सामान्य अध्ययन २०१९/स्वास्थ्य
- सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज़ न्यूमोनिया (SAANS) नामक अभियान की शुरूआत गुजरात में की गई। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रारंभ इस अभियान का उद्देश्य निमोनिया के कारण बाल मृत्यु दर को कम करना है, जो पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु में लगभग 15% योगदान देता है।
- केन्द्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो द्वारा जारी नेशनल हेल्थ प्रोफाइल रिपोर्ट 2019 के अनुसार भारत में जीवन प्रत्याशा वर्ष 1970-75 के 49.7 वर्ष से बढ़कर वर्ष 2012-16 में 68.7 वर्ष हो गई है।
- यह मानव मस्तिष्क एटलस कॉकेशियाई (Caucasian) मस्तिष्क के नमूने पर आधारित है एवं इसे IBA100 नाम दिया गया है।
इस एटलस के अनुसार-लंबाई, चौड़ाई और आयतन के संदर्भ में भारतीयों के मस्तिष्क का आकार पश्चिमी देशों और पूर्वी (चीन, द. कोरिया) देशों के लोगों के मस्तिष्क की तुलना में छोटा है। अत: कथन 2 सही नहीं है। इस एटलस का उपयोग अल्जाइमर (Alzheimer), डीमेंशिया (Dementia) तथा पार्किंसंस (Parkinson) जैसी बीमारियों का इनके शुरुआती चरण में ही निदान करने में हो सकेगा।
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने राष्ट्रीय दुग्ध सुरक्षा तथा गुणवत्ता सर्वेक्षण (National Milk Safety and Quality Survey) 2018 की रिपोर्ट जारी की।
सर्वेक्षण में परीक्षण किये गए दुग्ध के नमूनों में से लगभग 93% दुग्ध को उपभोग के लिये सुरक्षित पाया गया तथा शेष 7% नमूनों में एफ्लाटॉक्सिन-एम1 (Aflatoxin-M1), एंटीबायोटिक्स जैसे दूषित पदार्थों की उपस्थिति पाई गई। एफ्लाटॉक्सिन कुछ कवकों द्वारा उत्पादित वे विषाक्त पदार्थ हैं जो आमतौर पर मक्का, मूँगफली, कपास के बीज जैसी अन्य कृषि फसलों में पाए जाते हैं। इनकी प्रकृति कार्सिनोजेनिक (Carcinogenic) होती हैं।
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में ईट राइट मेले के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया गया।
यह नागरिकों को शुद्ध भोजन करने की दिशा में उन्हें प्रेरित करने के लिये एक प्रयास है। यह नागरिकों को विभिन्न प्रकार के भोजन के स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित लाभों से अवगत कराने के लिये आयोजित किया जाता है।
- इस अवसर पर ‘PURPLE Book’ नामक एक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया। जो विभिन्न रोगों के लिए मुख्य आहार के दिशा-निर्देशों से संबंधित है-
यह पुस्तिका एक सरल प्रारूप में सामान्य चिकित्सा स्थितियों जैसे-मधुमेह,उच्च रक्तचाप,कैंसर,आँत के विकार आदि के लिये उपयुक्त आहार पर अस्पतालों को सामान्य दिशा-निर्देश प्रदान करती है। इस अवसर पर खाद्य सुरक्षा और अनुप्रयुक्त पोषण हेतु वैज्ञानिक सहयोग के लिये एक नेटवर्क (Network for Scientific Co-operation for Food Safety and Applied Nutrition- NetSCoFAN) भी लाॅन्च किया गया। यह NetSCoFAN के दिशा-निर्देश के साथ-साथ खाद्य एवं पोषण के क्षेत्र में काम करने वाले अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों का एक नेटवर्क है जिसका कार्य प्रमुख निदेशकों एवं वैज्ञानिकों की विस्तृत जानकारी को कवर करना तथा इससे संबद्ध संस्थानों का नेतृत्व करना है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले जैविक, रासायनिक, पोषण एवं लेबलिंग, पशुओं से संबंधित भोजन, पौधों से संबंधित भोजन, जल एवं पेय पदार्थ, खाद्य परीक्षण, और सुरक्षित एवं स्थायी पैकेजिंग जैसे संस्थानों के आठ समूह शामिल होंगे।
- इस अवसर पर 'सेव फूड शेयर फूड' (Save Food Share Food) के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।
- इंडियन फूड शेयरिंग एलायंस (Indian Food Sharing Alliance- IFSA) खाने की बर्बादी तथा भुखमरी को कम करना,ज़रूरतमंदों को खाना खिलाना और भूखों को व्यवस्थित तरीके से अधिशेष भोजन देने की मांग करता है।
- मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन को भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा देश के पहले ‘ईट राइट स्टेशन’ के रुप में प्रमाणित किया गया है।
‘ईट राइट स्टेशन’ अभियान FSSAI द्वारा वर्ष 2018 में चलाए गए ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान का एक हिस्सा है। ‘ईट राइट इंडिया’ दो स्तंभों ‘स्वस्थ खाओ और सुरक्षित खाओ’ पर आधारित है। इस अभियान का उद्देश्य स्वस्थ आहार मुहैया कराते हुए लोगों का अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करना है।
- इस स्टेशन का चयन खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता के अनुपालन,स्व्स्थ्य आहार की उपलब्धता,ढुलाई एवं खुदरा बिक्री केंद्रों पर खाद्य पदार्थों की बेहतर निगरानी,खाद्य अपशिष्ट के प्रबंधन,स्थानीय एवं सीज़नल खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने और खाद्य सुरक्षा तथा स्वस्थ आहार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के आधार पर किया गया है।
- FSSAI केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के तहत कार्यरत एक स्वायत्त एवं सांविधिक निकाय है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम,2006 के तहत स्थापित यह मानव उपभोग के लिये पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन,भंडारण,वितरण,बिक्री और आयात की सुरक्षित व्यवस्था सुनिश्चित करने का काम करता है।
- विशेषज्ञों के अनुसार पेडोफिलिया (Paedophilia) का उपचार संभव है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO)के अनुसार पेडोफिलिया एक ऐसा मनोरोग है जिसमें रोगी,बच्चों के प्रति यौन इच्छाओं से ग्रसित रहता है। पिछले चार वर्षों में लगभग 300 से अधिक रोगियों के द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल के तहत परामर्श के लिये संपर्क किया गया है। इस मनोरोग को पूर्णतः उपचारित नहीं किया जा सकता परंतु दवा तथा परामर्श के माध्यम से व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित किया जा सकता है।
- बर्लिन की एक यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के अनुसार पुरुष आबादी का कम से कम 1% पीडोफिलिया से ग्रसित है जिसके लक्षण किशोरावस्था के बाद से प्रकट होते हैं। पीडोफिलिया बाल शोषण से अलग है।
- क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़ (Kyasanur Forest Disease):- कर्नाटक राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित मलनाद में बंदरों के लिये बनाए जाने वाले पार्क की व्यवहार्यता को लेकर पर्यावरणविदों के बीच संशय बना हुआ है। इनके अनुसार ऐसे पार्क से क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़ के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
- क्यासानूर फाॅरेस्ट डिज़ीज़ को सामान्यतः मंकी फीवर (Monkey Fever) के नाम से भी जाना जाता है।
यह क्यासानूर फाॅरेस्ट डिज़ीज़ वायरस (Kyasanur Forest Disease Virus-KFDV) के कारण फैलता है। जो फ्लेवीवायरस (Flavivirus) के समुदाय से संबंधित है। इस वायरस की पहचान वर्ष 1957 में एक बीमार बंदर में की गई थी। उसके बाद से प्रत्येक वर्ष लगभग 400-500 मानव संक्रमण के मामले सामने आए हैं।
- KFDV कर्नाटक राज्य में स्थानिक है।
संक्रमित क्रतंक (Rodents),बंदर,छछूंदर आदि KFDV के वाहक (Hosts) हैं। मनुष्यों में यह टिक (Tick) के काटने या संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से हो सकता है। KFDV के लिये कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, हालाँकि वर्तमान में इसके लिये टीका उपलब्ध है।
- इंडिया स्टेट-लेवल डिज़ीज़ बर्डन इनिशिएटिव द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार भारत में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों के 1.04 मिलियन मौतों में से करीब दो-तिहाई के लिये अभी भी कुपोषण सबसे प्रमुख कारण है।
भारत में,बिहार,छत्तीसगढ़,झारखंड,मध्य प्रदेश,उड़ीसा,राजस्थान,उत्तरांचल और उत्तर प्रदेश आठ सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों को सशक्त कार्रवाई समूह (ईएजी) राज्यों के रूप में जाना जाता है, जो जनसांख्यिकीय संक्रमण में पिछड़े हुए हैं और यहाँ शिशु मृत्यु दर सबसे अधिक है।
- इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS)या ई-सिगरेट निषेध अध्यादेश 2019 की घोषणा के बाद ई-सिगरेट का किसी भी प्रकार से उत्पादन,विनिर्माण,आयात,निर्यात,परिवहन,विक्रय (ऑनलाइन विक्रय सहित),वितरण और विज्ञापन (ऑनलाइन विज्ञापन सहित) एक संज्ञेय अपराध माना जाएगा।
- यदि कोई व्यक्ति पहली बार इसके नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे अधिकतम 1 वर्ष तक की कैद अथवा 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों ही सज़ा दी जा सकती है।
- यदि कोई व्यक्ति दूसरी बार या बार-बार इस प्रकार का अपराध करता है तो उसे अधिकतम 3 वर्ष की कैद अथवा 5 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों सज़ा दी जा सकती है।
- साथ ही इसके भंडारण के लिये भी 6 माह तक की कैद या 50 हज़ार रुपए तक का जुर्माना या दोनों सज़ा का प्रावधान है।
यह एक बैटरी संचालित डिवाइस है, जो तरल निकोटीन,प्रोपलीन,ग्लाइकॉल,पानी,ग्लिसरीन के मिश्रण को गर्म करके एक एयरोसोल बनाता है,जो एक असली सिगरेट जैसा अनुभव देता है।
- यह डिवाइस पहली बार 2004 में चीनी बाज़ारों में "तंबाकू के स्वस्थ विकल्प" के रूप में बेची गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक,2005 से ही ई-सिगरेट उद्योग एक वैश्विक व्यवसाय बन चुका है और आज इसका बाज़ार लगभग 3 अरब डॉलर का हो गया है।
- ई-सिगरेट ने अधिक लोगों को धूम्रपान शुरू करने के लिये प्रेरित किया है, क्योंकि इसका प्रचार-प्रसार ‘हानिरहित उत्पाद’ के रूप में किया जा रहा है। किशोरों के लिये ई-सिगरेट धूम्रपान शुरू करने का एक प्रमुख साधन बन गया है।
भारत में 30-50% ई-सिगरेट्स ऑनलाइन बिकती हैं और चीन इसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता देश है। पंजाब राज्य ने ई-सिगरेट को अवैध घोषित किया है। पारंपरिक सिगरेट के विपरीत ई-सिगरेट में तंबाकू नहीं होता है, इसलिये इसे सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 के तहत विनियमित नहीं किया जाता है।
- वर्ष 2006 के बाद वर्ष 2019 की पहली छमाही में खसरे के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किये गए हैं। वर्ष 2016 के बाद से ही खसरे के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में पिछले 25 वर्षों की तुलना में सबसे अधिक खसरे के मामले दर्ज किये गए हैं। श्वसन प्रणाली में वायरस, विशेष रूप से मोर्बिलीवायरस (Morbillivirus) के जीन्स पैरामिक्सोवायरस (Paramicovirus) के संक्रमण से होता है। इसके लक्षणों में बुखार, खाँसी, नाक का बहना, लाल आँखें और सामान्यीकृत मेकुलोपापुलर एरीथेमाटस चकते शामिल हैं।
- गन्ने का रस,ग्लूकोज जो कि मनुष्य के शरीर को पुनः हाइड्रेट करने में मदद करता है, का एक अच्छा स्रोत है और शरीर की ऊर्जा बढ़ाता है। गन्ने के रस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं और शरीर की प्रतिरोध प्रणाली को मजबूत करते हैं। यह लिवर संक्रमणों से रक्षा करता है और बिलिरूबिन के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायता करता है।
गन्ने को पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जाता है और यह एक लाभदायक जैव ईंधन है क्योंकि यह निवेशित की तुलना में लगभग आठ गुना अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। गन्ना उद्योग का संकेंद्रण दो बड़े क्षेत्रों में है। इनमें से एक उत्तर में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब से मिलकर बना है और दूसरा दक्षिण में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से।
- रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने "जनौषधि सुगम" नामक एक मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है, जो लोगों को नज़दीकी जनौषधि केंद्रों का पता लगाने में सहायता करेगा।
यह एप देश भर में प्रधानमंत्री भारतीय जनौषधि परियोजना (PMBJP) केंद्रों के माध्यम से सभी भारतीयों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिये सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने में सहायता करेगा, जिससे पहले से ही दवाओं पर व्यय में गरीबों को काफी बचत हो रही। PMBJP दवाओं की खरीद केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन-गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (WHO-GMP) प्रमाणित निर्माताओं से की जाती है और प्रत्येक बैच का परीक्षण नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (NABL) द्वारा मान्यता प्राप्त स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में किया जाता है।
- अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African Swine Fever)
चीन में अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African Swine Fever- ASF) के व्यापक प्रसार के कारण सूअर के मांस की कीमतें उच्च स्तर पर पहुँच गई हैं।
- अफ्रीकी स्वाइन फीवर एक गंभीर संक्रामक रोग है जो घरेलू और जंगली सुअरों को प्रभावित करता है।
- यह रोग जीवित या मृत सुअरों, घरेलू या जंगली और इनसे बने मांस उत्पादों द्वारा फैलता है।
- इसके अलावा इस रोग का प्रसार कीटों (Biting Insects) तथा चिचड़ियों (Ticks) आदि के काटने से भी होता है।
- इस रोग का कोई एंटीडोट या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
- इस रोग को फैलने से रोकने के लिये एकमात्र ज्ञात उपाय संक्रमित पशुओं का सामूहिक रूप से न्यूनीकरण करना है।
चीन विश्व में सूअर के मांस का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है।
- भारत की पहली स्वैच्छिक लीवर ट्रांसप्लांट रजिस्ट्री (Liver transplant registry) की शुरुआत लीवर ट्रांसप्लांट सोसायटी ऑफ इंडिया (Liver Transplantation Society of India- LTSI) द्वारा की गई है। देश में वार्षिक स्तर पर लगभग 2,000 लीवर ट्रांसप्लांट किये जाते हैं जो विश्व में सबसे अधिक हैं, फिर भी भारत का विशिष्ट डेटा उपलब्ध नहीं है।
उद्देश्य:- लीवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रियाओं और उनके परिणामों के राष्ट्रीय डेटा को एकत्र करना है। यह रजिस्ट्री पूर्णतः राष्ट्रीय परिणामों पर केंद्रित विश्व की सबसे बड़ी रजिस्ट्री है। भारत में बड़ी मात्रा में लीवर ट्रांसप्लांट किया जाता है परंतु इसके विनियमन से संबंधित कोई प्रावधान नहीं हैं। जबकि पश्चिमी देशों में अंग ट्रांसप्लांट अत्यधिक विनियमित होते हैं और अस्पतालों तथा चिकित्सकों को उनके परिणामों,मृत्यु दर, रुग्णता आदि के आधार पर अनुमति दी जाती है।
- लीवर ट्रांसप्लांट सोसायटी ऑफ इंडिया की स्थापना लीवर ट्रांसप्लांट के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिये की गई थी। इसका प्राथमिक उद्देश्य लीवर ट्रांसप्लांट से संबंधित क्षेत्रों में जागरूकता, शिक्षा, प्रशिक्षण, मानक स्थापित करना, शैक्षणिक गतिविधियों और अनुसंधान को बढ़ावा देना है।
- मेडिटेनोम लैब्स द्वारा SPIT SEQ नामक परीक्षण प्रणाली विकसित की गई है जो तपेदिक के बैक्टीरिया में मौजूद हर उत्परिवर्तन का विस्तृत विश्लेषण करेगी।
भारत में तपेदिक की मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंस (Multi-Drug Resistant) की संख्या विश्व में सबसे ज़्यादा है। इस परीक्षण के माध्यम से डॉक्टरों को तपेदिक के रोगी के लिये सटीक दवा चुनने में कम समय लगेगा, जबकि आमतौर पर इस प्रक्रिया में एक महीने का समय लगता है। यह परीक्षण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) के पूरे जीनोम अनुक्रमण पर आधारित है, यह अनुक्रमण बैक्टीरिया के कारण जारी रहता है
- फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में लाखों लोगों की मौजूदगी में की।
प्रधानमंत्री की संकल्पना के अनुरूप राष्ट्रव्यापी फिट इंडिया अभियान का उद्देश्य प्रत्येक भारतीय को रोज़मर्रा के जीवन में फिट रहने के साधारण और आसान तरीके शामिल करने के लिये प्रेरित करना है। मज़बूत और प्रगतिशील भारत की मांग है।
- HIV/AIDS की रोकथाम हेतु समझौता समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय,राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (National AIDS Control Organization-NACO) तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने एड्स के प्रसार को रोकने हेतु किये हैं।
- 1995 में इस महामारी के संदर्भ में 80 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई तथा 2005 में अनुमानित एड्स से संबंधित मौतों में 71% की गिरावट आई।
UNAIDS 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, नए संक्रमण और एड्स से होने वाली मौतों में गिरावट के लिये वैश्विक औसत क्रमशः 47% और 51% रहा है। हर साल 2 मिलियन नए एड्स संक्रमण होते हैं और वर्तमान में एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी पर दुनिया की लगभग 66% आबादी भारत में निर्मित दवाओं का सेवन करती है। एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) HIV-AIDS से संक्रमित व्यक्तियों हेतु एकमात्र विकल्प है। “एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) शरीर में HIV वायरस को बढ़ने से रोकती है।” विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मानक एआरटी में एचआईवी वायरस को दबाने और रोग की प्रगति को रोकने के लिये कम से कम तीन एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं का संयोजन होता है।
- राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक भाग है जो भारत में HIV/ एड्स नियंत्रण कार्यक्रम को 35 HIV/AIDS रोकथाम एवं नियंत्रण समितियों के माध्यम से नेतृत्व प्रदान करता है।
1996 में स्थापित, UNAIDS वैश्विक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय नेतृत्व, नवाचार और भागीदारी के लिये प्रेरणादायक रहा है, ताकि HIV को जड़ से ख़त्म किया जा सके। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
- एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी दैनिक रूप से ली जाने वाली दवाओं का एक संयोजन है जो वायरस के प्रसार को रोकते हैं।
इस थेरेपी से CD-4 कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद मिलती है जिससे रोग से लड़ने की प्रतिरक्षा क्षमता मज़बूत होती है। यह एचआईवी के संचरण के जोखिम को कम करने के अलावा,एड्स संक्रमण (एचआईवी के कारण संक्रमण की स्थिति) को बढ़ने से रोकने में भी मदद करता है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के कार्य
[सम्पादन]- ट्रांस फैट फ्री’ लोगो का उपयोग करने की अनुमति (FSSAI) के अधिसूचित मानदंडों के अंतर्गत पैकेज्ड फूड कंपनियों को अब उनके आउटलेट तथा उत्पादों पर दी जाएगी।
FSSAI ने बेकरी,मिठाई की दुकानों,रेस्तरां को पहले से ही ‘ट्रांस फैट फ्री’ लोगो जारी करने की अनुमति दी हुई है। FSSAI ने बेकरी, मिठाई की दुकानों और अन्य खाद्य पदार्थों की दुकानों/प्रतिष्ठानों को खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट सामग्री को कम करने हेतु स्वस्थ वसा या तेल का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया है। FSSAI के नए मानदंडों के अनुसार, ‘ट्रांस फैट फ्री’ लोगो लगाने की अनुमति केवल उन्हीं को दी जा सकती है, जिनके उत्पादों में प्रति 100 ग्राम या भोजन के 100 मिलीलीटर में ट्रांस फैट की मात्रा 0.2 ग्राम से कम है।
- FSSAI 2022 तक चरणबद्ध तरीके से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैटी एसिड को 2% से कम करने के लिये प्रतिबद्ध है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य सरकार के कार्य
[सम्पादन]- भारत का पहला इकोटॉक्सिकोलॉजी क्लिनिक की शुरुआत नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा पानी,भोजन एवं वायु को दूषित करने वाले पर्यावरण के विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से रोगों के बढ़ते मामलों की जाँच के लिये की गई।
यह नई सुविधा क्लिनिकल परामर्श के साथ-साथ पारिस्थितिक विषाक्तता के कारण उत्पन्न बीमारियों से निपटने हेतु सभी क्लिनिकल विभागों को अनुसंधान सेवाएँ प्रदान करेगी।
- इकोटॉक्सिकोलॉजी (Ecotoxicology) विज्ञान की एक शाखा है जो पर्यावरणीय संस्थाओं जैसे कि जनसंख्या,समुदायों या पारिस्थितिक तंत्र पर पर्यावरण के हानिकारक पदार्थों की प्रकृति,प्रभावों और परस्पर क्रियाओं से संबंधित है।
उदाहरण के लिये:-जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं, उनमें भी कैंसर के मामलों की संख्या में एक निश्चित वृद्धि के अज्ञात कारकों की उत्पत्ति जानने में इकोटॉक्सिकोलॉजी सहायक होगी। प्रदूषण और स्वास्थ्य पर लैंसेट आयोग (Lancet Commission on Pollution and Health) के अनुसार, समय से पहले होने वाली मौतों में लगभग 9 मिलियन लोगों की मृत्यु दूषित पानी, हवा और मिट्टी के कारण होती है। पर्यावरणीय विषाक्तता के कारण होने वाली मौतों में लगभग 92% कम आय और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं, जिसमें भारत भी शामिल है।
- ‘प्रोजेक्ट सहारा’ अहमदाबाद ज़िला प्रशासन द्वारा शुरू की गई एक पहल है। इस परियोजना के तहत ज़िले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को नॉन-न्यूमेटिक एंटी-शॉक गारमेंट (Non-Pneumatic Anti-Shock garment: NASG) उपलब्ध कराए गए हैं। यह गारमेंट प्रसवोत्तर रक्तस्राव (PPH) के कारण होने वाली रक्त की कमी को नियंत्रित करता है।
इसके द्वारा प्रसवोत्तर रक्तस्राव (Postpartum Haemorrhage-PPH) के कारण मातृ मृत्यु को कम करने में मदद मिली है।
- राजस्थान सरकार ने राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य केंद्र उजाला क्लीनिक (किशोर हितैषी स्वास्थ्य क्लीनिक) को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (Rashtriya Kishor Swasthya Karyakram-RKSK) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 7 जनवरी, 2014 को 10-19 वर्ष की आयु वर्ग के किशोरों के लिये शुरू किया गया यह स्वास्थ्य कार्यक्रम अन्य मुद्दों के अलावा पोषण, प्रजनन स्वास्थ्य और मादक द्रव्यों के सेवन को लक्षित करेगा।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किशोर भागीदारी और नेतृत्व, समता तथा समावेशन, लैंगिक समानता एवं अन्य क्षेत्रों व हितधारकों के साथ सामरिक भागीदारी है। इसके तहत किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य, पोषण, गैर-संचारी रोग, लिंग आधारित हिंसा और मादक पदार्थों के सेवन की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन संबंधी मार्गदर्शन करने के लिये संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund- UNFPA) के सहयोग से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare- MoHFW) ने एक राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य रणनीति विकसित की है। यह पोषण, यौन प्रजनन स्वास्थ्य, पदार्थों का दुरुपयोग, गैर-संचारी रोग, मानसिक स्वास्थ्य, चोट और हिंसा पर ध्यान केंद्रित करता है। इस कार्यक्रम के प्रमुख कार्यों में काउंसलर द्वारा मदद, सुविधा-आधारित परामर्श, सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन, संचार, देखभाल के स्तरों पर किशोर अनुकूल स्वास्थ्य क्लिनिक (Adolescent Friendly Health Clinics- AFHC) को मजबूत बनाने जैसे समुदाय-आधारित हस्तक्षेप शामिल हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के कार्य
[सम्पादन]- उम्मीद (Unique Methods of Management and Treatment of Inherited Disorders- UMMID) पहल की शुरुआत भारत सरकार ने नवजात शिशुओं से संबंधित आनुवंशिक बीमारियों से निपटने के लिये की है। इसका उद्देश्य है-
- सरकारी अस्पतालों में परामर्श, प्रसवपूर्व चिकित्सा,प्रबंधन तथा सभी विषयों से संबंधित देखभाल प्रदान करने के लिये निदान (National Inherited Diseases Administration- NIDAN) केंद्रों की स्थापना करना।
- मानव जेनेटिक्स (Human Genetics) के क्षेत्र में कुशल चिकित्सकों को बढ़ावा देना।
- आकांक्षी ज़िलों (Aspirational Districts) के अस्पतालों में आनुवंंशिक बीमारियों से पीड़ित गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की जांँच करना।
- चिकित्सकों के बीच आनुवंशिक विकारों के बारे में जागरूकता फैलाना और अस्पतालों में आणविक निदान की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
- ‘जन औषधि सुगम’ मोबाइल एप की शुरुआत जैविक दवाओं और दुकानों की तलाश के लिये की गई तथा इस एप के लॉन्च के दौरान यह घोषणा भी की गई कि जन औषधि सुविधा सेनेटरी नैपकीन अब 1 रुपए प्रति पैड की दर से बेचा जाएगी।
औषधि विभाग देश भर में फैले प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों के नेटवर्क के ज़रिये सभी नागरिकों को सस्ती दरों पर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- भारत सरकार ने 4 जून, 2018 को विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर ढाई रुपए प्रति पैड की दर से ‘जन औषधि सुविधा ऑक्सो-बायोडीग्रेडेबल सेनेटरी नैपकीन’ की शुरुआत की थी। इस्तेमाल के बाद ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर यह पैड बायोडीग्रेडेबल हो जाता है। इस कदम के ज़रिये ‘स्वच्छ भारत, हरित भारत’ का सपना भी पूरा होगा।
जन औषधि सुविधा को देश भर के 5500 से अधिक प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों के ज़रिये बिक्री के लिये उपलब्ध कराया जा रहा है।
- राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम (National Blindness Control Programme-NBCP)केंद्र प्रायोजित इस कार्यक्रम में पहले से जारी ट्रैकोमा नियंत्रण कार्यक्रम को भी शामिल किया गया था।
इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1976 में हुई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, उप-ज़िले के सभी स्तरों पर नेत्र देखभाल सेवाओं के लिये मानव संसाधन को विकसित करना,स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना आदि है।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोलिस्टिन (Colistin) एंटीबायोटिक के निर्माण, बिक्री एवं वितरण को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया है।
यह प्रतिबंध ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 (Drugs and Cosmetics Act) के प्रावधानों के तहत लगाया गया है। दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड (Drug Technical Advisory Board- DTAB) जो कि देश में दवाओं से संबंधित तकनीकी मामलों पर सरकार का शीर्ष सलाहकार निकाय है, ने इसे प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी। कोलिस्टिन पशु चिकित्सा में चिकित्सीय उद्देश्य के लिये प्रयुक्त होने वाली एक एंटीबायोटिक दवा है, पोल्ट्री उद्योग में इस दवा का अत्यधिक दुरुपयोग किया जाता है। कोलिस्टिन एक महत्त्वपूर्ण जीवन रक्षक एंटीबायोटिक है लेकिन हाल के वर्षों में ऐसे रोगी भी पाए गए जिनमें इस दवा का प्रतिरोध देखा गया। लगभग 95% कोलिस्टिन का आयात चीन से किया जाता है। उल्लेखनीय है कि चीन जो कोलिस्टिन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है, ने अपने देश में उपभोग के लिये पाले गए किसी भी उत्पादक जानवर या मछली पर इसके उपयोग को प्रतिबंधित लगा दिया है।
- ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 एंड रूल्स 1945 (The Drugs & Cosmetics Act,1940 and rules 1945) के तहत CDSCO दवाओं के अनुमोदन, क्लिनिकल परीक्षणों के संचालन, दवाओं के मानक तैयार करने, देश में आयातित दवाओं की गुणवत्ता पर नियंत्रण और राज्य दवा नियंत्रण संगठनों को विशेषज्ञ सलाह प्रदान करके ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के प्रवर्तन में एकरूपता लाने के लिये उत्तरदायी है।
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य योजना रिपोर्ट National Digital Health Blueprint Report केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने विभिन्न हितधारकों से जानकारी लेने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र में राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य योजना (National Digital Health Blueprint-NDHB) रिपोर्ट जारी की।
इस योजना को डिज़िटल इंडिया कार्यक्रम की तर्ज़ पर तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य एक राष्ट्रीय डिज़िटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी प्रणाली तैयार करना है, जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को प्रभावी, सुलभ, समग्र, किफायती, समय पर तथा सुरक्षित तरीके से प्रोत्साहित कर सके। डिज़िटल स्वास्थ्य क्षेत्र में तेज़ी से बदलाव होने के कारण इस योजना में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ को सहयोग देने की अपार संभावना है। स्वास्थ्य मंत्री ने सभी साझेदारों से अपनी राय देने को कहा है, ताकि स्वास्थ्य सेवा में इस डिज़िटल क्रांति को अधिक समग्र और सहायक बनाया जा सके तथा सरकार की एक सामूहिक प्रयास के रूप में सशक्त राष्ट्र के निर्माण में मदद की जा सके।
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लाभार्थियों की संख्या 1 करोड़ के पार पहुँच गई है,जो इस योजना के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
योजना के तहत लाभार्थियों को वितरित की गई कुल राशि 4,000 करोड़ रुपए के पार पहुँच गई है।
- 1 जनवरी 2017 को देश भर में गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के कल्याण हेतु शुरू की गई यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है।
इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को सीधे उनके बैंक खाते में नकद लाभ प्रदान किया जाता है ताकि बढ़ी हुई पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा किया जा सके और वेतन हानि की आंशिक क्षतिपूर्ति की जा सके। लक्षित लाभार्थी:-सभी गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ, जिन्हें केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजनिक उपक्रमों के साथ नियमित रूप से रोज़गार पर रखा गया है या जो किसी भी कानून के तहत समान लाभ प्राप्त कर रही हैं। PMMVY के तहत सभी पात्र लाभार्थियों को तीन किश्तों में 5,000 रुपए दिये जाते हैं और शेष राशि जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत मातृत्व लाभ की शर्तों के अनुरूप संस्थागत प्रसूति करवाने के बाद दी जाती है। इस प्रकार औसतन एक महिला को 6,000 रुपए प्राप्त होते हैं।
- लक्ष्य कार्यक्रम (प्रसूति गृह और प्रसूति शल्य चिकित्सा कक्ष में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार हेतु एक पहल)
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ‘लक्ष्य कार्यक्रम’ (Labour room Quality Improvement Initiative-LaQshya) का उद्देश्य है।
- मातृ और नवजात मृत्यु दर और अस्वस्थता को कम करना।[१]
- और सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में सभी गर्भवती महिलाओं को सम्मानपूर्ण मातृत्व देखभाल की सुविधा प्रदान करना।
- प्रसूति तथा इसके तुरंत बाद की अवधि में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार, जटिलताओं को संभालना और समय पर रेफरल सुनिश्चित करना तथा एक प्रभावी दो-तरफ़ा अनुवर्ती प्रणाली को सक्षम बनाना।
- सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सम्माननीय मातृत्व देखभाल की सुविधा प्रदान करना।
- रणनीतियाँ
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी ‘प्रसूति कक्ष मानक दिशा-निर्देश’ तथा 'मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य टूलकिट' के अनुसार प्रसूति गृह और प्रसूति शल्य चिकित्सा कक्ष विन्यास और कार्यप्रवाह को पुनर्गठित/संरेखित किया गया है। यह सुनिश्चित करना, कि जीवन संरक्षण में महत्त्वपूर्ण देखभाल की आवश्यकता वाले जटिल गर्भधारण प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार कम-से-कम सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों और अधिक मामलों के भार वाले ज़िला अस्पतालों में समर्पित प्रसूति एचडीयू (उच्च निर्भरता इकाइयाँ) संचालित की गई हैं। बड़े केंद्रों को भेजने से पहले प्रबंधन और जटिलताओं को सँभालते हुए नैदानिक प्रोटोकॉल का दृढ़ता से अनुपालन सुनिश्चित करना।
- ऑपरेशन थर्स्ट RPF (Railway Protection Force) द्वारा शुरू किये गए इस देश-व्यापी अभियान का उद्येश्य रेलवे परिसर में अनाधिकृत ब्राण्ड वाली पानी की बोतलें बेचे जाने के मामलों पर रोक लगाना।
इसके तहत प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्तों को इन अनाधिकृत गतिविधियों पर लगाम लगाने का आदेश दिया गया। इस अभियान के दौरान भारतीय रेलवे के लगभग सभी प्रमुख स्टेशनों को कवर किया गया । इस अभियान के दौरान अनाधिकृत ब्रांड वाली पानी की बोतलें बेचने के मामले में 1,371 लोगों को रेलवे अधिनियम की धारा 144 एवं 153 के तहत गिरफ्तार किया गया। अनाधिकृत ब्रांड वाली पानी की कुल 69,294 बोतलें जब्त की गईं। प्लेटफार्मों पर लगे स्टॉल में भी ऐसे ब्राण्ड की पेयजल बोतलें बेंची जाती पाई गईं जो रेलवे द्वारा अनधिकृत हैं। इन गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
- वर्ष 2013 में भारत सरकार द्वारा प्रारंभ इस मिशन को वर्ष 2020 तक जारी रखने की योजना है।इसके दो उप-मिशन राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन हैं।
इस मिशन का लक्ष्य न्यायसंगत, सस्ती एवं गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना है। हाल ही में नीति आयोग (NITI Aayog) ने राज्य स्वास्थ्य सूचकांक (State Health Index) का दूसरा संस्करण जारी किया है। केरल सर्वाधिक स्वस्थ राज्य के रूप में शीर्ष स्थान पर है, जबकि उत्तर प्रदेश इस सूचकांक में सबसे निचले पायदान पर है। इस सूचकांक के अंतर्गत वर्ष 2015-16 को आधार वर्ष एवं वर्ष 2017-18 की अवधि को संदर्भ वर्ष मानते हुए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के समग्र प्रदर्शन एवं वृद्धिशील सुधार का विश्लेषण किया गया। यह चिंता की बात है कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखा है। हालाँकि राजस्थान जैसे कुछ राज्यों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार देखने को मिला है।
21 जून, 2015 को पहली बार दिल्ली के राजपथ पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था। तब से हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है।दूसरे,तीसरे एवं चौथे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रमों का आयोजन क्रमश: वर्ष 2016 में चंडीगढ़, वर्ष 2017 में लखनऊ तथा वर्ष 2018 में देहरादून में किया गया था। वर्ष 2019 में पाँचवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन झारखंड की राजधानी रांची में किया गया।इस वर्ष कार्यक्रम का मुख्य विषय ‘हृदय के लिये योग' है। जिसका उद्देश्य हृदय को स्वस्थ बनाए रखने और बीमारियों को दूर रखने के लिये लोगों को योग के महत्त्व की जानकारी देना है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और नेशनल कैंसर ग्रिड ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Ayushman Bharat-Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) के तहत एक ‘समझौता ज्ञापन’ पर हस्ताक्षर किये हैं।
यह ‘समझौता ज्ञापन’ मौजूदा कैंसर उपचार पैकेजों, सेवाओं के मूल्य निर्धारण और आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत शामिल मानक उपचारों के कार्यों की संयुक्त रूप से समीक्षा करेगा और कैंसर देखभाल की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये उचित कदम उठाएगा।
राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (NCG)
राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (National Cancer Grid-NCG) देश भर में प्रमुख कैंसर केंद्रों, अनुसंधान संस्थानों, रोगी समूहों और धर्मार्थ संस्थानों का एक नेटवर्क है जिसका गठन अगस्त 2012 में किया गया था।
उद्देश्य
कैंसर की रोकथाम, निदान और उपचार हेतु समान मानक स्थापित करना।
ऑन्कोलॉजी (Oncology) में विशेष प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करना।
रक्षा मंत्रालय और सेना ने मिलिट्री नर्सिंग सर्विस(Military Nursing Service- MNS) कैडर को पूर्व सैनिकों का दर्जा देने के लिये सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
पूर्व सैनिक का दर्जा प्राप्त करने के बाद सेवानिवृत्त मिलिट्री नर्सिंग सर्विस के अधिकारी पहचान पत्र प्राप्त करने, सरकारी संगठनों/सार्वजनिक उपक्रमों में पुन: रोज़गार पाने और सशस्त्र बलों की विभिन्न पुनर्वास योजनाओं हेतु आवेदन करने में सक्षम होंगे।
मिलिट्री नर्सिंग सर्विस की स्थापना 1943 में एक सहायक बल के रूप में की गई थी और इसमें केवल महिला अधिकारी होती हैं।ये तीनों सेनाओं में नर्सिंग स्टाफ के रूप में काम करती है।यह सशस्त्र बलों में एकमात्र ऐसी वाहिनी है जिसमें केवल महिलाएँ हैं।
मई महीने के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस प्रतिवर्ष पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस वर्ष 7 मई को आयोजित इस दिवस की थीम थी।STOP for Asthma । अस्थमा के रोगियों को आजीवन कुछ सावधानियाँ अपनानी पड़ती हैं तथा हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है। इसी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये इस दिवस का आयोजन किया जाता है। 1998 में पहली बार Global Initiative for Asthma ने इसका आयोजन बार्सिलोना में हुई प्रथम विश्व अस्थमा बैठक के बाद किया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में 100 से 150 मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित हैं और भारत में इससे प्रभावित लोगों की संख्या 15-20 मिलियन तक पहुँच गई है।
संयुक्त राष्ट्र अंतर-समन्वय समूह द्वारा जारी ‘No Time To Wait: Securing The Future From Drug-Resistant Infections’शीर्षक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक हर साल दवा-प्रतिरोधी बीमारियों से 10 मिलियन लोगों की मृत्यु की आशंका है।
प्रतिजैविक प्रतिरोध पर संयुक्त राष्ट्र अंतर समन्वय समूह (Interagency Coordination Group-IACG)की स्थापना 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन,खाद्य और कृषि संगठन तथा विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के परामर्श से की गई थी।
IACG का उद्देश्य एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को रोकने के लिये व्यावहारिक रूप से मार्गदर्शन प्रदान करना है ताकि इसके प्रसार को रोका जा सके।
मिशन दिल्लीइंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा प्रारंभ इस परियोजना के शुरूआती चरण के अंतर्गत केवल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के तीन किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को शामिल किया जाएगा।इस परियोजना का उद्देश्य गंभीर प्रकार के दिल के दौरे (ST-Elevation Myocardial Infarction) से होने वाली मृत्यु दर को कम करना है।इसका उद्देश्य क्लॉट-बस्टिंग दवा प्राप्त करने में लगने वाले समय को कम करना है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन(CDSCO)ने दवा निर्माताओं से सामान्य रूप से उपयोग में आने वाली एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों की जानकारी आम जनता के लिये उपलब्ध कराने को कहा है। भारत के फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम (Pharmacovigilance Programme of India- PvPI) के राष्ट्रीय समन्वय केंद्र ने CDSCO को कुछ सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं से उत्पन्न होने वाले प्रतिकूल प्रभावों की जानकारी दी थी। CDSCO ने दवा निर्माताओं को लिखा है निम्नलिखित सात यौगिकों के संभावित दुष्प्रभावों की जानकारी आम आदमी के लिये उपलब्ध कराई जाए। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अंतर्गत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण (NRA) है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।देश भर में इसके छह ज़ोनल कार्यालय, चार सब-ज़ोनल कार्यालय, तेरह पोर्ट ऑफिस और सात प्रयोगशालाएँ हैं। विज़न: भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना और उसे बढ़ावा देना। मिशन: दवाओं, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता बढ़ाकर सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा तय करना। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 एंड रूल्स 1945 के तहत CDSCO दवाओं के अनुमोदन, क्लिनिकल परीक्षणों के संचालन, दवाओं के मानक तैयार करने, देश में आयातित दवाओं की गुणवत्ता पर नियंत्रण और राज्य दवा नियंत्रण संगठनों को विशेषज्ञ सलाह प्रदान करके ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के प्रवर्तन में एकरूपता लाने के लिये उत्तरदायी है।
- प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि परियोजना (PMBJP) रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अंतर्गत फार्मास्युटिकल विभाग की एक पहल है।
7 मार्च, 2019 को पूरे भारत में ‘जन-औषधि दिवस’ मनाया गया।
- मिलिट्री नर्सिंग सर्विस की शुरुआत रक्षा मंत्रालय और सेना ने मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (Military Nursing Service- MNS) कैडर को पूर्व सैनिकों का दर्जा देने के लिये सैद्धांतिक सहमति दे दी है। पूर्व सैनिक का दर्जा प्राप्त करने के बाद सेवानिवृत्त मिलिट्री नर्सिंग सर्विस के अधिकारी पहचान पत्र प्राप्त करने, सरकारी संगठनों/सार्वजनिक उपक्रमों में पुन: रोज़गार पाने और सशस्त्र बलों की विभिन्न पुनर्वास योजनाओं हेतु आवेदन करने में सक्षम होंगे।
मिलिट्री नर्सिंग सर्विस की स्थापना 1943 में एक सहायक बल के रूप में की गई थी और इसमें केवल महिला अधिकारी होती हैं। गौरतलब है मिलिट्री नर्सिंग सर्विस तीनों सेनाओं में नर्सिंग स्टाफ के रूप में काम करती है। · यह सशस्त्र बलों में एकमात्र ऐसी वाहिनी है जिसमें केवल महिलाएँ हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में तकनीक का प्रयोग
[सम्पादन]- सरकार कैंसर अनुसंधान को और विकसित करने हेतु एक राष्ट्रीय जीनोम ग्रिड (National Genomic Grid) की स्थापना करेगी।
राष्ट्रीय जीनोम ग्रिड भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT-Madras) में स्थापित राष्ट्रीय कैंसर ऊतक बायोबैंक (National Cancer Tissue Biobank- NCTB) के अनुरूप होगा। यह भारत में कैंसर से प्रभावित जीनोमिक कारकों का अध्ययन करने के लिये कैंसर रोगियों के नमूने एकत्र करेगा और इन नमूनों को ठीक से सत्यापित करेगा।
- ई-दंतसेवा और ब्रेल पुस्तिका (e-Dantseva And Braille booklet)
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 7 अक्तूबर, 2019 को नई दिल्ली में ई-दंतसेवा वेबसाइट और मोबाइल एप लॉन्च किया साथ ही दृष्टिबाधितों के लिये ब्रेल पुस्तिका (Braille booklet) तथा वॉयस ओवर (Voice Over) भी जारी किया गया। ई-दंतसेवा कार्यक्रम का क्रियान्वयन: मुंँह संबंधी स्वास्थ्य की जानकारी के लिये यह पहला राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म है, साथ ही डिजिटल स्वास्थ्य की दिशा में यह महत्त्वपूर्ण कदम है। इसकी वेबसाइट और मोबाइल एप के माध्यम से 100 करोड़ लोगों को कवर किया जाएगा। ई-दंतसेवा कार्यक्रम की क्रियान्वयन एजेंसी: सेंटर फॉर डेंटल एजुकेशन एंड रिसर्च (CDER), AIIMS नई दिल्ली इसकी कार्यान्वयन हेतु राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कार्य करता है। ई-दंतसेवा कार्यक्रम की पृष्ठभूमि: नेशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम (National Oral Health Programme- NOHP) को वर्ष 2014 मे लाया गया था। ब्रेल पुस्तिका (Braille booklet): इसके अतिरिक्त दृष्टिबाधितों हेतु शिक्षा व्यवस्था में ब्रेल प्राथमिक पठन विधि का उपयोग किया जाएगा। ब्रेल (Braille) क्या है? ब्रेल एक स्पर्शनीय लेखन प्रणाली है जिसका उपयोग दृष्टिबाधित लोग करते हैं। इसमें कागज़ पर उभरे हुए शब्दों के माध्यम से दृष्टिबाधित लोगों द्वारा पढ़ाई की जाती है। ब्रेल उपयोगकर्ता कंप्यूटर स्क्रीन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का भी प्रयोग कर सकते हैं, जिसमें रिफ्रेशएबल ब्रेल डिस्प्ले का उपयोग किया जाता है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में अन्य देशों की पहल
[सम्पादन]- साल्मोनेला(Salmonella) अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग (Food and Drug Administration-FDA) ने भारत की प्रमुख मसाला कंपनी MDH के सांभर मसाले में खतरनाक बैक्टीरिया साल्मोनेला की पुष्टि की है।
साल्मोनेला बैक्टीरिया का एक समूह है जो खाद्य जनित बीमारियों (साल्मोनेलोसिस) का कारण बनता है। इस रोगजनक वर्ष 1880 से ही अस्तित्व में है लेकिन वर्ष 1900 के आस-पास लेकिन इसे साल्मोनेला नाम से जाना जाने लगा। इसे यह नाम पशु रोग विशेषज्ञ और सर्जन डैनियल एल्मर सैल्मन के नाम पर दिया गया। यू.एस. सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुमानों के अनुसार, साल्मोनेला के कारण हर साल 1.2 मिलियन लोग बीमार होते हैं, इससे ग्रसित 23,000 लोग अस्पतालों में भर्ती होते हैं और लगभग 450 लोगों की मृत्यु हो जाती है। इनमें से अधिकांश मामलों (लगभग 1 मिलियन) में बीमारी का स्रोत भोजन होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, साल्मोनेला डायरिया रोग के चार प्रमुख वैश्विक कारणों में से एक है। यह बैक्टीरिया मांसाहार और फल-सब्जियों के साथ-साथ मनुष्य की आंतों में भी पाया जाता है। WHO के अनुसार, साल्मोनेला संपूर्ण खाद्य शृंखला में एक घटक से घटक में स्थानांतरित हो सकता है। मनुष्यों में सैल्मोनेलोसिस का संक्रमण आमतौर दूषित पशु उत्पादों (मुख्य रूप से अंडे, मांस, पोल्ट्री और दूध) के सेवन से होता है। इसके अलावा खाद द्वारा दूषित हरी सब्जियों सहित अन्य खाद्य पदार्थों के माध्यम से भी मनुष्यों में इसका संचरण होता है।
- 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस (World Autism Awareness Day)-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा
इस वर्ष विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस की थीम है।-‘सहायक प्रौद्योगिकी, सक्रिय भागीदारी’ (Assistive Technologies, Active Participation) https://en.wikipedia.org/wiki/World_Autism_Awareness_Day ड्रग इम्यून फंगल इन्फेक्शन (Drug Immune Fungal Infection) दुनिया भर के अस्पतालों में रोगियों के लिये दवाओं के प्रति फंगल संक्रमण से संबंधित प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाया जा रहा है। कैंडिडा ऑरिस(candida auris-C auris) के रूप में नामित कवक जो कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों पर हमला करता है। यह तेज़ी से दुनिया भर में फैल रहा है। पिछले पाँच वर्षों में इसकी पहचान वेनेजुएला, स्पेन, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में की गई है। हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सी. ऑरिस की पहचान की गई थी। सी. ऑरिस प्रमुख एंटीफंगल दवाओं के प्रति प्रबल है, जो इसे दुनिया के सबसे दुसाध्य उपचार खतरों में से एक का नया उदाहरण बनाता है। इसके संक्रमण के लक्षणों में बुखार, दर्द और थकान का होना है। रोग नियंत्रण केंद्र संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुसार, सी. ऑरिस के संक्रमण वाले आधे से अधिक मरीजों की मृत्यु 90 दिनों के भीतर हो जाती है।
इंटरनेशनल लीग अगेंस्ट एपिलेप्सी (International League Against Epilepsy- ILAE) की स्थापना वर्ष 1909 में हुई थी। इसका प्रमुख उद्देश्य मिर्गी के बारे में लोगों को जागरूक करना तथा इसके इलाज़ के लिये अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना, विशेष रूप से रोकथाम, निदान और उपचार द्वारा रोगियों की सेवाओं और देखभाल में सुधार करना है।
टेक्सास विश्वविद्यालय के एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर के शोधकर्त्ताओं के एक समूह ने राइबोसिक्लिब(Ribociclib)नामक दवा पर एक अध्ययन किया।यह दवा स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं (अपेक्षाकृत युवा महिलाओं) की हार्मोन थेरेपी में काफी उपयोगी मानी जा रही है।
- इस अध्ययन में 40-50 वर्ष की महिलाओं को शामिल किया गया जो हार्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव (Hormone Receptor-Positive/ HR+) स्तन कैंसर और ह्यूमन एपिडर्मल रिसेप्टर 2 नेगेटिव (Human Epidermal Receptor 2- Negative/‘HER2-’) बीमारी से पीड़ित थी।
- HR+कैंसर में ट्यूमर शामिल होता है जो हार्मोन को अवरुद्ध करने के उद्देश्य से एंटी-एस्ट्रोजन (अंतःस्रावी) के उपचार के लिये ग्राह्य होते हैं जबकि ‘HER2-’ का अर्थ है कि रोगी में इस नाम के प्रोटीन की कमी हो जाती है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में लगभग 35% रोगियों में ‘HR+’स्तन कैंसर और ‘HER2-’ बीमारी का निदान किया जाता है जिनकी उम्र 40 वर्ष से भी कम है। भारत में स्थिति
- प्रत्येक 28 भारतीय महिलाओं में से एक(शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक 22 महिलाओं में से 1,जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक 60 महिलाओं में से 1) में स्तन कैंसर विकसित होने की संभावना है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार,महिलाओं में सबसे अधिक स्तन कैंसर की समस्या सामने आती है,प्रत्येक वर्ष 2.1 मिलियन महिलाएँ स्तन कैंसर से प्रभावित होती हैं।
- वर्ष 2018 में 6,27,000(15%) महिलाओं की स्तन कैंसर से मृत्यु हुई।
- भारत में महिलाओं में सभी प्रकार के कैंसर में से स्तन कैंसर का प्रतिशत 14% है।
अफ्रीकी देश मलावी में 2 वर्ष से छोटे बच्चों के लिये मलेरिया के पहले टीके को लॉन्च किया गया है।
इस टीके का नाम RTS,S रखा गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसे लगाने के बाद मलेरिया नियंत्रण में सफलता मिलेगी।
RTS,S/AS01 (ट्रेड नाम-Mosquirix) एक इंजेक्शन वैक्सीन है जो अफ्रीका में सबसे अधिक प्रचलित मलेरिया, पी.फाल्सीपेरम को लक्षित करेगा।
बुर्किना फासो (Burkina Faso) में मच्छर मारने की एक दवा ‘आइवरमेक्टिन’ (Ivermectin) का परीक्षण
- परीक्षण में यह बात सामने आई है कि आइवरमेक्टिन दवा लेने के पश्चात् लोगों का रक्त मच्छरों के लिये घातक हो जाता है जिससे पुन: दूसरों को काटने और संक्रमित करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।[२]
- मलेरिया से एक साल में 200 मिलियन से अधिक लोग संक्रमित होते हैं और 2017 में इससे 4,35,000 लोगों की मौत हो गई। इनमें से ज़्यादातर अफ्रीका के थे।
- इस दवा का उपयोग पहले से ही परजीवियों से होने वाले संक्रमण को रोकने में होता रहा है। किंतु मलेरिया के मामले में इसका परीक्षण पहली बार किया गया है।
- यह दवा मलेरिया नियंत्रण की अन्य विधियों के साथ प्रयुक्त करने से अधिक प्रभावी होगी।
- इस दवा के परीक्षण के लिये बुर्किना फासो के आठ गाँवों के 590 बच्चों सहित 2,700 लोगों को शामिल किया गया।[३]
- उस गाँव में जहाँ यह दवा इस्तेमाल नहीं की गई थी वहाँ औसतन 2.5 बच्चे मलेरिया से प्रभावित थे, लेकिन जिन गाँवों में यह दवा दी गई वहाँ औसतन 2 बच्चे इससे ग्रसित थे।
- वैज्ञानिकों का कहना है कि मलेरिया के खिलाफ लड़ाई आंशिक रूप से रुकी हुई है क्योंकि मच्छर उन कीटनाशककों के प्रति प्रतिरोधी हो गए हैं जो कि आमतौर पर इस्तेमाल किये जाते हैं।
- मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करने के लिये अन्य विधियों का परीक्षण किया जा रहा है जिसमें टीका और आनुवंशिक संशोधन भी शामिल हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्व स्वास्थ्य सगठन की पहल
[सम्पादन]- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health organisation-WHO) द्वारा विश्व रिपोर्ट जारी की गई है।
यह रिपोर्ट पहली बार जारी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार,2.6 बिलियन लोग दूर दृष्टि दोष (मायोपिया) से ग्रसित हैं इनमें से 312 मिलियन लोग 19 वर्ष से कम आयु के हैं। पश्चिमी और पूर्वी उप-सहारा अफ्रीका तथा दक्षिण एशिया के निम्न और मध्यम-आय वाले क्षेत्रों में दृष्टिहीनता की दर उच्च-आय वाले देशों की तुलना में आठ गुना अधिक है।
- ट्रांस फैट एक हानिकारक यौगिक है जो कई देशों में खाद्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।तरल वनस्पति तेलों को अधिक ठोस रूप में परिवर्तित करने तथा खाद्य भंडारण एवं उपयोग अवधि (Shelf Life) में वृद्धि करने के लिये इन तेलों का हाइड्रोजनीकरण किया जाता है, इस प्रकार संतृप्त वसा या ट्रांस फैट का निर्माण होता है।
हाल ही में WHO की ट्रांस फैट (Trans Fat) उन्मूलन पर जारी पहली वार्षिक वैश्विक प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय संघ सहित अन्य 24 देशों ने ट्रांस फैट नियमों को अपनाया है जिन्हें अगले दो वर्षों में लागू किया जाएगा। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रांस फैट के कारण प्रत्येक वर्ष लगभग पाँच लाख लोगों की मौत हो रही है तथा प्रतिदिन खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट के सेवन से लगभग पाँच अरब लोग खतरे में हैं।
- कार्डियो-वैस्कुलर रोग (CVD) वैश्विक स्तर पर मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है परंतु उच्च आय वाले देशों ( (High Income Countries-HIC) में कैंसर के कारण होने वाली मौतों CVD की तुलना में दोगुनी हैं, जबकि भारत सहित निम्न आय वाले देशों (Low Income Countries-LIC) में CVD के कारण होने वाली मौतें कैंसर की तुलना में तिगुनी हैं।
इस शोध पत्र में निम्न आय वाले देशों (LIC) एवं मध्यम आय वाले देशों में (Middle-Income Countries-MIC) घरेलू वायु प्रदूषण को CVD के एक प्रमुख कारण के रूप में पहचाना गया है। निम्न आय वाले देशों में जोखिम कारकों के कम होते हुए भी उच्च मृत्यु दर का कारण गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच की कमी और बीमा सुविधा का अभाव है। हृदय रोग के जोखिम कारक वे विशेष आदतें, व्यवहार व दिनचर्या आदि हैं जो किसी व्यक्ति के हृदय रोग से ग्रस्त होने के जोखिम को बढ़ाते हैं।
- धूम्रपान।
- व्यायाम की कमी।
- वसायुक्त आहार।
- मोटापा।
- उच्च रक्तचाप।
- कार्डियो-वैस्कुलर रोग का पारिवारिक इतिहास।
- 7 अप्रैल-विश्व स्वास्थ्य दिवस
लोगों को स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक बनाने के उद्येश्य से WHO अपनी स्थापना दिवस के अवसर पर 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाता है।(WHO की स्थापना 7 अप्रैल, 1948 ) इस वर्ष के स्वास्थ्य दिवस की थीम है- यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज। जिसका तात्पर्य आय की विभिन्नता से परे सभी लोगों की गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा तथा स्वास्थ्य संबंधी अन्य आवश्यकताओं तक पहुँच सुनिश्चित करना है।
- 24 मार्च विश्व क्षय रोग दिवस(तपेदिक)
- वर्ष 2019 की थीम ‘It’s Time (यही समय है) रखी गई है।
- इस भावना के अनुरूप भारत ने वैश्विक लक्ष्य से पाँच वर्ष पूर्व ही अर्थात् 2025 तक क्षय रोग के उन्मूलन के लिये प्रतिबद्धता जताई है।
- Revised National TB Control Program (RNTCP) के तहत क्षय रोग के नियंत्रण और उन्मूलन के लिये 'क्षय रोग 2017-2025 राष्ट्रीय रणनीतिक योजना' चलाई जा रही है। यह दिवस क्षय रोग से संबंधित समस्याओं और समाधान के बारे में लोगों को जागरूक करने और विश्वभर में इसके नियंत्रण के प्रयासों का समर्थन करने के लिये मनाया जाता है।
- 1882 में क्षय रोग (TB) के जीवाणु की खोज करने वाले डॉ. रॉबर्ट कोच की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है।[४]
4 फरवरी विश्व कैंसर दिवस
इसकी शुरुआत 4 फरवरी, 2000 को पेरिस में न्यू मिलेनियम हेतु कैंसर के खिलाफ विश्व सम्मेलन में पेरिस चार्टर द्वारा की गई थी।
वर्ष 2019 में तीन वर्षों, 2019-21 के लिये #IAmAndIWill अभियान की शुरुआत की गई है।
- IAMANDIWILL व्यक्तिगत प्रतिबद्धता हेतु एक सशक्त कॉल-टू-एक्शन आग्रह है जो भविष्य को प्रभावित करने के लिये यथाशीघ्र की जाने वाले कार्रवाई को इंगित करता है।
विश्व स्वास्थ्य सगठन के अनुसार, कैंसर की वज़ह से एक मिनट में 17 लोगों की मौत हो जाती है।[५]
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना सस्ती/विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में असंतुलन को दूर करने और देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय शिक्षा हेतु सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से 2003 में की गई थी। अक्तूबर 2018 में अस्ताना,कजाकिस्तान में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर वैश्विक सम्मेलन के दौरान दुनिया भर में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर बल देते हुए ‘अस्ताना घोषणा’ को पृष्ठांकित किया गया। इस घोषणा में भारत सहित सभी 194 WHO सदस्य देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं।
नीति आयोग (NITI Aayog) का राज्य स्वास्थ्य सूचकांक (State Health Index) का दूसरा संस्करण जून 2019 में जारी
[सम्पादन]इसमें केरल सर्वाधिक स्वस्थ राज्य के रूप में शीर्ष स्थान पर काबिज़ है जबकि उत्तर प्रदेश इस सूचकांक में सबसे निचले पायदान पर है। यह चिंता की बात है कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखा है। हालाँकि राजस्थान जैसे कुछ राज्यों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार देखने को मिला है। इस सूचकांक के अंतर्गत वर्ष 2015-16 को आधार वर्ष एवं वर्ष 2017-18 की अवधि को संदर्भ वर्ष मानते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के समग्र प्रदर्शन एवं वृद्धिशील सुधार का विश्लेषण किया गया। इसके अनुसार, बिहार में आधार वर्ष 2015-16 और संदर्भ वर्ष 2017-18 में स्वास्थ्य स्थिति में आई गिरावट के लिये जिन कारकों को ज़िम्मेदार माना गया उनमें शामिल हैं; कुल प्रजनन दर, जन्म के समय शिशु का कम वज़न, जन्म के समय लिंगानुपात, टीबी उपचार सफलता दर, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निधि हस्तांतरण के अंतर्गत होने वाली देरी। बिहार में केवल 56% माताएँ ही स्वास्थ्य सुविधाओं से युक्त अस्पतालों में प्रसव कराती हैं, जो राष्ट्रीय औसत के हिसाब से बहुत खराब स्थिति है। यह स्थिति अत्यंत दयनीय इसलिये भी है क्योंकि वर्ष 2015-16 की तुलना में जन्म के समय कम वज़न वाले बच्चों की जन्म दर अधिक होने के कारण बिहार खतरे की स्थिति में है। उत्तराखंड के स्वास्थ्य सूचकांक में आई गिरावट के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं- नवजात मृत्यु दर पाँच वर्ष से कम के बच्चों की मृत्यु दर ज़िला स्तर पर प्रमुख प्रशासनिक पदों के कार्यकाल की स्थिरता प्रथम रेफरल इकाइयों (First Referral Units- FRU) का सही से संचालन न हो पाना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निधि हस्तांतरण में होने वाली देरी उड़ीसा के स्वास्थ्य सूचकांक में आई गिरावट के प्रमुख कारणों में अधिकतर पूर्ण टीकाकरण दर और टीबी उपचार की सफलता दर में कमी शामिल हैं जबकि मध्य प्रदेश के मामले में जन्म पंजीकरण दर और टीबी उपचार की सफलता दर में आई कमी प्रमुख बाधा रही है। बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में भी तमिलनाडु तीसरे स्थान से नौवें स्थान पर, जबकि पंजाब दूसरे स्थान से पाँचवें स्थान पर आ गया है। इस बार दूसरे सर्वश्रेष्ठ राज्य का स्थान आंध्र प्रदेश को दिया गया है, जबकि महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है। वृद्धिशील प्रदर्शन वृद्धिशील प्रदर्शन के मामले में हरियाणा, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्य सराहना के पात्र रहे है। जहाँ एक ओर नीति आयोग की रिपोर्ट में केरल के स्वास्थ्य परिणामों की तुलना अर्जेंटीना और ब्राज़ील से की गई है, जिसमें नवजात मृत्यु दर (Neo-Natal Mortality Rate-NMR, जो जन्म के पहले 28 दिनों में प्रति 1,000 जीवित बच्चों पर मरने वाले बच्चे की संख्या को इंगित करती है) छह से भी कम है। वहीं दूसरी ओर रिपोर्ट के अनुसार, उड़ीसा में नवजात मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित बच्चों पर 32 है, जो सिएरा लियोन (Sierra Leone) के आँकड़ों के करीब है। प्रत्येक राज्य को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये अपने बजट का कम-से-कम आठ फीसदी हिस्सा खर्च करना चाहिये, ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं के दायरे को और अधिक विस्तार दिया जा सकें।
संदर्भ
[सम्पादन]- ↑ नेशनल हेल्थ पोर्टल
- ↑ https://www.thehindu.com/sci-tech/health/mosquito-killing-drug-offers-new-tool-for-fighting-malaria/article26547864.ece
- ↑ https://www.thelancet.com/journals/lancet/article/PIIS0140-6736(18)32321-3/fulltext
- ↑ https://www.who.int/news-room/campaigns/world-tb-day/world-tb-day-2019
- ↑ https://www.who.int/cancer/world-cancer-day/en/