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हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/नेत्र वर्णन

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हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)
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नेत्र वर्णन


सूते स्याम सेत औ राते। लागत हिएँ निफारे ही जाते।

चपल बिसाल तीख अति बाँके। खंजन पलक-पंख सेउँ ढाँके।

पारधि जनु अगनित जिउ हरे। पौढ़ें धनुक सीस तर धरें।

सनमुख पीन केलि जनु करहीं। कै जनु दुइ खंजन उड़ि लरहीं।

दुवौ नैन जिय कै बियाधा। देखत उठै मरै के साधा।

अचिजु एक का बरनौं, बरनत न जाइ।

जनु सारंग सारंग तर, निभरम पौढ़े आई॥