हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/केश वर्णन

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हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)
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केश वर्णन


तेहि पर कच बिखधर सारे। लोतही सेज सहज लुहकारे।

सगबगाही परतिख मनियारे। गरल भरे बिखधर हतियारे।

निशि अंजोर जैस बदन दिखाए। तस अंध्यार दिन कच मोंकाराए।

कच न होहि बिहरी दुख सारा। भएउ जाई मधु सीस सिंगारा।

भूली दसौ दसा निजु ताहि। चिहुर चिन्हारी भई जग जाही।

छिटके चीहुर सोहागिनी जगत भएउ अंधकाल।

जनु बिरही जन जिय बध कारन मनमथ रोपा जाल।।