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हिंदी कविता (छायावाद के बाद) सहायिका/उधर के चोर

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हिंदी कविता (छायावाद के बाद) सहायिका
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उधर के चोर
अरुण कमल

=संदर्भ= यह कविता "अरुण कमल" द्वारा रचित है। जो "उधर के चोर 'शीर्षक से लिया गया है। अरुण कमल पटना विश्वविद्यालय में प्राचार्य है।

=प्रसंग= इस कविता में "उधर के चोर" कविता के माध्यम से "अरुण कमल" ने यह दिखालाने का प्रयास किया है।  कि जो यह उधर के चोर है जो एक "साधारण चोर" हैं।  जैसे कि खाने पीने की चीज चुराते हैं।  इस कविता के माध्यम से अरुण कमल ने जो "समाज के असली चोर" है। पर "तीखा व्यंग्य" किया है।इस कविता मे मुख्य रूप "शासक वर्ग" को चोर कहा है। जो बड़े -बड़े घोटाले करते है।  

=व्याख्या= इस कविता के माध्यम से कवि भारत की गरीबी का बहुत ही मार्मिक चित्रण करता हुआ कहता हैं। कि चोरी का मतलब हम क्या समझते हैं कि चोर सोना चांदी रुपया पैसा आदि लेकर जाता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपना पेट भरने के लिए यह अजीबोगरीब चोरी डकैती करते हैं। कवि कहता है एक जगह ऐसी है जहां के चोर सात बजते-बजते चोरी के काम को अंजाम देते हैं। सुनकर आश्चर्य होगा यह तो इतने अनोखे चोर हैं। कि वे लोगों से झूला अंगोछा चुनौटी खैनी आदि की डिबिया लूटते हैं। और लूट करने के बाद रहड के खेत में घूम हो जाते हैं। यह हमारे समाज की विडम्बना है कि हमारा समाज आज भी गरीबी की रेखा से नीचे का जीवन जी रहा है। कवि व्यंग्य करते हुए कहता है कि एक ऐसी घटना सुनकर आप भी आचार्य चकित हो जाएंगे। बल धारी लुटेरों ने एक खेत में चने का साग तोड़ डाला और उस पर एक चूड़ी हार की चूड़ियां लूट ली। कवि आगे कटाक्ष करते हुए कहता है कि इससे भी हैरत मे डालने वाली घटना यह हुई। कि एक चोर सेंध मारकर बासी भात और साग खा जाता है। हम देखते हैं कि इन घटनाओं के माध्यम से कवि हमारे समाज की गरीबी का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत करता है। हम सोचते हैं कि समय और समाज बदल गया है। आधुनिक भारत अपना झंडा लहरा रहा है कि भारत डिजिटल हो रहा है। लेकिन हम जब "अरुण कमल" की कविता "उधर के चोर" पर दृष्टि डालते हैं। तो सारी की सारी आधुनिकता तबाह हो जाती है। आज भी हमारे समाज में कुछ लोग ऐसे हैं जो बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं।

उनके लिए बासी भात और साग छप्पन भोग के बराबर है। और झोला चुनौटी अंगोछा चूड़ियां आदि किसी सोने-चांदी या रुपयों से कम नहीं है। यह कविता हमारे समाज की सच्चाई का पर्दाफाश करती है। और यह हमारा सामना एक कटु सत्य से कराती है। अरुण कमल की कविता पर मार्क्सवादी विचारधारा का प्रभाव देखने को मिलता है। अरुण कमल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह एक निर्धन समाज के चित्रण को दिखाते हैं। जैसे:-धार, उधर के चोर, नए इलाके में, आदि इन प्रमुख कविताओं में देखने को मिलता है। अरुण कमल वर्तमान की समस्याओं को जैसे:- "नए इलाके में" कविता में एक जगह देखने को यह मिलता है। कवि कह रहा है कि रोज कुछ बन रहा है और रोज कुछ बिगड़ रहा है। और मानव की स्मृतियां खत्म होते जा रही है। इस वर्णन के मुताबिक वर्तमान समाज की समस्याओं का सुन्दर चित्रण उनकी कविताओं में देखने को मिलती है।

=काव्य विशेष=

(1) इनकी कविताओं में आधुनिक समाज की समस्याओं का चित्रण देखने को मिलती है।

(2) इनकी कविता में गरीब वर्ग का चित्रण देखने को मिलता है।

(3) अरुण कमल ने मुख्य रूप से समाज के सामाजिक बुराइयां को दिखाने का प्रयास किया है। जैसे :- शोषण, आदि।

(4) अरुण कमल की कविता में "मार्क्सवादी विचारधारा" देखने को मिलती है।