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  • पहाड़ी, ३. राजस्थानी, ४. बिहारी, एवं ५. पूर्वी हिंदी और इन्हीं से विभिन्न बोलियां विकसित हुईं। पश्चिमी हिंदी के अंतर्गत हरियाणवी, खड़ी बोली, ब्रजभाषा...
    ४४ KB (३,०३१ शब्द) - १६:३७, १७ दिसम्बर २०२२
  • ही हिन्दी प्रदेश कहते है। हिन्दी प्रदेश के बाहर भी किन्हीं दूर - दराज के पहाड़ी एवं जंगली इलाकों को छोड़कर सारे भारत में हिन्दी बोली और समझी जाती है। भारत...
    ७ KB (४०० शब्द) - ०४:४८, २५ जुलाई २०२१
  • प्रवृत्त हुए, पर भाषा उन्होंने परंपरा से चली आती हुई ब्रजभाषा ही रखी और छंद भी वे ही लिए जो ब्रजभाषा में प्रचलित थे। पर भारतेंदु के गोलोकवास के थोड़े ही...
    १३२ KB (९,९७४ शब्द) - १३:३१, २४ मार्च २०१७
  • रचनाएँ। आँसू, लहर तथा कामायनी दूसरे वर्ग की रचनाएँ हैं। उन्होंने काव्यरचना ब्रजभाषा में आरम्भ की और धीर-धीरे खड़ी बोली को अपनाते हुए इस भाँति अग्रसर हुए कि...
    ४२ KB (२,९४६ शब्द) - १५:०६, २९ मई २०२०
  • रचनाएँ। आँसू, लहर तथा कामायनी दूसरे वर्ग की रचनाएँ हैं। उन्होंने काव्यरचना ब्रजभाषा में आरम्भ की और धीर-धीरे खड़ी बोली को अपनाते हुए इस भाँति अग्रसर हुए कि...
    ४१ KB (२,९२५ शब्द) - ०८:२४, ९ अक्टूबर २०२१
  • लिखते थे। ब्रजभाषा की अच्छी कविता ये बाल्यावस्था से ही करते थे जिससे बहुत शीघ्र रचना करने का इन्हें अभ्यास हुआ। कृष्णलीला को लेकर इन्होंने ब्रजभाषा में एक...
    १२५ KB (९,३०५ शब्द) - ०८:३०, ७ सितम्बर २०१६
  • इस धारा का प्रवर्तन द्वितीय उत्थान में इस बात को लेकर हुआ था कि ब्रजभाषा के स्थान पर अब प्रचलित खड़ी बोली में कविता होनी चाहिए; श्रृंगार रस के कवित्त सवैये...
    २३० KB (१७,७४१ शब्द) - १३:४९, २५ मार्च २०१७
  • अधिकतर ब्रजभाषा के सवैयों में हैं जो पढ़ने में बहुत मधुर हैं। इन पद्यों में खटकने वाली केवल दो बातें कहीं कहीं मिलती हैं। पहली बात तो यह है कि ब्रजभाषा साहित्य...
    १९० KB (१४,२९१ शब्द) - ०१:५८, १३ फ़रवरी २०२०
  • नाटक माना जाता है। जो लगभग 1700 ई. में लिखा गया था, किन्तु एक तो उसमें ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है, दूसरे वह रामलीला की पद्धति पर है। अतः वह भी आधुनिक नाट्यकला...
    १४८ KB (१०,१३७ शब्द) - १३:२३, २८ मार्च २०२३