्दी का पहला उपन्यास माना जाता है। यह पश्चिमी...६७ KB (४,५११ शब्द) - १४:५९, २८ जनवरी २०२१
- लिख भेजें पाती।। मेरा पिया मेरे हिये बसत है, ना कहुँ आती जाती। चंदा जायगा सूरज जायगा, जायगी धरणि अकासी।। पवन पाणी दोनुं ही जायेंगे, अटल रहे अविनासी। सुरत...७ KB (५६७ शब्द) - ०५:०२, २६ जुलाई २०२१
- है। 'तुम तो उस्ताद हो मीता!' 'इस्स!' आसिन-कातिक का सूरज दो बाँस दिन रहते ही कुम्हला जाता है। सूरज डूबने से पहले ही नननपुर पहुँचना है, हिरामन अपने बैलों...१२६ KB (१०,५४५ शब्द) - ०४:४४, २५ जुलाई २०२१
- नितहि साँझ और प्रात। झूमत चल डगमगी चाल से मारि लाज को लात ।। हाथी मच्छड़, सूरज जुगुनू जाके पिए लखात। ऐसी सिद्धि छोड़ि मन मूरख काहे ठोकर खात ।। (राजा को...७७ KB (६,२११ शब्द) - ०४:५६, २५ जुलाई २०२१
- एसोसिएशन (progressive writers association) के तर्ज पर हुआ था। उस समय राजनैतिक दास्ता के वातावरण में पूंजीवादी एवं सामंति शक्तियां फल-फूल रही थी तथा शोषण का चक्र...५९ KB (४,१६८ शब्द) - २१:५०, ९ अक्टूबर २०२१