हिंदी पत्रकारिता/डिजिटल युग में पत्रकारिता
तकनीकी विकास को साथ-साथ जनसंचार माध्यमों यथा हिन्दी पत्रकारिता के रूख में तेजी से परिवर्तन देखने को मिला है। तकनीकी के विस्तार से हिन्दी पत्रकारिता के विस्तार में मदद मिली है। हिन्दी समाचार चैनल, समाचार पत्रों के साथ-साथ हिन्दी में समाचार वेबसाइट के कारण हिन्दी पत्रकारिता का दायरा बढ़ा है। हिन्दी पत्रकारिता को व्यवसायिक कलेवर में ढाला जा चुका है। वहीं तमाम समानान्तर माध्यम भी कार्य कर रहे है, जो व्यवसायिकता से अभी परे है। यह समय के साथ लगातार विकसीत हो रहा है। तकनीकी के कारण सूचनाओं पर लगने वाली बंदिशे कम हुई है और लोगो तक अबाध सूचना का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इन सबके चलते हिन्दी पत्रकारिता ने नये दौर मे प्रवेश किया है।
21वीं शताब्दी सूचना प्रौद्योगिकी का युग है। आधुनिक संचार तकनीकी का मूल आधार इन्टरनेट है। कलमविहीन पत्रकारिता के इस युग में इन्टरनेट पत्रकारिता ने एक नए युग का सूत्रपात किया है। वेब पत्रकारिता को हम इन्टरनेट पत्रकारिता, ऑनलाइन पत्रकारिता, साइबर पत्रकारिता के नाम के जानते है। यह कम्प्यूटर और इंटरनेट द्वारा संचालित एक ऐसी पत्रकारिता है, जिसकी पहुँच किसी एक पाठक, एक गाँव, एक प्रखण्ड, एक प्रदेश, एक देश तक नहीं अपितु समूचे विश्व तक है।
प्रिंट मीडिया से यह रूप में भी भिन्न है इसके पाठकों की संख्या को परिसीमित नहीं किया जा सकता है। इसकी उपलब्धता भी सर्वाधिक है। इसके लिए मात्र इन्टरनेट और कम्प्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल की जरूरत होती है। इंटरनेट वेब मीडिया की सर्वव्यापकता को भी चरितार्थ करती है जिसमें खबरें दिन के चौबीसों घण्टे और हफ्ते के सातों दिन उपलब्ध रहती हैं वेब पत्रकारिता की सबसे बड़ी खासियत है उसका वेब यानी तरंगों पर आधारित होना । इसमें उपलब्ध किसी दैनिक, साप्ताहिक, मासिक पत्र-पत्रिका को सुरक्षित रखने के लिए किसी आलमीरा या लाइब्रेरी की ज़रूरत नहीं होती।
समाचार पत्रों और टेलीविजन की तुलना में इंटरनेट पत्रकारिता की उम्र बहुत कम है लेकिन उसका विस्तार बहुत तेजी से हुआ है। उल्लेखनीय है कि भारत में इंटरनेट की सुविधा 1990 के मध्य में मिलने लगी। इस विधा में कुछ समय पहले तक अंग्रेजी का एकाधिकार था लेकिन विगत दशकों में हिन्दी ने भी अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज की है। इंदौर से प्रकाशित समाचार पत्र 'नई दुनिया' ने हिन्दी का पहला वेब पोर्टल 'वेब दुनिया' के नाम से शुरू किया। अब तो लगभग सभी समाचार पत्रों का इंटरनेट संस्करण उपलब्ध है। चेन्नई का 'द हिन्दू' पहला ऐसा भारतीय अखबार है जिसने अपना इंटरनेट संस्करण वर्ष 1995 ई. में शुरू किया। इसके तीन साल के भीतर यानी वर्ष 1998 ई. तक लगभग 48 समाचार पत्र ऑन-लाइन हो चुके थे। ये समाचार पत्र केवल अंग्रेजी में ही नहीं अपितु हिन्दी सहित अन्य भारतीय भाषाओं जैसे मलयालम, तमिल, मराठी, गुजराती आदि में थे। आकाशवाणी ने 02 मई 1996 'ऑन-लाइन सूचना सेवा' का अपना प्रायोगिक संस्करण इंटरनेट पर उतारा था। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2006 ई. के अन्त तक देश के लगभग सभी प्रतिष्ठित समाचार पत्रों एवं टेलीविजन चैनलों के पास अपना इंटरनेट संस्करण भी है जिसके माध्यम से वे पाठकों को ऑन-लाइन समाचार उपलब्ध करा रहे हैं।
ऑन-लाइन पत्रकारिता, हिन्दी ब्लॉग, हिन्दी ई-पत्र-पत्रिकाएँ, हिन्दी ई-पोर्टल, हिन्दी वेबसाइट्स, हिन्दी विकिपीडिया आदि के रूप में नव-जनमाध्यम आधारित हिन्दी पत्रकारिता के विविध स्वरूपों को समझा जा सकता है।