सामान्य अध्ययन २०१९/सीमावर्ती सुरक्षा

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सामान्य अध्ययन २०१९
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  • नवआर्म्स- 2019(NAVARMS-2019)नामक नौसेना हथियार प्रणाली पर चौथी अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सह प्रदर्शनी 12-13 दिसंबर,2019 को नई दिल्ली के रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान में आयोजित की जाएगी।

संगोष्ठी की थीम:-मेक इन इंडिया – युद्ध श्रेणी : अवसर और आवश्यकताएँ (Make in India - Fight Category: Opportunities and Imperatives) यह आयोजन विचारों के आदान-प्रदान,जागरूकता पैदा करने और नौसेना हथियार प्रणाली के क्षेत्र में भारतीय / अंतर्राष्ट्रीय रक्षा उद्योग के लिए उभरती संभावनाओं की पहचान करने का अवसर प्रदान करेगा।

यह देश में आयोजित नौसेना हथियार प्रणालियों पर एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी और प्रदर्शनी है, जो नौसेना के हथियारों के जीवन चक्र प्रबंधन में सभी हितधारकों को आमंत्रित करने और उनके विचारों और चिंताओं को साझा करने के लिये एक साझा मंच प्रदान करती है।
नवआर्म्स के पिछले तीन संस्करण 2007, 2010 और 2013 में आयोजित किये गए थे।
  • प्रत्येक वर्ष 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy Day) मनाया जाता है।

इस दिवस को “एक मजबूत राष्ट्र के लिये सुरक्षित समुद्र और सुरक्षित तट” विषय के साथ मनाया जाता है। वर्ष 1971 में कराची हार्बर में पाकिस्तान के नौसेना मुख्यालय पर भारतीय नौसेना को आपरेशन ट्राइडेंट ( Operation Trident) में मिली शानदार कामयाबी की याद में यह दिवस मनाया जाता है। 4 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत कराची बंदरगाह पर एक ही रात में पाकिस्तान के तीन जलपोतों को नष्ट कर दिया था।

  • इन्फैंट्री स्कूल महू में 35वाँ इन्फैंट्री कमांडर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस द्विवार्षिक आयोजन का उद्देश्य इन्फैंट्री के संचालन,प्रशिक्षण और प्रबंधन पहलुओं की समग्र समीक्षा करना है, जो इसकी भूमिका को बरकरार रखने तथा बढ़ोतरी करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

इसकी अध्यक्षता थलसेना प्रमुख द्वारा की गई। इस सम्‍मेलन में इन्फैंट्री के गठन कमांडर और कमांडिंग अधिकारियों सहित विभिन्‍न सेक्शनों के अधिकारियों ने भाग लिया। यह सम्मेलन प्रख्यात वक्ताओं और पेशेवरों को अपने विचारों को साझा करने तथा एक निर्भीक और स्पष्ट रूप में इन्फैंट्री से संबंधित मामलों का नए परिप्रेक्ष्‍य में आत्मनिरीक्षण करने का अवसर प्रदान करता है। इस सम्मेलन के दौरान हुआ विचार-विमर्श राष्ट्र की सुरक्षा की उभरती चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटने के लिये इन्‍फैंट्री के योगदान को सुनिश्चित करने हेतु नवीन विचारों को व्यक्त करता है।

  • दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में दो दिवसीय (26-27 नवंबर, 2019) डेफकॉम इंडिया- 2019 (DEFCOM India- 2019) संगोष्‍ठी का आयोजन किया गया।

पृष्ठभूमि: यह पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सशस्त्र बलों, शिक्षा, अनुसंधान और विकास, संगठनों तथा उद्योगों के बीच सहयोग के लिये सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से संबंधित पहलुओं पर एक ऐतिहासिक संगोष्ठी के रूप में विकसित हुई है।

थीम:-“संचार:एकता के लिये एक निर्णायक उत्प्रेरक” (Communications: A Decisive Catalyst for Jointness) है।

इस संगोष्ठी का आयोजन संयुक्त रुप से भारतीय सेना की सिग्नल कोर तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII) द्वारा किया गया। उद्देश्य:-सेना के तीनों अंगों को एकता के लिये संचार माध्‍यमों का लाभ उठाने के लिये प्रेरित करना है। इसके लिये संगोष्ठी में सेनाओं की संचार संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये उद्योग जगत के सहयोग का आह्वान किया गया।

  • हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी को सियांग से जोड़ने वाले सिसेरी नदी पुल (Sisseri River bridge) का उद्घाटन किया गया।

सिसेरी नदी पुल के बारे में: इस पुल की लंबाई 200 मीटर है जो जोनाई-पासीघाट-राणाघाट-रोइंग (Jonai-Pasighat-Ranaghat-Roing) सड़क के बीच बना है। इस पुल के बन जाने से पासीघाट से रोइंग की यात्रा में लगने वाले वाले समय में लगभग पांच घंटे की कमी आ जाएगी। इस प्रकार की पहल से सरकार की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति (Act East Policy) द्वारा पूर्वोत्तर और खासतौर से अरुणाचल प्रदेश में तेज़ अवसंरचना विकास के नए द्वार खुलेंगे। सिसेरी नदी पर बने इस पुल से धोला-सादिया पुल के ज़रिये तिनसुकिया से संपर्क स्थापित किया जा सकेगा। इस पुल का निर्माण सीमा सड़क संगठन ( Border Roads Organisation-BRO) की परियोजना ब्रह्मांक (Brahmank) के तहत किया गया है। वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश में BRO की चार परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें वर्तक, अरूणांक, ब्रह्मांक और उद्यांक शामिल हैं। यह पुल सैन्य दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है और ट्रांस अरुणाचल राजमार्ग का भी एक हिस्सा होगा।

  • इन्फैंट्री स्कूल महू में 35वाँ इन्फैंट्री कमांडर सम्मेलन का आयोजन।

इस द्विवार्षिक आयोजन की अध्यक्षता थलसेना प्रमुख द्वारा की गई। इसके दौरान हुआ विचार-विमर्श राष्ट्र की सुरक्षा की उभरती चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटने के लिये इन्फैंट्री के योगदान को सुनिश्चित करने हेतु नवीन विचारों को व्यक्त करता है।इसका उद्देश्य इन्फैंट्री के संचालन,प्रशिक्षण और प्रबंधन पहलुओं की समग्र समीक्षा करना है,जो इसकी भूमिका को बरकरार रखने तथा बढ़ोतरी करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

INS बाज विहंगम दृष्टि
केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह
  • INS बाज़ (INS Baaz)भारतीय सशस्त्र बलों का सबसे दक्षिणी हवाई स्टेशन है।भारतीय नौसेना जहाज़ INS बाज़ को नौसेना में जुलाई 2012 में कमीशन किया गया था। 3,500 फीट के रनवे से सुसज्जित इस जहाज का प्रयोग विमान और मानवरहित वाहनों के लिये किया जाता है। इसके माध्यम से समुद्री डोमेन जागरूकता का प्रसार करना भी शामिल है। वर्तमान में इसको बड़े विमानों के संचालन हेतु सक्षम बनाया गया है। यह अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के दक्षिणी भाग निकोबार द्वीपसमूह की कैम्पबेल खाड़ी में,6 डिग्री चैनल के समीप स्थित है। इस चैनल को ग्रेट चैनल भी कहा जाता है साथ ही यह स्थान सबसे व्यस्तम व्यापारिक मार्गों में से एक है इसलिए इसे पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में खिड़की भी कहा जाता है। यह स्थान मलक्का जलडमरूमध्य के समीप है।

यह भारत के दक्षिणतम बिंदु इंदिरा पॉइंट के निकट है और इंडोनेशिया का बांदा आचेह (Banda Aceh) यहाँ से 250 किमी. से भी कम दूरी पर स्थित है। रणनीतिक महत्त्व:-अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंद महासागर के समुद्री क्षेत्र की निगरानी करने हेतु आवश्यक क्षमता प्रदान करता है।

  • भारत के सबसे पूर्वी गाँव में हवाई पट्टी:- भारतीय वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग ज़िले के विजयनगर नामक गाँव में एक पुनर्निर्मित हवाई पट्टी का उद्घाटन किया है। यह भारत के सुदूर पूर्व में स्थित आखिरी गाँव है।

लगभग 4,000 फीट लंबी इस हवाई पट्टी पर वर्तमान में केवल एएन-32 (AN-32) विमान के संचालन हेतु ही प्रयोग की जा सकती है। यह सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ नहीं है। इस क्षेत्र का सबसे निकटतम शहर मियाओ (Miao) है, जो कि यहाँ से लगभग 157 किमी. दूर है। विजयनगर तीन तरफ म्याँमार से और चौथे हिस्से में नामदफा राष्ट्रीय उद्यान (Namdapha National Park) से घिरा हुआ है। 1960 के दशक में केंद्र सरकार ने असम राइफल्स के 200 से अधिक सेवानिवृत्त जवानों और उनके परिवारों को इस क्षेत्र में बसाया था। गोरखा परिवारों के अतिरिक्त इस क्षेत्र में लिसु जनजाति (Lisu tribe) के लोग भी रहते हैं।

नामदफा राष्ट्रीय उद्यान(Namdapha National Park) भारत और म्याँमार की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग ज़िले में स्थित है। यह दुनिया में एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है जहाँ बड़ी बिल्लियों की चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमे (1) बाघ (Tiger)(2)तेंदुआ (Leopard) (3) हिम तेंदुआ (Snow Leopard) और (4) धूमिल तेंदुए (Clouded Leopard) शामिल हैं।
तंज़ानिया प्रशासनिक शाखा LOC 81692116
  • भारतीय नौसेना प्रशिक्षण बेड़ा(Indian Navy Training Squadron)14 से 17 अक्तूबर, 2019 तक तंज़ानिया का दौरा कर रहा है। इसका उद्येश्य सामाजिक,सांस्कृतिक,राजनीतिक और सैन्य संबंधों को मज़बूत बनाना है।

प्रशिक्षण बेड़े में शामिल पोत:- तीर (Tir),सुजाता और शार्दुल पोत- भारतीय नौसेना। तथा सारथी पोत- भारतीय तटरक्षक बल। भारत का प्रशिक्षण बेड़ा:-

दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के अधीन भारतीय नौसेना का पहला प्रशिक्षण बेड़ा कोच्चि में स्थित है।
यह भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक सहित मित्र देशों के सैनिकों को प्रशिक्षण देता है।
इसके पाठ्यक्रम में सीमैनशिप (Seamanship), नेवीगेशन, शिप-हैंडलिंग (Shiphandling), बोट-वर्क (Boat-Work ) और इंजीनियरिंग इत्यादि का प्रशिक्षण शामिल है।

तंज़ानिया हिंद महासागर के तट पर स्थित पूर्वी अफ्रीका का एक देश है। इसके उत्तर में युगांडा,विक्टोरिया झील और केन्या पूर्व में हिंद महासागर; पश्चिम में बुरुंडी एवं रवांडा तथा दक्षिण-पश्चिम में मोज़ाम्बिक, न्यासा झील,मलावी व ज़ाम्बिया स्थित हैं। हिंद महासागर में स्थित माफिया (Mafiya), ज़ंज़ीबार और पेम्बा द्वीप तंज़ानिया शासित हैं।

इसकी औपचारिक राजधानी डोडोमा,जबकि वास्तविक (de facto) राजधानी दारेस्लाम (Dar es Salaam) है।
  • सागर मैत्री 2(SAGAR MAITRI 2)

हाल ही में ‘सागर मैत्री 2’ (SAGAR MAITRI 2) मिशन के लिये वैज्ञानिक अनुसंधान से जुड़े भारतीय नौसेना के पोत ‘INS सागरध्वनि (INS Sagardhwani) को कोच्चि से रवाना किया गया। ‘INS सागरध्वनि' को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एक प्रमुख प्रयोगशाला, नौसेना भौतिक एवं समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला (Naval Physical and Oceanographic Laboratory- NPOL) कोच्चि द्वारा डिजाइन एवं विकसित किया गया है। यह भारतीय जल में महासागर अनुसंधान प्रयोगों का संचालन करता है और NOPL की समुद्र-संबंधी आँकड़े एकत्रित करके देता है। इसका संचालन भारतीय नौसेना करती है।

सागर मैत्री (SAGAR MAITRI) भारतीय अनुसंधान एवं विकास संगठन की एक अनूठी पहल है। इसका उद्देश्य ‘समुद्री एवं संबंधित अंतरविषयी प्रशिक्षण व अनुसंधान पहल (Marine And Related Intervention Training and Research Initiatives) के तहत अंडमान सागर में एक फोकस के साथ संपूर्ण उत्तरी हिंद महासागर में आँकड़ों का संग्रह करना तथा समुद्र अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में हिंद महासागर क्षेत्र के सभी देशों के साथ दीर्घावधि सहयोग स्थापित करना है। इसीलिये इस मिशन का नाम सागर मैत्री रखा गया है।

भारतीय नौसेना तथा भौतिक एवं समुद्री प्रयोगशाला (NPOL) का यह मिशन दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करेगा और अनुसंधान को बेहतर बनाएगा। भारतीय नौसना और NPOL की सोनार (SONAR) प्रणाली, पानी के अंदर निगरानी प्रौद्योगिकी तथा समुद्री पर्यावरण व समुद्री सामग्री पर संयुक्त रूप से अनुसंधान एवं विकास का कार्य कर रहे हैं।

युद्ध में प्रयुक्त उपकरण-मिसाइल,हेलीकॉप्टर[सम्पादन]

BrahMos cruise missile
  • भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के नवीनतम संस्करण के दो सफल परीक्षण (भूमि और वायु से) किये हैं।

इसका उद्देश्य ब्रह्मोस मिसाइल को नए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के साथ तकनीकी रुप से उन्नत बनाना है।

  1. इसकी वास्तविक रेंज 290 किलोमीटर है परंतु लड़ाकू विमान से दागे जाने पर यह लगभग 400 किलोमीटर तक पहुँच जाती है। भविष्य में इसे 600 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है।
  2. इसे पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट, हवा और ज़मीन से दागा जा सकता है।
  3. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के पहले संस्करण को वर्ष 2005 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
  4. इस मिसाइल का हाइपरसोनिक संस्करण विकसित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसकी गति लगभग 5 मैक से अधिक होगी।
  • ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile)-भारतीय वायुसेना की ब्रह्मोस यूनिट ने अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के ट्राक द्वीप (Trak Island) से सतह-से-सतह पर मार करने वाली दो ब्रह्मोस मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इसका निर्माण भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा रूस के NPOM द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। इसका नामकरण भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोसकवा नदियों के नाम पर किया गया है।
विशेषताएँ:-
  1. वजन 2.5 और Su-30 MKI लड़ाकू विमान पर तैनात किया जाने वाला सबसे भारी हथियार है।
  2. वर्तमान में यह 2.8 मैक की गति के साथ सबसे तेज़ी से संचालित क्रूज़ मिसाइल है,जो ध्वनि की गति से 3 गुना अधिक है।
  3. यह “दागो और भूल जाओ” सिद्धांत पर काम करती है अर्थात दागने के बाद इसके मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती है।
  4. ब्रह्मोस को किसी भी मौसम में भूमि,वायु और समुद्र से सटीकता से दागा जा सकता है।

ब्रह्मोस मिसाइल के अन्य संस्करण:- इससे पहले भारतीय वायुसेना द्वारा पोखरण में ब्रह्मोस मिसाइल के भूमि संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। मई 2019 में भारतीय वायुसेना द्वारा फ्रंटलाइन Su-30MKI लड़ाकू विमान से इसके हवाई संस्करण का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।

  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच 6 AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टर के लिये समझौते पर हस्ताक्षर हुए।

भारतीय वायुसेना और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच वर्ष 2015 में 22 अपाचे हेलीकॉप्टर के लिये समझौता हुआ था। जिसमें से सितबंर 2019 में 8 हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिये गए हैं। इसकी आखिरी खेप मार्च, 2020 में मिलेगी।

यह सेना में पहले से शामिल रूसी हेलीकॉप्टर Mi-35 की जगह लेगा। वर्तमान में आर्मी एविएशन कॉर्प्स के चीता और एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर- ध्रुव का संचालन करती है,जिनका वज़न पाँच टन से कम है।
अपाचे हेलीकॉप्टर विश्व का सबसे एडवांस मल्टी-कॉम्बेट हेलीकॉप्टर है जो सेंसर तथा लेज़र इंफ्रारेड की मदद से रात में भी उड़ान भरने में सक्षम है।

इसमें 2 इंजन होने के कारण यह 280 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ़्तार से उड़ान भरने में सक्षम है तथा इसकी फ्लाईंग रेंज 550 किलोमीटर है। यह 16 एंटीटैंक AGM- 114 हेलफायर और स्ट्रिंगर मिसाइल से लैस है तथा लगभग 1 मिनट में एक साथ 128 टारगेट पर हमला करने में सक्षम है। यह दुश्मन के रडार की पहुँच से बाहर रहने तथा कम ऊँचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। इसके अलावा यह अत्याधुनिक लांगबो फायर कंट्रोल रडार से लैस है। महत्त्व:-

  1. यह भारतीय वायुसेना और नौसेना दोनों के लिये मददगार होगा तथा उनकी मारक क्षमता में वृद्धि करेगा।
  2. भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण में महत्त्वपूर्ण कदम है।
  3. भारत में रक्षा बजट का 35% विमान खरीद पर खर्च होता है।
  4. राफेल, तेजस और 15 चिनूक हेलीकॉप्टर भी बेड़े में शामिल होंगे।
  5. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में खतरे को लेकर सजगता।

चीता हेलीकॉप्टर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा डिज़ाइन किया गया उच्च प्रदर्शन वाला हेलीकॉप्टर है। यह एक ईंजन वाला टर्बोशैफ्ट FAC हेलिकॉप्टर है। इसकी 3 यात्रियों या 100 किलोग्राम बाह्य स्लिंग लोड वहन क्षमता है। इसकी अधिकतम क्रूज गति 121 किलोमीटर प्रति घंटा है।

एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर- ध्रुव स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित तथा ट्विन इंजन,मल्टीरोल,मल्टी मिशन,5.5-टन वज़न के वर्ग का हेलिकॉप्टर है।

ध्रुव एमके-I, एमके-II, एमके-III और एमके-I इसके प्रमुख प्रकार हैं।

  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)द्वारा विकसित ओडिशा के चाँदीपुर तट के निकट स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से पिनाका निर्देशित रॉकेट प्रणाली के उन्नत संस्करण का परीक्षण किया गया।

पिनाका आर्टिलरी मिसाइल प्रणालीहै,जिसकी मारक क्षमता 75 किलोमीटर है। पिनाका के उन्नत संस्करण में नौसंचालन,नियंत्रण और दिशा-प्रणाली जोड़ी गई हैं,ताकि उसकी सटीकता और रेंज में वृद्धि हो सके। इसकी रेंज की ट्रैकिंग,दूरमापी (Telemetry),रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेटिंग प्रणाली (Electro-optical targeting system- EOTS) से की जाती है।

मिसाइल प्रणाली को DRDO की विभिन्न प्रयोगशालाओं ने विकसित किया है-
  1. आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (Laboratories Armament Research & Development Establishment- ARDE)
  2. अनुसंधान केन्द्र इमारत (Research Centre Imarat- RCI)
  3. रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (Defence Research and Development Laboratory- DRDL)
  4. प्रूफ एवं प्रयोगात्मक संगठन (Proof & Experimental Establishment- PXE)
  5. उच्च ऊर्जा पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला (High Energy Materials Research Laboratory- HEMRL)

लाभ:-यह सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित कार्रवाई मिसाइल (Quick Reaction Surface-to-Air Missile- QRSAM) मैदानी और अर्द्ध-रेगिस्तानी इलाकों में सैन्य टुकड़ियों के लिये सहायक सिद्ध होगी। यह दुश्मन की उन मिसाइलों को भी निशाना बनाने में कारगर साबित होगी जो नज़दीक आकर अचानक लुप्त हो जाती हैं। इन मिसाइलों के सफल परीक्षण से भारत की सुरक्षा स्थिति मजबूत होगी।

बोइंग AH-64E अपाचे(30874933072)
  • एएच-64ई अपाचे(AH-64E Apache) लड़ाकू हेलीकॉप्टर को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। भारतीय वायु सेना ने 22 अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के लिये बोइंग कंपनी और अमेरिकी सरकार के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर सितंबर 2015 में किये गये थे। अब तक 8 हेलीकॉप्टर समय पर भारत को प्राप्त हो गए हैं, हेलीकॉप्टर की अंतिम खेप मार्च 2022 तक दी जाएगी।

भारत द्वारा Mi-35 बेड़े के स्थान पर अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की खरीदारी की जा रही है। एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों, हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइलों तथा रॉकेटों पर निशाना साधने के अतिरिक्त अपाचे हेलीकॉप्टर में आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (Electronic Warfare- EW) क्षमताएँ विद्यमान हैं। अपाचे हेलीकॉप्टर विश्व भर में ऐतिहासिक कार्रवाइयों का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। साथ ही इन हेलीकॉप्टरों को भारतीय वायुसेना की मांग के अनुरूप बनाया गया है। ये हेलीकॉप्टर अनेक हथियारों की डिलीवरी करने में सक्षम हैं। इनमें हवा से ज़मीन पर मार करने वाले हेलफायर मिसाइल (Hellfire Missiles), 17 मिमी. हाइड्रा रॉकेट (Hydra rockets) और हवा-से-हवा में मार करने वाली स्टिंगर मिसाइल (Stinger Missiles) शामिल है। अपाचे हेलीकॉप्टर में 30 मिमी. चेनगन (Chain Gun) के साथ ही फायर कंट्रोल राडार भी है, जो 360 डिग्री का कवरेज़ प्रदान करता है और इसमें नाइट विज़न प्रणाली भी शामिल है। इस हेलीकॉप्टर का रख-रखाव करना भी आसान है और यह उष्णकटिबंधीय तथा रेगिस्तानी क्षेत्रों में संचालन हेतु सक्षम है।

  • LCU L-56’ युद्धपोत का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा किया गया है। यह आठ स्वदेश निर्मित लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी (Landing Craft Utility- LCU) MK IV श्रेणी में से 6वाँ जहाज़ है। यह कलकता स्थित मिनी रत्न श्रेणी-1 तथा देश का अग्रणी पोत कारखाना गार्डेन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड का 100वाँ युद्ध पोत है।

LCU Mk-IV का प्रमुख कार्य जहाज़ से तट तक तथा प्रमुख लड़ाकू टैंकों, बख्तरबंद गाडि़यों, टुकडि़यों और उपकरणों को ले जाना है। अंडमान एवं निकोबार कमांड में स्थित इस पोत की तैनाती किनारे के संचालन, बचाव राहत कार्य, आपदा राहत कार्य,आपूर्ति तथा भरपाई और दूर के द्वीपों से निकासी में की जाती है। LCU Mk-IV युद्ध पोत में आत्मनिर्भरता तथा स्वदेशीकरण के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के अनुरूप 90 प्रतिशत कलपुर्जें स्वदेशी हैं। यह लैंडिंग कार्य के दौरान तोप दागने में सहायक दो स्वदेशी CRN 91 तोपों से लैस है। इसमें अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं और एकीकृत ब्रीज प्रणाली (Integrated Bridge System-IBS) तथा एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली (Integrated Platform Management System-IPMS) जैसी अग्रिम प्रणालियाँ लगाई गई है। ‘LCU L-56’ के सेना में लिये जाने से अंडमान निकोबार कमांड की समुद्री तथा मानवीय सहायता एवं आपदा राहत क्षमता में वृद्धि होगी।

मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल
  • मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल(Man Portable Antitank Guided Missile-MPATGM)- 11 सितंबर 2019 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा देश में ही विकसित कम वज़न की, दागो और भूल जाओ की तकनीक वाली मैन पोर्टेबल (मनुष्यों द्वारा उठाई जा सकने वाली) एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में सफल परीक्षण किया।

मिसाइल को एक मैन पोर्टेबल ट्राइपॉड लॉन्चर से दागा गया। परीक्षण के दौरान मिशन के सभी उद्देश्य हासिल किये गए। यह MPATGM का तीसरा सफल परीक्षण है। उन्नत उड़ान खूबियों के साथ यह मिसाइल अत्याधुनिक इंफ्रारेड इमेजिंग सीकर (Infrared Imaging Seeker) से लैस है। इस परीक्षण ने सेना के लिये तीसरी पीढ़ी की स्वदेशी मैन पोर्टबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हासिल करने का रास्ता बना दिया है।

  • नाग मिसाइल स्वदेशी रूप से निर्मित तीसरी पीढ़ी की टैंक भेदी मिसाइल है। इसको दागे जाने के बाद रोका नहीं जा सकता है अर्थात् यह ‘दागो और भूल जाओ’ (fire and forget) के सिद्धांत पर आधारित है।

इसका परीक्षण पोखरण की टेस्ट फायरिंग रेंज में किया गया तथा परीक्षण के दौरान मिसाइल का दिन और रात दोनों समय टेस्ट फायर किया गया। यह दिन और रात में बराबर क्षमता के साथ दुश्मन के टैंकों पर आक्रमण कर सकती है और युद्ध में दुश्मनों के टैंक को चार किलोमीटर दूर से ही ध्वस्त करने की क्षमता रखती है। इसको आधुनिक युद्धक टैंकों और बख्तरबंद लक्ष्यों को भेदने के लिये तैयार किया गया है। नाग मिसाइल को भारतीय रक्षा मंत्रालय के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Programme-IGMDP) के तहत स्वदेशी रूप से विकसित की गई पाँच मिसाइलों में से एक है। इसके अंतर्गत 4 अन्य मिसाइल है:-अग्नि, आकाश, त्रिशूल और पृथ्वी।

नाग के हेलीकाप्टर संस्करण को हेलीना (HELINA) नाम दिया गया है जिसे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित HALरूद्र और ध्रुव हेलीकाप्टर से प्रक्षेपित किया जा सकता है।इसकी रेंज 500 मीटर से 4 किलोमीटर तक है।
  • स्ट्रम अटाका एंटी -टैंक मिसाइल रूस से प्राप्त करने हेतु 200 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत इसका प्रयोग Mi-35 अटैक हेलीकॉप्टर्स(रूस से निर्यातित) के अपने बेड़े के लिए करेगा। आपातकालीन खण्डों के तहत हस्ताक्षरित इस समझौते के तहत अनुबंध पर हस्ताक्षर के 3 माह के भीतर इन मिसाइलों की आपूर्ति की जाएगी।

सरकार ने पुलवामा हमले के पश्चात् प्रति माह 300 करोड़ रुपये की लागत से तीन माह के भीतर आवश्यक उपकरणों की खरीद के लिए तीनों सेवाओं को आपातकालीन अधिकार प्रदान किए हैं।

इसके तहत वायुसेना द्वारा इजराइल से स्पाइस-2000 स्टैंड ऑफ वेपन सिस्टम की खरीद की गई। सेना फ्रांस से स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और रूस से इगला-एस एयर डिफेंस मिसाइल प्राप्त की प्रक्रिया में है।
  • अस्त्र भारत की पहली स्वदेश निर्मित दृश्य सीमा से परे हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है।

DRDO द्वारा विकसित इस मिसाइल में ठोस ईंधन प्रणोदक का इस्तेमाल किया गया है।

  • मार्च 2019 में एंटी-सैटलाइट मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण और हाल ही में ‘ट्राई सर्विस डिफेंस स्पेस एजेंसी’की शुरुआत करने के पश्चात् भारत पहली बार 'IndSpaceEx' सिमुलेटेड (कृत्रिम/बनावटी) अंतरिक्ष युद्ध-अभ्यास (Simulated Space Warfare Exercise) की योजना बना रहा है। [१]

यह अभ्यास मूल रूप से एक ‘टेबल-टॉप वॉर-गेम’ (‘Table-Top War-Game’) होगा,जिसमें सैन्य और वैज्ञानिक समुदाय के लोग हिस्सा लेंगे। किंतु टेबल-टॉप वॉर-गेम होने के बावजूद यह अभ्यास उस गंभीरता को रेखांकित करता है जिसके तहत भारत चीन जैसे देशों से अपनी अंतरिक्ष परिसंपत्तियों की रक्षा और संभावित खतरों से मुकाबला में करने की आवश्यकता पर विचार कर रहा है। इन गतिविधियों के मद्देनज़र भारत द्वारा इस अंतरिक्ष युद्धाभ्यास को करने का प्रमुख लक्ष्य अंतरिक्ष में अपनी स्थिति को और मज़बूत बनाना है।इसके साथ ही अंतरिक्ष में रणनीतिक चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने में सहायता प्राप्त होगी जिनकी वर्तमान परिवेश में अत्यंत आवश्यकता है।

  • विराट एक सेंतौर श्रेणी (Centaur class) का विमान वाहक पोत है जिसे नवंबर 1959 में ब्रिटिश नौसेना में तैनात किया गया था।ब्रिटिश नौसेना में इसका नाम एच.एम.एस. हर्मस (HMS Hermes) था।

यह लगभग 25 सालों तक ब्रिटिश नौसेना में कार्यरत रहा और फिर अप्रैल 1984 में इसे सेवा से मुक्त कर दिया गया, जिसके पश्चात् मई 1987 में इसका आधुनिकीकरण किया गया और इसे भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया। वर्ष 2017 में भारतीय नौसेना ने भी इसे सेवानिवृत्त कर दिया था।

  • वरुणास्त्र स्वदेशी,हेवीवेट ऐंटी सबमरीन इलेक्ट्रिक टारपीडो नौसेना में शामिल किया गाय। ऐसा करके भारत उन आठ देशों में शामिल हो गया। इसको राजपूत वर्ग और दिल्ली वर्ग के विध्वंसक पोतों तथा इसके अतिरिक्त इसे भविष्य में विकसित होने वाले उन सभी पनड़ुब्बी-रोधी युद्धक पोतों से दागा जा सकेगा,जो अधिक वजन वाले टॉरपीडो को दागने में सक्षम होंगे।

इसका विकास DRDO की एक प्रमुख प्रयोगशाला नौसेना विज्ञान और तकनीकी प्रयोगशाला द्वारा किया गया है तथा भारत डायनामिक्स लिमिटेड(BDL)द्वारा इस हथियार प्रणाली का निर्माण किया गया है। भारत का प्रयोजन हैवीवेट टारपीडो को अपने मित्र देशों को विक्रय करने का है।

  • ऑपरेशन संकल्प :-अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और समुद्री सुरक्षा से संबंधित हालिया घटनाओं को देखते हुए भारतीय नौसेना ने ओमान की खाड़ी और फारस की खाड़ी (Persian Gulf) में इसकी शुरुआत की।

इसके तहत भारतीय नौसेना ने ओमान और फारस की खाड़ी में INS चेन्नई और INS सुनयना युद्धपोत तैनात किये हैं जिनका मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में मौजूद और वहाँ से गुजरने वाले भारतीय पोतों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके अलावा भारतीय नौसेना के विमान क्षेत्र में हवाई निगरानी भी की जा रही है। सूचना समेकन केंद्र- हिंद महासागर क्षेत्र (The Information Fusion Centre - Indian Ocean Region) जिसे भारतीय नौसेना द्वारा गुरुग्राम में दिसंबर 2018 में लॉन्च किया गया था, खाड़ी क्षेत्र में जहाज़ों की आवाजाही पर कड़ी नज़र रख रहा है।

  • भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने मानव रहित स्क्रैमजेट हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉस्ट्रेटर व्हीकल (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle-HSTDV) का पहला सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण बालासोर (ओडिशा) स्थित डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप के एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से किया गया। 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़नेवाले विमान को हाइपरसोनिक विमान कहते हैं। भारत के एचएसटीडीवी का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था। इसका उपयोग मिसाइल और सैटेलाइट लॉन्च करने तथा कम लागत पर उपग्रह लॉन्च करने के लिए भी किया जा सकता है।[२]
मध्यपूर्व एशिया
  • नौसेना ने ओमान के सलालाह से समुद्री डकैती को रोकने हेतु ‘P-8I’ लॉन्ग रेंज मेरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट’ तैनात किया है। नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मिशन आधारित तैनाती के तहत अदन की खाड़ी (Gulf of Aden) में गश्त करने के लिये यह कदम उठाया है।[३]

MBD अवधारणा के तहत,नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में हर चोक पॉइंट पर किसी भी समय एक जहाज़ तैनात रखती है।2008 से,भारत व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी (Anti-Piracy) गश्त कर रहा है। P-8I विमान:-‘P-8I लंबी दूरी की पनडुब्बी-रोधी वारफेयर,एंटी-सरफेस वारफेयर (anti-surface warfare), इंटेलिजेंस,सर्विलांस और टोही विमान’ हैं और व्यापक क्षेत्र (Broad Area), तटीय तथा समुद्री परिचालन में सक्षम हैं। लॉन्ग रेंज पनडुब्बी रोधी, सतह रोधी , खुफिया, निगरानी और टोही विमानों का उपयोग समुद्री और तटीय युद्ध कार्रवाइयों के लिये किया जाता है। हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में सभी महत्त्वपूर्ण चोक पॉइंट्स पर निगरानी रखने के लिये भारत ने वर्ष 2012 में अमेरिका से 12 ‘P-8I’ समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी विमानों का 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर में सौदा किया था।

  • शैलो रडार (Shallow Radar-SHARAD)

शैलो रडार वांछित रीज्योलूशन प्राप्त करने हेतु 15-25 मेगाहर्ट्ज़ आवृत्ति वाली रडार तरंगों का उपयोग करते हुए सतह की छानबीन करता है। SHARAD ऐसी रडार तरंगों का उत्सर्जन करता है जो मंगल की सतह के 1.5 मील नीचे तक प्रवेश कर सकती हैं। रडार द्वारा छोड़ी गई तरंगे परावर्तित होकर वापस आएंगी जिन्हें SHARAD एंटीना द्वारा कैप्चर किया जाएगा। ये तरंगे चट्टान, रेत सतह और उपसतह में मौजूद जल की विद्युत-परावर्तन विशेषताओं में होने वाले परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होती हैं। जल किसी उच्च घनत्व वाली चट्टान की तरह बहुत संवहनीय होता है और राडार द्वारा छोड़ी गई तरंगों को अच्छी तरह परावर्तित करता है। SHARAD इटालियन स्पेस एजेंसी (Italian Space Agency-ASI) द्वारा प्रदान की गई थी।

कॉम्बेट मिशन की योग्‍यता हासिल करने वाली पहली महिला पायलट-फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ भारतीय वायुसेना की पहली ऐसी महिला पायलट बन गई हैं जिन्होंने फाइटर जेट में कॉम्बेट मिशन (Combat Missions) पर जाने की योग्‍यता हासिल की है।

भावना कंठ ने ‘Operational By Day’ मिग-21 बाइसन (MiG-21 ‘Bison’) एयरक्राफ्ट पर कॉम्बेट मिशन में भाग लेने हेतु ऑपरेशनल सिलेबस पूरा कर लिया है। ‘Operational By Day’ के लिये पायलट को अपने सिलेबस को पूरा करना होता है, जो उन्हें दिन के दौरान उड़ान भरने के लिये उचित घोषित करता है। रात्रि के समय किये जाने वाले अभियानों के प्रशिक्षण के पश्चात् भावना को रात में भी फाइटर जेट में युद्धक मिशन पर जाने की अनुमति मिल जाएगी। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, थल सेना में 3.80%, वायु सेना में 13.09% और नौसेना 6% महिलाएँ कार्यरत हैं। इस वर्ष सरकार ने तीनों सेनाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्त्व को बढ़ाने के उद्देश्य से उन्हें सैन्य पुलिस में शामिल करने की योजना बनाई है।

ब्रह्मोस का हवाई संस्करण-भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) ने अपने अग्रिम पंक्ति के एसयू-30 एमकेआई (Su-30 MKI) लड़ाकू विमान से सफलतापूर्वक ब्रह्मोस हवाई प्रक्षेपित मिसाइल का परीक्षण किया है।

हवाई प्रक्षेपित 2.5 टन की ब्रह्मोस मिसाइल हवा से जमीन पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल (Cruise Missile) है, जिसकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर है। बीएपीएल (BrahMos Aerospace Pvt. Ltd) ने इसका डिज़ाइन तैयार करने के साथ-साथ इसे विकसित भी किया है। 22 नवंबर, 2017 को इस श्रेणी की जमीन पर हमला करने में सक्षम (समुद्र पर लक्षित)2.8 मैक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण करनेवाला भारतीय वायुसेना दुनिया की पहली वायुसेना बन गई है। विमान में इस प्रकार के हथियार को जोड़ना एक जटिल प्रक्रिया थी, क्योंकि इसके लिये विमान में मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और सॉफ्टवेयर सुधार किये जाने की आवश्यकता थी। विमान के सॉफ्टवेयर को विकसित करने का काम भारतीय वायुसेना के इंजीनियरों ने किया, जबकि एचएएल (Hindustan Aeronautics Limited) ने मैकेनिकल और इलेक्ट्रोनिकल सुधार किए। भारतीय वायुसेना, डीआरडीओ (Defence Research and Development Organisation), बीएपीएल और एचएएल के समर्पित प्रयासों ने ऐसे जटिल कार्यों को हाथ में लेने की देश की क्षमता को साबित कर दिया है। ब्रह्मोस मिसाइल दिन अथवा रात तथा हर मौसम में भारतीय वायुसेना को समुद्र अथवा जमीन पर किसी भी लक्ष्य को भेदने की क्षमता प्रदान करता है।


१३ मई २०१९ को गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में भारत ने लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम (LTTE) पर लगे प्रतिबंध को पाँच साल के लिये बढ़ा दिया है।भारत हर दो साल के लिए लिट्टे पर प्रतिबंध लगाता है और दो साल बाद उसे बढ़ा दिया जाता है।[४] वर्ष 1972 में वेलुपिल्लई प्रभाकरन ने तमिल न्यू टाइगर नाम का एक संगठन शुरू किया जिसमें युवा स्कूली बच्चे शामिल किये गए थे। वर्ष 1976 में संगठन का नाम बदलकर लिबरेशन टाइगर ऑफ़ तमिल ईलम रखा गया। वर्ष 1976 में ही विलिकाडे नरसंहार को अंजाम देकर LTTE एक कुख्यात संगठन के तौर पर मशहूर हो गया था। इस संगठन का नेता वेल्लुपिल्लई प्रभाकरन था। वर्ष 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद 14 मई 1992 को भारत में LTTE पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि भारत सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के तहत LTTE को गैर-कानूनी संगठन घोषित किया था। इसके लिये सरकार ने LTTE पर प्रतिबंध को लेकर अपनी 2015 की अधिसूचना को नवीनीकृत किया है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation-DRDO) ने ओडिशा के चांदीपुर में हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टार्गेट (High-speed Expendable Aerial Target- HEAT) 'ABHYAS' का सफल परीक्षण किया। यह एक मानव रहित हवाई वाहन है जो माइक्रोइलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम (Microelectromechanical Systems- MEMS) नेविगेशन प्रणाली पर आधारित है। यह नेविगेशन और मार्गदर्शन के लिये स्वदेशी रूप से विकसित MEMS-आधारित नेविगेशन प्रणाली का उपयोग करता है। MEMS- आधारित INS (जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली) का इस्तेमाल छोटे मानव रहित हवाई वाहनों (Unmanned Aerial Vehicles) में किया जाता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अनुसार, ABHYAS ड्रोन के परीक्षण को विभिन्न राडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिक सिस्टम द्वारा ट्रैक किया गया और सही तरीके से नेविगेशन मोड में रखा गया था। 'ABHYAS' ड्रोन को ऑटोपायलट मोड में स्वतंत्र उड़ान हेतु डिज़ाइन किया गया है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट(SIPRI) ने वैश्विक स्तर पर होने वाले सैन्य खर्च के आँकड़े प्रस्तुत किये हैं। सेना पर खर्च के मामले में भारत वर्ष 2018 में दुनिया में चौथे स्थान पर तथा वर्ष 2017 में पाँचवे स्थान पर था। वर्ष 2018 में भारत ने अपने सैन्य खर्च को 3.1 प्रतिशत बढ़ाकर3.7% 66.5 बिलियन डॉलर कर दिया। वर्ष 2018 में वैश्विक स्तर पर कुल सैन्य खर्च में भारत का हिस्सा 3.7% था। वर्ष 2018 में वैश्विक स्तर पर कुल सैन्य खर्च का 60% हिस्सा शीर्ष पाँच देशों का था। सेना पर सबसे ज़्यादा खर्च करने वाले शीर्ष पाँच देश इस प्रकार हैं-

  1. अमेरिका
  2. चीन
  3. सऊदी अरब
  4. भारत
  5. फ्राँस

सीमा सड़क संगठन (Border Road Organization-BRO) ने 7 मई, 2019 को अपना 59वाँ स्थापना दिवस मनाया। 7 मई, 1960 को स्थापित सीमा सड़क संगठन रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक प्रमुख सड़क निर्माण एजेंसी है। यह संगठन सीमा क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह पूर्वी और पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में सड़क निर्माण और इसके रखरखाव का कार्य करता है ताकि सेना की रणनीतिक ज़रूरतें पूरी हो सकें। संगठन पर 53,000 किलोमीटर सड़कों की ज़िम्मेदारी है।इसने भूटान, म्याँमार, अफगानिस्तान आदि मित्र देशों में भी सड़कों का निर्माण किया है। सीमा सड़क संगठन की भूमिका शांतिकाल में- सीमावर्ती इलाकों में जनरल स्टाफ की ऑपरेशनल सड़कों का विकास व रखरखाव तथा सीमावर्ती राज्यों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान में योगदान करना। युद्धकाल में-पुनःतैनाती वाले इलाकों में नियंत्रण रेखा के लिये सड़क का विकास व देखभाल करना। साथ ही सरकार द्वारा युद्धकाल के दौरान विनिर्दिष्ट अन्य अतिरिक्त कार्यों का निष्पादन करना।

स्‍कॉर्पीन श्रेणी की चौथी पनडुब्बी ‘वेला’ (VELA)को मुंबई में लॉन्च किया गया[सम्पादन]

इसका उद्देश्य सामरिक दृष्टि से समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा क्षमता को बढ़ावा देना है। इस पनडुब्बी को परीक्षणों के बाद इसे नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा। ‘वेला’ भारत में फ्राँसीसी सहयोग से निर्मित की जा रही छह अंतर्जलीय युद्धपोतों में से चौथी है। मझगांव डॉक शिपबिल्‍डर्स लिमिटेड द्वारा इस पनडुब्‍बी का निर्माण मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है जिसे रक्षा उत्‍पाद विभाग सक्रियता से लागू कर रहा है। स्‍कॉर्पीन वर्ग की पनडुब्बियाँ किसी आधुनिक पनडुब्बी के सभी कार्य करने में सक्षम हैं, जिसमें एंटी-सर्फेस और एंटी-सबमरीन युद्ध शामिल हैं।

प्रोजेक्ट 75 के तहत मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई द्वारा स्कॉर्पिन वर्ग की छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है। स्कॉर्पिन वर्ग की पनडुब्बियाँ परंपरागत रूप से डीज़ल-इलेक्ट्रिक इंजनों से चलने वाली पनडुब्बियाँ हैं। इसके लिये अक्तूबर 2005 में फ्राँस के नेवल ग्रुप के साथ समझौता किया गया था, जो स्कॉर्पिन श्रृंखला की पनडुब्बियों के निर्माण और आवश्यक तकनीकी हस्तांतरण में सहायता कर रहा है। हालाँकि निर्माण कार्य में विलंब के चलते इस कार्यक्रम में चार साल की देरी हुई है। 14 दिसंबर, 2017 को स्कॉर्पिन श्रेणी की पहली पनडुब्बी ‘आईएनएस कलवारी’ को आधिकारिक रूप से भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। दूसरी स्कॉर्पिन पनडुब्बी ‘आईएनएस खांदेरी’ जनवरी 2017 में लॉन्च की गई थी। शेष दो पनडुब्बियाँ- वागीर (Vagir) और वाग्शीर (Vagsheer) अभी निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं, जिन्हें 2020 तक पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।


20 अप्रैल को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में प्रोजेक्ट 15B के तीसरे पोत,गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर इम्फाल का जलावतरण किया गया। 3037 टन वज़नी इस युद्धपोत में बेहतर स्टील्थ विशेषताओं को शामिल करने के साथ-साथ रडार पारदर्शी डेक फिटिंग्स का उपयोग भी किया गया है। इससे इन युद्धपोतों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। यह युद्धपोत भी अपने पूर्ववर्ती युद्धपोतों की भांति नौसेना डिज़ाइन निदेशालय द्वारा स्वदेश में तैयार किया गया है। प्रोजेक्ट 15B के सभी युद्धपोतों को अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस किया जाता है, जिसमें बहुउद्देशीय निगरानी रडार, समुद्री और हवाई लक्ष्यों को भेदने वाली मिसाइल प्रणाली शामिल हैं। प्रत्येक युद्धपोत की लंबाई 163 मीटर है और इनमें 30 नॉटिकल मील से अधिक की गति देने के लिये चार गैस टर्बाइनों का उपयोग किया जाता है। प्रोजेक्ट 15B युद्धपोतों में दो बहु-आयामी हेलीकॉप्टरों को संचालित करने की भी सुविधा उपलब्ध है।

भारतीय नौसेना के दो जहाज़ INS कोलकाता और INS शक्ति चीन के किंगदाओ में आयोजित होने वाली अंतर्राष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू में हिस्सा लेंगे। यह फ्लीट रिव्यू पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी की 70वीं वर्षगाँठ के अवसर पर इस महीने के अंत में आयोजित होने वाले समारोह का एक हिस्सा है।पाकिस्तान की नौसेना इस फ्लीट रिव्यू में भाग नहीं ले रही है।INS कोलकाता नौसैनिक युद्ध के सभी आयामों में खतरों से निपटने के लिये अत्याधुनिक हथियारों और संवेदकों से लैस है। INS शक्ति एक पुनःपूर्ति जहाज़ है जो 27000 टन से अधिक माल को स्थानांतरित करने वाले सबसे बड़े टैंकरों में से एक है। यह 15 हज़ार टन तरल माल तथा खाद्यानों एवं गोला बारूद सहित 500 टन से अधिक ठोस माल ढोने में सक्षम है। क्या है अंतर्राष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू? अंतर्राष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू (International Fleet Review:IFR) नौसेना के जहाज़ों, विमानों एवं पनडुब्बियों की एक परेड है और इसका आयोजन राष्ट्रों द्वारा सद्भावना को बढ़ावा देने, सहयोग को मज़बूत बनाने और उनकी संगठनात्मक क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिये किया जाता है। IFR विश्व की नौसेनाओं के लिये उनकी क्षमता और स्वदेशी जहाज़ डिज़ाइन तथा जहाज़ निर्माण क्षमताओं को एक वैश्विक/अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रदर्शित करने हेतु एक आदर्श मंच का भी काम करती है। भारत द्वारा फरवरी 2016 में विशाखापट्टनम में आयोजित दूसरे IFR में लगभग 100 युद्धक जहाज़ों के साथ 50 नौसेनाओं ने भाग लिया था। अप्रैल में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने देश में विकसित लंबी दूरी तक मार करने वाली सब-सोनिक क्रूज़ मिसाइल ‘निर्भय’ का चांदीपुर, ओडिशा स्थित परीक्षण स्थल से सफल परीक्षण किया है।[५] मिसाइल को लंबवत छोड़ा गया और इसके बाद वह क्षितिज के समांतर दिशा में बढ़ गई, इसके पश्चात् मिसाइल के बूस्‍टर अलग हो गए, पंख प्रभावी तरीके से काम करने लगे, इंजन चालू हो गया और मिसाइल ने सभी नियत दिशाओं में भ्रमण किया। मिसाइल ने काफी कम ऊँचाई पर क्रूज़ की जहाज़-रोधी मिसाइल तकनीक का प्रदर्शन किया। इस दौरान पूरे समुद्र तट पर तैनात किये गए इलेक्‍ट्रो ऑप्टिकल ट्रेकिंग प्रणालियों, राडारों और ज़मीनी टेलीमेट्री प्रणालियों की सहायता से पूरी उड़ान पर नज़र रखी गई। इस मिशन के सभी उद्देश्‍य पूरे कर लिये गए।

नौसेना डिज़ाइन निदेशालय (समतल जहाज़ समूह),नई दिल्ली में पहला उत्कृष्ट वर्चुअल रियलिटी सेंटर (Virtual Reality Centre) का उद्घाटन किया गया

  • भारत सरकार की पहल ‘मेक इन इंडिया’ के तहत युद्धपोत के निर्माण में यह आत्मनिर्भरता और उत्साह को बढ़ाते हुए भारतीय नौसेना की देशी युद्धपोत डिज़ाइन क्षमता में वृद्धि करेगा।
  • इस परियोजना से डिज़ाइनरों और उपभोक्ताओं के बीच लगातार बातचीत के ज़रिये सहयोगपूर्ण डिज़ाइन की समीक्षा करने की सुविधा मिलेगी,जिससे डिज़ाइन और युद्धपोत पर कर्मचारियों हेतु अनुकूल माहौल प्राप्त होगा।[६]
  • नौसेना डिज़ाइन निदेशालय (Directorate of Naval Design) की शुरुआत 1960 में हुई थी और तब से निदेशालय ने युद्धपोत के डिज़ाइन और निर्माण में आत्मनिर्भरता बढ़ाते हुए देशी युद्धपोत डिज़ाइन की क्षमता में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है।
  • निदेशालय ने अब तक 19 युद्धपोत डिज़ाइन विकसित किये हैं जिनमें अब तक 90 से अधिक प्लेटफॉर्म का निर्माण हो चुका है।

क्लाउड हनीपॉट्स Cloud Honeypots[सम्पादन]

सोफोस (एक आईटी सुरक्षा कंपनी) ‘एक्सपोज्ड: साइबर अटैक ऑन क्लाउड हनीपोट्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, हनीपॉट्स के वैश्विक नेटवर्क पर पाँच मिलियन से अधिक बार हमले के प्रयास किये गए। मुंबई क्लाउड सर्वर हनी पॉट पर साइबर अपराधियों ने एक महीने में 678,000 से अधिक बार हमले के प्रयास किये, जो अमेरिका में ओहियो (950,000 से अधिक लॉगिन के प्रयास) के बाद दूसरा सबसे बड़ा हमला था। हनी पॉट कंप्यूटर की शब्दावली में हनी पॉट सुरक्षा का एक तंत्र है जिसे खामियों का पता लगाने, विक्षेपण करने या कुछ परिस्थितियों में सूचना प्रणालियों के अनधिकृत उपयोग पर काउंटर अटैक के लिये उपयोग में लाया जाता हैं। साइबर हमलावरों को चक्रव्यूह में फँसाने के लिये हनीपॉट्स का इस्तेमाल किया जाता है। हमले के दौरान हनी पॉट ऐसा व्यूह रचता है जिससे हमलावर को ऐसा प्रतीत हो कि उसने नेटवर्क में प्रवेश कर लिया है। इसी दौरान नेटवर्क रक्षकों को उचित समय मिल जाता है जिससे वे खतरे के विश्लेषण के साथ ही उसे रोकने के लिये उपयुक्त उपाय कर पाते हैं।

  • धनुष:स्वदेशी बोफोर्स

आयुध निर्माणी बोर्ड (Ordnance Factory Board- OFB) ने स्वदेशी तकनीकी से निर्मित छह धनुष तोपों की पहली खेप सेना को सौंपी। जबलपुर के गन कैरिज फैक्ट्री में एक समारोह में ये तोपें सौंपी गईं। ‘धनुष’ 1980 के दशक में खरीदे गए स्वीडिश बोफोर्स तोप की स्वदेशी रूप से विकसित उन्नत तोप है।[७] इससे भारत की आर्टिलरी गन के लिये दूसरे देशों पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी।रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस तोप का लगभग 81% तक स्वदेशीकरण पहले ही किया जा चुका है।

2019के अंत तक तोप का स्वदेशीकरण स्तर 91% हो जाएगा।धनुष तोप का निर्माण गन कैरिज फैक्ट्री की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

धनुष:-155 मिमी,45-कैलिबर वाली तोप है जिसकी रेंज 36 किमी. है और इसमें विशेष गोला बारूद के साथ 38 किमी. की रेंज प्रदर्शित की गई है।यह मौजूदा 155 मीटर, 39 कैलिबर बोफोर्स FH 77 तोप का उन्नत संस्करण है।

  • सिसेरी नदी पुल का उद्घाटन रक्षामंत्रालय द्वारा किया गया। अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी को सियांग से जोड़नेवाले इस पुल की लंबाई 200 मीटर है जो जोनाई-पासीघाट-राणाघाट-रोइंग (Jonai-Pasighat-Ranaghat-Roing) सड़क के बीच बना है।इस पुल के बन जाने से पासीघाट से रोइंग की यात्रा में लगने वाले वाले समय में लगभग पांच घंटे की कमी आ जाएगी।
इस हल से सरकार की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति (Act East Policy) द्वारा पूर्वोत्तर और खासतौर से अरुणाचल प्रदेश में तेज़ अवसंरचना विकास के नए द्वार खुलेंगे।
सिसेरी नदी पर बने इस पुल से धोला-सादिया पुल के ज़रिये तिनसुकिया से संपर्क स्थापित किया जा सकेगा।
इस पुल का निर्माण सीमा सड़क संगठन ( Border Roads Organisation-BRO) की परियोजना ब्रह्मांक (Brahmank) के तहत किया गया है।
वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश में BRO की चार परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें वर्तक, अरूणांक, ब्रह्मांक और उद्यांक शामिल हैं।
यह पुल सैन्य दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है और ट्रांस अरुणाचल राजमार्ग का भी एक हिस्सा होगा।

आतंकवाद[सम्पादन]

  • भारत ने 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में "अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक अभिसमय" (The Comprehensive Convention on International Terrorism-CCIT) को स्वीकार किये जाने का प्रस्ताव रखा था।
  • अक्टूबर में एंटी टेररिस्ट स्क्वाड के प्रमुखों की एक बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने आतंकवाद पर मीडिया कवरेज को लेकर पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्ग्रेट थैचर (Margret Thatcher) के बयान का उल्लेख किया।

जून 1985 में हिज़बुल्लाह के आतंकवादियों ने ट्रांस वर्ल्ड एयरलाइन्स के एक हवाईजहाज को अगवा कर लिया था जिसमे 150 यात्री सवार थे। इस प्रकरण में अगवा किये गए यात्रियों को इजराइल की जेलों में बंद आतंकवादियों के बदले में छोड़ा गया। इस घटना को पूरी दुनिया की मीडिया ने कवर किया था।

मार्ग्रेट थैचर ने कहा था, “आतंकवाद से लड़ने में मीडिया की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है, यदि आतंकवादी किसी घटना को अंजाम देते हैं और मीडिया शांत है तो आतंकवाद समाप्त हो जायेगा। आतंकवादी लोगों में दहशत पैदा करते हैं। यदि मीडिया इसे नहीं लिखेगा तो किसी को पता नहीं चलेगा।”
  • 11वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ब्राज़ील की राजधानी ब्रासीलिया में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर जारी संयुक्त घोषणापत्र में आतंकवाद के सभी रूपों व अभिव्यक्तियों की निंदा की गई और इस बात पर प्रकाश डाला गया कि इसे किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता या सभ्यता के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिये। सम्मलेन में आतंकी घटनाओं को उनके प्रेरक कारकों पर ध्यान दिये बिना आपराधिक और अन्यायपूर्ण कृत्य के रूप में चिन्हित किया गया।

ब्रासीलिया घोषणापत्र ने आतंकवादी गतिविधियों के लिये सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के दुरुपयोग और आतंकवादी नेटवर्क तथा आतंकी कार्रवाइयों के अवैध वित्तपोषण से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया। इसने आतंकी वित्तपोषण पर नियंत्रण के लिये वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force- FATF) के महत्त्व पर भी बल दिया। हाल में ही आयोजित ब्रिक्स आतंकवाद-विरोधी संयुक्त कार्य समूह (BRICS Counter-Terrorism Joint Working Group) की चौथी बैठक में सदस्य देशों ने निम्नलिखित पाँच विषयों पर पाँच उप-कार्य समूहों (sub-working groups) के गठन का भी निर्णय लिया है: आतंकवादी वित्तपोषण आतंकवादी उद्देश्यों के लिये इंटरनेट का उपयोग कट्टरपंथ के प्रसार का प्रतिकार विदेशी आतंकवादी लड़ाकों का मुद्दा; और क्षमता निर्माण भारत ने सितंबर 2016 में नई दिल्ली में ब्रिक्स आतंकवाद-विरोधी संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक की मेज़बानी की थी।

सन्दर्भ[सम्पादन]

  1. https://navbharattimes.indiatimes.com/india/india-to-hold-first-simulated-space-warfare-exercise-next-month/articleshow/69697818.cms
  2. https://aajtak.intoday.in/story/defence-research-development-organisation-drdo-human-less-hypersonic-flight-hstdv-1-1092475.html
  3. https://www.thehindu.com/news/national/indian-navy-deploys-p-8i-from-oman-on-anti-piracy-patrols-in-gulf-of-aden/article27406710.ece
  4. https://www.jagran.com/news/national-indian-government-has-extended-ban-on-liberation-tigers-of-tamil-eelam-ltte-19220827.html
  5. https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/india-successfully-test-fires-nirbhay-missile/articleshow/68887068.cms
  6. https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1570481
  7. https://www.livehindustan.com/national/story-army-induct-dhanush-howitzers-more-deadly-form-bofors-2457252.html