हिन्दी दिवस/कारण

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हिन्दी दिवस
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हिन्दी दिवस मनाने का सबसे मुख्य कारण हिन्दी भाषा के प्रति लोगों को जागरूक करना है। क्योंकि कभी कोई देश अपनी मातृ भाषा को छोड़ कर अपना विकास नहीं कर सकता और न ही ऐसे विकास का कोई महत्व है। हिन्दी दिवस के द्वारा विद्यालय में बच्चों को अपने मातृ भाषा के प्रति जागरूक हो कर अपनी भाषा का ज्ञान और प्रसार करने की शिक्षा दी जाती है।

मुख्य कारण[सम्पादन]

हिन्दी भाषा का विकास मुगलों के शासन काल के दौरान ही हो पाया। इसके बाद जब अंग्रेजों ने व्यापार के नाम पर देश को गुलाम बनाया तो उसके बाद वह सभी लोग केवल अंग्रेज़ी भाषा का विकास और हिन्दी भाषा को हानि पहुंचाने लगे। इससे कई लोगों को मातृ भाषा में अंग्रेज़ी भाषा घुलने लगी। इस कारण जब तक देश अंग्रेजों से आजाद हुआ तब तक हिन्दी का बहुत बुरा हाल हो चुका था। विश्व की मातृ भाषा के रूप में सबसे अधिक बोले जाने वाली तीसरी भाषा होने के बावजूद बहुत कम लोग ही अच्छे से हिन्दी बोल पाते हैं।

जब आजादी के बाद हिन्दी को राष्ट्र भाषा का दर्जा देने का समय आया तो कई लोगों ने जाति-भाषा की राजनीति हेतु इसका विरोध किया। इसके कारण अंग्रेज़ी (एक गैर-भारतीय भाषा को) हिन्दी भाषा के समान अधिकार दिया गया और वह भी भारत कि राजभाषा बन गया। इस भाषा के प्रभाव से बचाने के लिए हिन्दी दिवस मानना शुरू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य अपनी मातृ भाषा हिन्दी की रक्षा करना और उसका विकास करना है।

अन्य कारण[सम्पादन]