हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका/ठुकरा दो या प्यार करो

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हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका
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ठुकरा दो या प्यार करो


संदर्भ

ठुकरा दो या प्यार करो कविता हिन्दी की राष्ट्रिय धार की कवयित्री तथा कहानी लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित हैं। देश-प्रेम तथा भक्त उनकी कविता के मुख्य विषय हैं। मुकुल उनकी कविताओं का संग्रह है। उनकी कुछ कविताएँ त्रिधारा में भी संग्रहित हैं। उनकी कविताएँ अपनी सरलता एवं सहजता के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता-अंदोलन में सक्रिय भाग लिया था।

प्रसंग

ठुकरा दो या प्यार करो कविता में कवयित्री ने यह दिखाया है कि भगवान की उपासना सच्चे ह्रदय से की जाती है, न कि ठाट-बाट और आडंबरों से।


व्याख्या

कवियित्री कहती है, हे भगवान् आपके भक्त बहुत है। जो आपके लिए बहुमूल्य वस्तुएं अपने साथ लाते हैं। बहुत धूमधाम के साथ वह मंदिर आते हैं। और खुद भी बहुत सज कर आते हैं। परंतु मैं गरीब हूं मेरे पास आपके देने के लिए कुछ नहीं हैं। फिर भी में पूजा करने आई हूं। ना मेरे पास दीया है जिससे में आरती करू,ओर ना ही आपके श्रृंगार के लिए कुछ है। कवियित्री अपनी दुखद स्तिथि की ओर इशारा करते हुए कहती हैं हाय!मेरे पास फूलों की माला भी नहीं हैं। कवियित्री कहती है,मेरी आवाज भी ठीक नहीं हैं में आपके लिए भजन भी नहीं गा सकती। मै इतनी चतुर भी नहीं जो अपनी में के भाव को प्रकट कर सकू। मेरे पास दान करने के लिए कुछ नहीं हैं। मुझे पूजा का तरीका नहीं आता। हे भगवान अपनी भक्तन को समझो और मेरी भक्ति को ही मेरा दान समझो। मैं अपने हृदय से आपकी पूजा करने आई हूं। मैने आपको अपनी भक्ति दी है,आप इसे चाहो तो स्वीकार करो या ना करो।

विशेषता

1)सरल एवं सहज भाषा का प्रयोग किया है।

2)प्रेम के पवित्र रूप को दर्शाया है।

3) बाह्य आडम्बरो का विरोध कर है।

4) भाषा में आक्रोश विद्यमान है।

5) दिखावे का वर्णन है।

6) शैली में व्यंग्य है।