सामान्य अध्ययन २०१९/भारत में महिला सशक्तिकरण के प्रयास

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सामान्य अध्ययन २०१९
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  • वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में, यूनाइट अभियान अपनी गतिविधियों को संयुक्त राष्ट्र महिला पीढ़ीगत समानता अभियान (UN Women’s Generation Equality Campaign) के अनुसार संचालित और संरेखित करेगा जो कि बीजिंग घोषणा और प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन की 25वीं वर्षगाँठ को चिह्नित करता है।
वर्ष 2008 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन हेतु एकजुटता अभियान (UNiTE to End Violence against Women campaign) संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून द्वारा शुरू किया गया था। यह दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने और समाप्त करने हेतु एक बहु-वर्षीय प्रयास है।
वर्ष 1995 में 189 सदस्य राज्यों द्वारा सर्वसम्मति से महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के लिये बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन (Beijing Platform for Action) वैश्विक योजना को अपनाया गया था, जो महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने सहित 12 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में रणनीतिक उद्देश्यों तथा कार्यों को निर्धारित करता है।
  • क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा CS जेंडर 3000 (CS Gender 3000 Report)रिपोर्ट जारी की गई। जिसमें बताया गया है कि वर्तमान समय में भी विशेष तौर पर उच्च पदों पर पुरुष वर्चस्व कायम है जिसे कम या दूर करने के लिये निजी क्षेत्र द्वारा काफी कार्य किये जाने की आवश्यकता है।

यह रिपोर्ट लैंगिक असमानता व कंपनी के बेहतर प्रदर्शन के मध्य संबंध को बदलते परिदृश्य के अनुरुप प्रदर्शित करती है।

  • विज्ञान ज्योति योजना(Vigyan Jyoti Scheme) का प्रारंभ केंद्र सरकार ने छात्राओं को स्टेम (STEM- Science, Technology, Engineering and Mathematics) शिक्षा हेतु प्रोत्साहित करने के लिये की है।
  1. इस योजना के माध्यम से वर्ष 2020-2025 तक 550 ज़िलों की 100 छात्राओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। इन छात्राओं का चयन उनके प्रतिशत के आधार पर किया जाएगा।
  2. इस योजना में कक्षा 9 से 12 तक की छात्राओं को शामिल किया जाएगा।
  3. इस योजना के अंतर्गत छात्राओं के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में विज्ञान शिविर का आयोजन किया जाएगा, साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,कॉर्पोरेट,विश्वविद्यालयों तथा डीआरडीओ जैसे शीर्ष संस्थानों में कार्यरत सफल महिलाओं से शिविर के माध्यम से संपर्क स्थापित करवाया जाएगा।

उद्देश्य: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में स्टेम शिक्षा में केवल 24% महिलाएँ शामिल हैं। इसके अतिरिक्त महिलाओं का प्रतिभाग स्नातकोत्तर स्तर पर 22%, एम फिल में 28%,पीएचडी स्तर पर 35% और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में मात्र 10% है। इस योजना का उद्देश्य स्टेम शिक्षा में महिलाओं का प्रतिशत बढ़ाना है। योजना के माध्यम से महिलाओं को उच्च शिक्षा हेतु प्रोत्साहित करने के लिये अभिभावकों की काउंसिलिंग भी की जाएगी।

  • 15 अक्तूबर को संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस मनाया।

थीम:-जलवायु तन्यता लाने वाली ग्रामीण महिलाएँ और लड़कियांँ (Rural Women And Girls Building Climate Resilience)। उद्देश्य:-जलवायु परिवर्तन से निपटने में ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों की भूमिका को इंगित करना। ग्रामीण समुदायों में महिलाओं और लड़कियों के महत्त्वपूर्ण योगदान के बावजूद ग्रामीण महिलाएँ वैश्विक लैंगिक एवं विकास संकेतकों पर शहरी महिलाओं से पीछे हैं, इसलिये इस मुद्दे को प्रमुखता देना। लैंगिक समानता को बढ़ावा देना। महत्त्व:-ग्रामीण महिलाएँ और लड़कियांँ कृषि, खाद्य सुरक्षा, पोषण, भूमि, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तथा अवैतनिक घरेलू देखभाल जैसे कार्यो में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं। विश्व स्तर पर तीन में से एक कार्यरत महिला, कृषि से संबंधित कार्य करती है। इसलिये निश्चित रूप से प्राकृतिक संसाधनों और कृषि को खतरा होने पर इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव महिलाओं पर पड़ेगा। प्रयास:

UN वुमेन (UN Women) ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये कई कार्यक्रम लागू कर रही हैं साथ ही वर्ष 2019 की इसकी रिपोर्ट "ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति में सुधार" पर केंद्रित है।
  • 11 अक्तूबर-अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस(International Day of the Girl Child)

वर्ष 2019 में 7वाँ अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जा रहा है।

नोट: अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्तूबर को जबकि राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी को मनाया जाता है।
विषय वस्तु/थीम:-वर्ष 2019 के लिये अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम "Girl Force: Unscripted and Unstoppable" है जबकि राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम “उज्जवल कल के लिये लड़कियों का सशक्तीकरण” ('Empowering Girls for a Brighter Tomorrow') थी।

वर्ष 2018 में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम “With Her: A Skilled GirlForce” थी। उद्देश्य: बालिकाओं के अधिकारों का संरक्षण करना उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं कठिनाईयों की पहचान करना समाज में जागरूकता लाकर बालिकाओं को बालकों के समान अधिकार दिलाना प्रथम अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पहली बार अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन वर्ष 2012 में किया गया था। प्रथम अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम “बाल विवाह की समाप्ति” (Ending Child Marriage) थी। बालिकाओं से संबंधित भारत सरकार की प्रमुख पहलें:

  1. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
  2. सुकन्या समृद्धि योजना
  3. किशोरियों के सशक्तीकरण के लिये राजीव गांधी योजना (सबला), आदि
  • केरल सरकार ने सरकारी सेवाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में अब महिला ड्राइवरों की नियुक्ति करने फैसला किया है। यह पहली बार है जब किसी राज्य सरकार ने महिलाओं को सरकारी वाहन चलाने की अनुमति देने का फैसला किया है। इससे पहले केरल सरकार ने राज्य में ‘शी-टैक्सी’ (She Taxi) की शुरूआत की थी, लेकिन यह योजना बहुत अधिक सफल नहीं हुई।
महिलाओं को स्वरोज़गार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से नवंबर 2013 में ‘शी-टैक्सी’ की शुरुआत केरल राज्य सरकार द्वारा की गई थी। यह महिला यात्रियों के लिये सुरक्षित और सुविधाजनक परिवहन सुविधा सुनिश्चित करता है। इस पहल ने वर्ष 2014 में सार्वजनिक नीति में नवाचार के लिये मुख्यमंत्री पुरस्कार प्राप्त भी किया।

इसकी शुरुआत केरल सरकार के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा प्रवर्तित एक स्वायत्त संस्थान, जेंडर पार्क द्वारा शुरू की गई। इस पहल की शुरुआत पाँच कारों के एक बेड़े के साथ की गई थी। केरल सरकार के अन्य महत्त्वपूर्ण निर्णय महिला और बाल विभाग का गठन किया है। 550 सदस्यों वाली पहली महिला बटालियन का गठन भी किया है। इस बटालियन का गठन पुलिस बल में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। उपरोक्त के अलावा राज्य सरकार ने राष्ट्रीय खेल पुरस्कार जीतने वाले 83 खिलाड़ियों को विभिन्न सरकारी विभागों में नियुक्त करने का भी निर्णय भी लिया है।

  • चौथे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 (Fourth National Family Health Surveys- NFHS 2015-16) के अनुसार, भारत में जन्म के समय का लिंगानुपात 914 से बढ़कर 919 हो गया है।

लिंगानुपात को प्रति 1,000 पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है। सर्वेक्षण के अनुसार, जन्म के समय का लिंगानुपात में उच्चतम सुधार पंजाब में (126 बिंदुओं पर) देखा गया था और इसका जन्म के समय का लिंगानुपात 860 (राज्यों में सबसे कम में से एक) पाया गया। इस सफलता का श्रेय बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao Beti Padhao- BBBP) योजना को दिया जा सकता है।

उत्तर-पूर्वी भारत के पारंपरिक रूप से मातृसत्तात्मक होने के बावज़ूद सिक्किम में सबसे तेज़ गिरावट आई है जहाँ जन्म के समय का लिंगानुपात 175 अंकों की गिरावट के साथ 809 पर पहुँच गई, जो 2015-16 के मुकाबले सभी राज्यों में सबसे कम थी।

सिक्किम के बाद सबसे अधिक जन्म के समय का लिंगानुपात में गिरावट वाले पाँच राज्यों में पूर्वोत्तर से चार अन्य राज्य शामिल थे।

  • हैंड मेड इन इंडिया (Hand Made in India) परियोजना की शुरुआत भारत के उद्यमिता विकास संस्थान (Entrepreneurship Development Institute of India- EDII) ने हाथ से बनाई गई कला को बढ़ावा देने के उद्येश्य से की है।

इस योजना के अंतर्गत उद्यमशीलता की क्षमता विकसित करने के लिये लगभग 5,000 बुनकरों, कारीगरों और व्यापारियों को शामिल किया गया है। यह परियोजना तीन वर्षों में कार्यान्वित की जाएगी। पहले चरण में इसे 6 केंद्रों तक विस्तारित किया गया है। इन हथकरघा समूहों में गुजरात में भुज एवं सुरेंद्रनगर, ओडिशा में बरगढ़, असम में कामरूप, मध्य प्रदेश में महेश्वर और तमिलनाडु में सलेम शामिल हैं। इस योजना का उद्देश्य बुनकरों के कौशल को उन्नत बनाना,नए युग की विपणन रणनीतियाँ प्रस्तुत करना, ऋण उपलब्धता में वृद्धि सुनिश्चित करना, बुनाई की परंपरा में युवा पीढ़ी को शामिल करना है। बुनाई एवं संबद्ध गतिविधियों में महिला सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

  • वन स्टॉप क्राइसिस सेंटरकेंद्र सरकार की योजना के तहत वन स्टॉप क्राइसेस सेंटर तैयार की गई है। इसके अंतर्गत ज़िला स्तर पर वन स्टॉप सेंटर (One Stop Centre- OSC) खोले गए हैं।

वन स्टॉप सेंटर में एक ही छत के नीचे पीडि़त महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक वैधानिक एवं विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। वन स्टॉप सेंटर में हिंसा से प्रभावित महिलाओं से प्राप्त शिकायतों का रिकॉर्ड रहता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय समय-समय पर इसके कामकाज की समीक्षा करता है। इसमें दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक वन स्टॉप सेंटर में 5 बेड होने चाहिये साथ ही पीड़ितों के 5 दिनों तक अस्थायी रूप से रहने की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिये। योजना के तहत, OSC के लिये एक केंद्र व्यवस्थापक, केस वर्कर, मेडिकल कर्मियों, पुलिस सुविधा अधिकारी, साइको-सोशल काउंसलर, कानूनी परामर्शदाता, सुरक्षा गार्ड, IT स्टाफ और बहुउद्देश्यीय कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। OSC कार्यकारियों का क्षमता निर्माण राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं राज्य प्रशिक्षण तथा कार्यशालाओं के माध्यम से किया जाता है ताकि OSC कर्मचारियों की ज़वाबदेही में सुधार हो सके। ज़िला स्तर पर OSC के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये मीडिया द्वारा प्रचार अभियान भी चलाए जाते हैं।

  • राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना को 1 जनवरी, 2017 से सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है।

इस योजना का उद्देश्य कामकाजी महिलाओं/माताओं के बच्चों (6 महीने - 6 वर्ष तक की आयु) को दिन में देखभाल की सुविधा प्रदान करना है। यह योजना पूरक पोषण, स्वास्थ्य देखभाल सुविधा जैसे कि टीकाकरण, पोलियो ड्रॉप्स, बुनियादी स्वास्थ्य निगरानी, नींद की सुविधा, प्रारंभिक प्रोत्साहन (3 साल से कम) तथा 3-6 साल के लिये प्री-स्कूल शिक्षा का प्रावधान करती है। जून 2019 तक पूरे देश में लगभग 7,930 क्रेच/शिशुगृह कार्य कर रहे थे। हाल में राष्ट्रीय प्रतिदर्श/नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office- NSSO) ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में घरेलू कार्यों में शामिल महिलाओं का सर्वेक्षण किया। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के इस 68वें दौर के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू कार्यों में शामिल महिलाओं का अनुपात वर्ष 2004-05 के 35.3 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2011-12 में 42.2 प्रतिशत हो गया। जबकि शहरी क्षेत्रों में घरेलू कार्यों में शामिल महिलाओं का अनुपात वर्ष 2004-05 के 45.6 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2011-12 में कार्यों में शामिल प्रतिशत हो गया।

महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना’ ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विशेष रूप से महिला किसानों के लिये एक कार्यक्रम है। अतः कथन 1 सही है। यह दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का एक उप-घटक है। अतः कथन 3 सही है। इसका उद्देश्य कृषि में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है जिससे स्थायी आजीविका का सृजन करके महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अतः कथन 2 सही है। ऐसी परियोजनाओं के लिये 60% (उत्तर पूर्वी राज्यों के लिये 90%) की वित्तीय सहायता सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी।

जननी सुरक्षा योजना 12 अप्रैल, 2005 में गरीब गर्भवती महिलाओं के बीच संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये शुरू।100% केंद्र प्रायोजित इस योजना के तहत प्रसव एवं प्रसव उपरांत देखभाल हेतु नकद सहायता प्रदान करती है।माताओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने के लिये भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission-NHM) द्वारा चलाया जा रहा एक सुरक्षित मातृत्व हस्तक्षेप (safe motherhood intervention) है।


छत्तीसगढ़ पुलिस ने पहली बार नक्सल विरोधी मुहिम के लिये महिला डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड (DRG) यूनिट का गठन किया है।दंतेश्वरी लड़ाकेनाम के इस दस्ते की पहली टीम का गठन दंतेवाड़ा ज़िले में किया गया है। इस टीम में 10 ऐसी महिलाएँ शामिल हैं जो पहले नक्सली थीं और बाद में सरेंडर करके मुख्यधारा में शामिल हो गईं। DRG टीमों में आमतौर पर सरेंडर कर चुके नक्सलियों को शामिल किया जाता है, जिन्हें नक्सल कैंपों की अच्छी जानकारी रहती है।

गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम(PCPNDT),1994 कन्या भ्रूण हत्या और भारत में गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिये लागू किया गया था। कोई भी व्यक्ति जो प्रसव पूर्व गर्भाधान लिंग निर्धारण सुविधाओं के लिये नोटिस, परिपत्र, लेबल, रैपर या किसी भी दस्तावेज के रूप में विज्ञापन देता है, या इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट रूप में आंतरिक या अन्य मीडिया के माध्यम से विज्ञापन करता है या ऐसे किसी भी कार्य में संलग्न होता है तो उसे तीन साल तक की कैद और 10,000 तक का जुर्माना हो सकता है।


आंध्र प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा और मदद के लिये विशाखापत्तनम में एक विशेष पुलिस टीम लॉन्च की गई है जो महिलाओं के मुद्दे सुलझाने में मदद करेगी। स्त्री शक्ति नामक इस टीम की सभी सदस्य महिलाएँ हैं और फिलहाल इसमें 35 सदस्य हैं, जिनमेंASI, हेड कांस्टेबल, पुलिस कांस्टेबल और होमगार्ड शामिल हैं। इस टीम को 25 वाहन भी दिये गए हैं। महिलाओं से जुड़े मुद्दों को देखने और उनके लिये क्या कदम उठाए जाने चाहिये, यह सब टीम खुद तय करेगी। विशाखापत्तनम में कई शैक्षणिक संस्थान और कार्यस्थल हैं जहां महिलाएँ बड़ी संख्या में काम करती हैं। इस टीम के सदस्यों को शहर के प्रमुख स्थानों पर तैनात किया जाएगा। ‘स्त्री शक्ति’ टीम की आसानी से पहचान के लिये इनका ड्रेस-कोड भी है और इसकी सभी सदस्य सभी नीली शर्ट और खाकी पैंट पहनेंगी।

  • My Circleमोबाइल एप,भारती एयरटेल द्वारा भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) की महिला उद्यमियों की शाखा FLO के सहयोग से लॉन्च किया गया।जो किसी प्रकार की समस्या या घबराहट के हालात में महिलाओं की मदद करेगा। इस एप में संशय/संकट के संकेत मिलते ही यह अन्य टेलिकॉम ऑपरेटर्स के नेटवर्क के साथ फोन पर काम करेगा। इस एप से महिलाएँ जरूरत पड़ने पर अपने परिवार या मित्रों में से किन्हीं पाँच लोगों को 13 भाषाओं में संदेश भेज सकती हैं,जिनमें अंग्रेजी,हिंदी,तमिल,तेलुगू,मलयालम,कन्नड़,मराठी, पंजाबी, बांग्ला, उर्दू, असमी, ओड़िया और गुजराती शामिल हैं। संकट में फंसी महिला एप पर SOS प्रॉम्प्ट दबाकर अलर्ट भेज सकती है।

ऑक्सफेम इंडिया द्वारा जारि रिपोर्ट‘माइंड द गैप: स्टेट ऑफ़ एम्प्लॉयमेंट इन इंडिया’ (Mind The Gap-State of Employment in India)के अनुसार,महिलाओं को समान कार्य के लिये पुरुषों से लगभग एक-तिहाई (34%) कम भुगतान किया जाता है।[१]

  • राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय(2011-12) के अनुमानों के आधार पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में नियमित रूप से वेतन पाने वाली महिलाओं को उनके समकक्ष पुरुषों से औसतन क्रमश: 123 और 105 रुपए का कम भुगतान किया जाता है।
  • इसी प्रकार ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में अनियमित रूप से कार्य करने वाली महिलाओं को अपने पुरुष समकक्ष की तुलना में क्रमश: 72 और 47 रुपए कम प्राप्त होते हैं।
  • यदि अवैतनिक कार्यों जैसे- देखभाल और घरेलू गतिविधियों को NSSO के कार्य की परिभाषा में शामिल किया जाए तो महिला श्रम बल भागीदारी दर जो 2011-12 में 20.5% से बढ़कर 81.7 प्रतिशत हो जाती।
  • धर्मं के आधार पर महिला श्रम बल भागीदारी दर में कोई बड़ा अंतर नहीं दिखाई पड़ता है।परंतु जाति के आधार पर कुछ अंतर स्पष्ट रूप से दिखता हैं।
  • मुस्लिम महिलाएँ अधिकतर घरेलू वस्तुओं के निर्माण में, अनुसूचित जाति की महिलाएँ निर्माण एवं साफ-सफाई कार्यों में तथा गैर-अनुसूचित जाति की महिलाएँ अधिकतर शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
  • महिला रोज़गार का आधा हिस्सा 10 उद्योगों में सीमित है।प्रत्येक 7 में से 1 महिला केवल शैक्षणिक क्षेत्र में कार्यरत है।
  • लगभग 49.5 प्रतिशत विवाहित महिलाएँ उसी क्षेत्र में काम करती है जहाँ उनके पति काम करते हैं।
  • दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में महिला श्रमिकों की संख्या अधिक है लेकिन फिर भी ये राज्य अंतर्राष्ट्रीय मानकों से नीचे हैं।

चंद्रिमा शाह 66 वर्षीय चंद्रिमा शाहा को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (Indian National Science Academy- INSA) का अध्यक्ष बनाया गया है। इनका कार्यकाल जनवरी 2020 से शुरू होगा।

उल्लेखनीय है कि यह पहली महिला हैं जिन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया है। इनकी सर्वोच्च प्राथमिकता लोगों के बीच विज्ञान को अधिक तीव्रता से बढ़ावा देना होगा। सुश्री शाह पूर्व में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, दिल्ली (National Institute of Immunology, Delhi) की निदेशक थीं। इन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की और वर्ष 1980 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी (Indian Institute of Chemical Biology) से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। कामिनी रॉय(Kamini Roy) गूगल (Google) ने प्रसिद्ध बांग्ला कवयित्री कामिनी रॉय की 155वीं जयंती के अवसर पर डूडल बनाया है।

परिचय:-उनका जन्म 12 अक्तूबर, 1864 को बंगाल के बेकरगंज ज़िले (अब बांग्लादेश में) में हुआ था।

वह पहली भारतीय महिला थीं जिन्होंने ब्रिटिश भारत में बी.ए. ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। वह प्रसिद्ध कवयित्री, लेखिका और सामाजिक कार्यकर्त्ता थीं। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से महिलाओं को जागरूक करने का कार्य किया। जीवन के अंतिम वर्षों में वह बिहार के हज़ारीबाग ज़िले में रहने आ गई थीं। वहीं वर्ष 1933 में उनका निधन हुआ। पुस्तकें वर्ष 1889 में उनकी कविताओं का पहला संग्रह आलो छैया प्रकाशित हुआ अन्य पुस्तकों में ‘गुंजन’ तथा ‘बालिका शिखर आदर्श’ शामिल हैं।

सम्मान कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उन्हें जगतारिणी स्वर्ण पदक से सम्मानित किया था।

राजनीतिक सक्रियता वह बंगीय नारी समाज (Bangiya Nari Samaj) के नेताओं में से एक थीं। यह समाज महिलाओं के अधिकारों के लिये संघर्षरत था। वह भारत में नारीवाद को आगे बढ़ाने वाले सक्रिय कार्यकर्त्ताओं में से एक थीं। वर्ष 1926 में उन्होंने बंगाल में महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलाने की दिशा में भी काम किया।

डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी देश की पहली महिला विधायक डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी की 133वीं जयंती पर गूगल (Google) ने अपना खास डूडल (Doodle) बनाया है।डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी एक सर्जन, शिक्षक, कानूनविद् और समाज सुधारक थीं जिन्होंने अपना जीवन सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये समर्पित किया तथा आजीवन लैंगिक असमानता के खिलाफ संघर्षरत रहीं। तमिलनाडु सरकार ने राज्य के सरकारी अस्पतालों को प्रत्येक वर्ष इनकी जयंती के अवसर पर ‘अस्पताल दिवस’ (Hospital Day) मनाने की घोषणा की है। वर्ष 1886 में तमिलनाडु के पुदुक्कोट्टई में जन्मी डॉ. रेड्डी मद्रास मेडिकल कॉलेज में सर्जरी विभाग में पहली भारतीय छात्रा थी। वर्ष 1918 में उन्होंने महिला इंडियन एसोसिएशन की सह-स्थापना की तथा मद्रास विधान परिषद की पहली महिला सदस्य (और उपाध्यक्ष) के रूप में भारत की पहली महिला विधायक बनी। इन्होंने लड़कियों के विवाह के लिये न्यूनतम आयु सीमा बढ़ाने में मदद की तथा काउंसिल को अनैतिक यातायात नियंत्रण अधिनियम (Immoral Traffic Control Act) एवं देवदासी प्रणाली विधेयक (Devadasi system abolishment Bill) को पारित करने के लिये प्रेरित किया।

महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी किए गए उपाय[सम्पादन]

  • सुरक्षित मातृत्व आश्वासन योजना(Surakshit Matritva Aashwasan-SUMAN) की शुरुआत 10 अक्तूबर,2019 को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय परिषद के 13वें सम्मेलन की शुरुआत के दौरान की गई।
  1. इसका उद्श्य देश में मातृत्व मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना।
  2. अस्पताल में मातृ और शिशु मृत्यु की रोकथाम,भुगतान रहित तथा सम्मानजनक और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना।
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA)के तहत प्रत्येक माह की निश्चित नवीं तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक और गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है।

इसके तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी और तीसरी तिमाही की अवधि (गर्भावस्था के 4 महीने के बाद) के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाता है।

योजना की घोषणा वर्ष 2016 में प्रसूति मृत्यु दर में कमी लाने के प्रयास के रूप में की गई थी।

इसके तहत 6,000 रुपए की वित्तीय सहायता गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में प्रसव के बाद महिला के बैंक खाते में प्रदान की जाती है।

  • मातृत्व अवकाश में वृद्धि– कामकाजी महिलाओं के लिये मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है।

महिला सशक्तिकरण के लिए प्रदत पुरस्कार[सम्पादन]

वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स (Women Transforming India Awards) का चौथा संस्करण लॉन्च 9 अगस्त, 2019 को दिल्ली में नीति आयोग द्वारा। WhatsApp ने वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स 2019 के लिये नीति आयोग के साथ सहयोग किया है। पुरस्कार विजेताओं को 100,000 अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। यह पुरस्कार देश भर की महिला उद्यमियों को एक अलग पहचान देने के लिये संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से आयोजित किये जा रहे हैं। इस वर्ष की थीम ‘वुमन एंड एंटरप्रेन्योरशिप’ (Women and Entrepreneurship) अर्थात् महिला एवं उद्यमिता है। महिला उद्यमिता मंच (Women Entrepreneurship Platform- WEP) नीति आयोग द्वारा चलाई जा रही भारत सरकार की पहल है। इस मंच को भारत में उद्यमी बनने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के साथ-साथ स्थापित महिला उद्यमियों को बढ़ावा एवं सहयोग देने, कार्य को आगे बढ़ाने तथा उनके उपक्रमों को विस्तार देने में मदद करने के लिये चलाया जा रहा है।

CII वूमन एक्जम्पलर अवार्ड CII फाउंडेशन अवार्ड- 2019 के तहत और से संबंधित तीन महिलाओं को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के द्वारा प्रदान किया गया इनके नाम और क्षेत्र हैं:

  1. भिमव्वा चलवादी (शिक्षा क्षेत्र)- गोवा,स्वंय देवदासी प्रथा से निकलकर बाल संरक्षण तथा देवदासी प्रथा,सेक्स वर्कर से महिलाओं को छुडाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ा।
  2. वनलालरुअती (स्वास्थ्य क्षेत्र)मिजोरम की पहली महिला जिसने खुद को HIV पॉजेटीव घोषित किया और Mizoram Positive Women’s Network (MPWN)बनाया।
  3. नीलिमा तिग्गा (सूक्ष्म उद्यम)SHG के चपरासी से काम प्रारंभ करनेवाली झारखंड के लोहरदग्गा में

इसका मुख्य उद्देश्य भारत में विकास की प्रक्रिया में सभी बाधाओं के खिलाफ उत्कृष्ट प्रदर्शन और योगदान करने वालों की खोज, उनकी पहचान और समर्थन करके सामुदायिक स्तर पर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।[२] कार्यक्रम के तीन प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं: ♦ पहचान (Identification) ♦ मान्यता (Recognition) ♦ क्षमता निर्माण और सलाह (Capacity building and mentoring) इस कार्यक्रम में ज़मीनी स्तर पर काम करने वाली उन महिलाओं को पुरस्कार प्रदान किया जाता है जिन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सूक्ष्म उद्यमों/उपक्रमों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। पुरस्कार को एक्ज़म्पलर (EXEMPLAR) कहा जाता है क्योंकि पुरस्कार जीतने वाले अनुकरणीय स्व-प्रेरित व्यक्ति होते हैं, जो अपने स्वयं के जीवन और अपने समाज में बदलाव लाने के लिये उत्कृष्ट कार्य करते हैं। CII फाउंडेशन (CIIF) की स्थापना 2011 में CII द्वारा की गई थी, जिसमें समावेशी विकास के लिए उद्योग को सूक्ष्म करके विकासात्मक और धर्मार्थ गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला शुरू की गई थी। CIIF सीमांत समुदायों और दाताओं के बीच एक सार्थक सेतू प्रदान करके समावेशी विकास की दिशा में काम करता है, विशेष रूप से CSR पर रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करके और उच्च प्रभाव कार्यक्रमों को विकसित और प्रबंधित करके। CIIF के विषयगत क्षेत्रों में शामिल हैं: बचपन शिक्षा; महिला सशक्तिकरण; जलवायु परिवर्तन लचीलापन; आपदा राहत और पुनर्वास।


विश्व बैंक,संयुक्त राष्ट्र और सिडबी द्वारा भारत में महिलाओं के लिए आजीविका बॉण्ड की घोषणा

  • सिडबी द्वारा लाया गया यह महिला आजीविका बॉण्ड उद्यमी महिलाओं को 3 प्रतिशत पर एक वार्षिक कूपन प्रदान करेगा जिसका कार्यकाल पाँच वर्ष का होगा।
  • इस बॉण्ड के ज़रिये जुटाई जाने वाली निधि (लगभग 300 करोड़ रुपए) आगामी तीन महीनों के अंतर्गत कई चरणों में जारी की जाएगी। प्राप्त निधि को सिडबी के माध्यम से लघु और मध्यम महिला उद्यमियों को सूक्ष्म वित्त उद्योग के माध्यम से दिया जायेगा।
  • महिला उद्यमियों को दिये जाने वाले ऋण की सीमा 13 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी तथा इस बॉण्ड की कीमत 50,000 रुपये से 3 लाख रुपये तक होगा।
  • बोर्ड में शामिल कुछ वित्तीय प्रबंधन फर्मों में सेंट्रम वेल्थ (Centrum Wealth), आस्क वेल्थ एडवाइज़र्स (Ask Wealth Advisors), एंबिट कैपिटल (Ambit Capital) और आदित्य बिड़ला कैपिटल (Aditya Birla Capital) हैं। ये पहले से ही व्यक्तिगत स्तर पर उच्च नेटवर्थ तक पहुँच चुके हैं और धन जुटाने के लिये निवेशकों को प्रभावित कर रहे हैं।
  • पाँच कंपनियों - टाटा ग्रुप-टाटा कम्युनिकेशंस, टाटा केमिकल्स, टाटा ट्रेंट, वोल्टास और टाइटन ने भी इसमें निवेश करने में रुचि दिखाई है।[३]

गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूति : यह शेयर, ऋणपत्र या कोई अन्य प्रतिभूति है, जिसका स्टॉक एक्सचेंज में नहीं बल्कि बिना किसी तैयारी के बाज़ार के जरिये कारोबार होता है। असुरक्षित बॉण्ड : इन्हें ऋणपत्र भी कहा जाता है, ये किसी भी संपार्श्विक या अचल संपत्ति पर अनुबंधों द्वारा समर्थित नहीं हैं। इसके बजाय, जारीकर्त्ता द्वारा इन्हें चुकाए जाने का भरोसा दिया जाता है। इस भरोसे को अक्सर ‘पूर्ण विश्वास और श्रेय’ कहा जाता है।

संदर्भ[सम्पादन]

  1. https://www.oxfamindia.org/Mind-Gap-State-of-Employment-in-India
  2. https://www.cii.in/PressreleasesDetail.aspx?enc=6iFdUCaQ+1Wmv0Kj66pGF669j9YE9K457WmFmxe6bJmYiReWAhmiEZW4/uV76nnRBZ8aidnvo3DJesRjurBCGQ==
  3. https://www.jagranjosh.com/current-affairs/world-bank-un-sidbi-launched-womens-livelihood-bond-for-india-in-hindi-1550740666-2