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हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका/वीरों का कैसा हो वसंत

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हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका
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वीरों का कैसा हो वसंत



संदर्भ

वीरों का कैसा हो वसन्त ' कविता प्रसिद्ध कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित हैं। यह स्वच्छंद कवियित्री है। यह अपनी कविताओं में स्वच्छंदता को उजागर करती है।


प्रसंग

में कवयित्री ने एक वीर सैनिक सारी सुख-सुविधा का त्यागकर देश की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहता है, उनका वसंत कैसा होगा वर्णन किया है।

व्याख्या

कवियित्री कहती है, हिमालय से पुकार आ रही है वीरो का वसंत कैसा होगा। पश्चिम पूर्व, उत्तर दक्षिण दसो दिशाओं से यही प्रश्न उठ रहा है कि वीरो का वसंत कैसा होगा। फूल और सरसो अर्थात् लहराते फसलों ने वीरो के जीवन में रंग भर दिया है। आसमान मानो पुष्प से भरा हो। वसंत के रंगों से दुल्हन बनी धरती का अंग अंग पुलकित अर्थात् प्रसन्न हो जाता हैं। परन्तु उसके पति/प्रिय वर्दी में है अर्थात् युद्ध के लिए त्यार है। फिर यही प्रसन्न है वीरो का वसंत कैसा होना चाहिए। कवियित्री कहती है,वीरो के जीवन में बसंत तब आएगा जब वे शांति से खुशियां बना पाएंगे अन्यथा उनका वसंत युद्ध में ही बीत जाएगा। वसंत में कोयल कुकती है और युद्ध में नगाड़ों बजते है। वीर जब युद्ध में उतरते है तो आदि और अनत अर्थात् जीवन ओर मृत्यु को हथेली में ले कर जाते है। जीत मिलेगी तो जीवन मिलेगा पराजय मिली तो मृत्यु। इसीलिए कवियित्री पूछती है वीरो का वसंत कैसा हो? कवियित्री कहती है, एक ओर वीर अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित लगते है तो एक ओर प्रियतम के बहो के हार में देखते है। इस तरह वह पूछती है वीर अस्त्र शस्त्र चुने या प्रियतम के बहो का हार। धनुष संभाले या प्रियतम के नैनो के बाण। वह विलासिता  की जीवन जिए या युद्ध का चुनाव करें।कवियित्री कहती है अतीत को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। युद्ध से किसी का भला नहीं होता जितने वाला हारने वाला दोनों खाली हाथ रह जाता है। लंका में आग क्यों लगी इस प्र विचार करना चाहिए। अनन्त अनुभवी को बता कर युद्ध को रोकना चाहिए। युद्धों के मिशाल बने हल्दीघाटी ओर सिहगढ़ के किलो का आवाह्न किया जाए और महाराणा प्रताप सिंह को बुलाया जाए ताकि नौजवान में वीर रस पैदा है। कवियित्री दुःख प्रकट करते हुए कहती है, आज भूषण ओर चंद जैसे कवि नहीं रहे को छंदों में जान डाल सके। आज के कवि स्वच्छंद नहीं है बल्कि अंग्रेज शासकों के गुलाम है। इसीलिए खुलकर अपने विचार अभिव्यक्त नहीं कर पाते। फिर हम को बताएगा की वीरो का वसंत कैसा होगा।

विशेष

1) सरल भाषा का प्रयोग किया हैं।

2)युद्ध में जा रहे वीर जवानों की मनोस्थिति का वर्णन है।

3)युद्ध का विरोध करा है।

4) दिग्ग- दिगंत में अनुप्रास अलंकार है।

5) ओज गुण का पुट है।

6) प्रकृति का मानवीकरण है।

7) राष्ट्रीय चेतना को दर्शाय है।