हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/पग बांधा घुंघर्यां
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पग बाँध घूँघर्याँ णाच्याँरी।।टेक।।
लोग कह्याँ मीरा बावरी, सासु कह्याँ कुलनासा री।
विख रो प्यालो राणा भेज्याँ, पीवाँ मीराँ हाँसाँ री।
तण मण वार्याँ परि चरिणामाँ दरसण अमरित प्यासाँ री।
मीराँ रे प्रभु गिरधर नागर, थारी सरणाँ आस्याँ री।।