हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/त्रिबली वर्णन
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करी माहै त्रीबाली कसी अही। बिधनै गढ़त मूंठी जनू गही।
गुरजन लाज मनही मन मानेउ । तौ नहीं मदन भंडार बखानेउ।
देखि नितंब चिहुंटी चित लागा। परत दिस्ती मनमथ तन जागा।
जुगुल जघ देखि मन थाहराई। भरमेउ जिऊ किछु कहा न जाई।
राते केवल सेत सोहाए। तरुवन्ह कंवल पततर जिमी लाए।
उपमा देत लेजानेउ सुन्हू काहै सति भाऊ