हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/कव्वाली

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कव्वाली

छाप-तिलक तज दीन्हीं रे, तो से नैना मिला के।

प्रेम बटी का मदवा पिलाके,

मतवारी कर दीन्हीं रे, मो से नैना मिला के।

`खुसरो' निज़ाम पै बलि-बलि जइए,

मोहे सुहागन कीन्हीं रे, मोसे नैना मिला के॥