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  • है फटेहाल है मगर झोले में उसके पास कोई संविधान है उस सिरफिरे को यों नहीं बहला सकेंगे आप वो आदमी नया है मगर सावधान है फिसले जो इस जगह तो लुढ़कते चले गए...
    १ KB (११३ शब्द) - १२:४९, २७ मई २०२२
  • जा रहा था। श्रीमतीजी ने कहा, दिखलाओ जी, तुम तो अच्‍छे आए। भला, कुछ मन तो बहले। मैं चुप हो गया, क्‍योंकि श्रीमतीजी की वाणी में वह माँ की-सी मिठास थी, जिसके...
    १७ KB (१,३५१ शब्द) - २२:५१, ३ जनवरी २०२४
  • जिसे अहसास नहीं, जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में; अथवा कोई दूधमुंही जिसे बहलाने के जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में। लेकिन होता भूडोल, बवंडर उठते हैं...
    ४ KB (३०१ शब्द) - ०४:५९, ३० जुलाई २०२१
  • घटनाओं के स्मरण की दृष्टि से यह क़िस्से कहानियों की रचना करता है। बच्चों को बहलाने और उन्हें शिक्षा या उपदेश देने और सामान्य लोगों के बोध को जगाने के लिए उसे...
    १४ KB (१,०१७ शब्द) - ०६:००, ३० अक्टूबर २०२१
  • रमेश अंकल से बात कर लें...तब तक तुम अपनी ड्राइंग बना लो,’’ राकेश ने उसे बहला-फुसलाकर वापस भेज दिया। राकेश इन्दु का इशारा समझ रहा था—‘इन्हें जल्दी भगाओ...
    ४० KB (३,२८१ शब्द) - १०:५५, ९ अक्टूबर २०२१
  • का ज़िक्र करते हैं कि शिवजी ने काठ की मूर्ति में प्रवेश कर पार्वती का मन बहलाकर इस कला की शुरुआत की थी। कहानी ‘सिंहासन बत्तीसी’ में भी विक्रमादित्य के सिंहासन...
    १५ KB (१,०६० शब्द) - ०४:३४, २५ जुलाई २०२१
  • मंगा लूंगी। मैंने कहा, अच्छा भाई आज सही। उस वक्त तो खैर मुन्नी किसी काम में बहल गई। लेकिन जब दोपहर आई मुन्नी की बुआ, तब वह मुन्नी सहज मानने वाली न थी। बुआ...
    ५१ KB (४,४४९ शब्द) - ०३:०९, १५ सितम्बर २०१९
  • छाप दी हैं। बस, अब नहीं सहा गया - सोचा कि घर से निकल चलो; बाहर ही कुछ जी बहलेगा। लोहे का घोड़ा उठाया कि चल दिए। तीन-चार मील जाने पर शांति मिली। हरे-हरे...
    ३५ KB (२,९९७ शब्द) - ०४:५६, २५ जुलाई २०२१
  • नाम-मात्र को भी न थी। हाथी-घोड़ों का तो कहना ही क्या, कोई सजी हुई सुंदर बहली तक न थी। रेशमी स्लीपर साथ लायी थी; पर यहॉँ बाग कहॉँ। मकान में खिड़कियॉँ तक...
    ३७ KB (३,१५४ शब्द) - ०४:५४, ३० जुलाई २०२१
  • मालूम होता है लोग खाने बैठ गए। जेवनार गाया जा रहा है, यह विचार कर वह मन को बहलाने के लिए लेट गईं। धीरे-धीरे एक गीत गुनगुनाने लगीं। उन्हें मालूम हुआ कि मुझे...
    ४१ KB (३,३६१ शब्द) - १७:४६, २१ मार्च २०२२
  • मालूम होता है लोग खाने बैठ गए। जेवनार गाया जा रहा है, यह विचार कर वह मन को बहलाने के लिए लेट गईं। धीरे-धीरे एक गीत गुनगुनाने लगीं। उन्हें मालूम हुआ कि मुझे...
    ४१ KB (३,३६१ शब्द) - ०४:५६, २५ जुलाई २०२१
  • मंगा लूंगी। मैंने कहा, अच्छा भाई आज सही। उस वक्त तो खैर मुन्नी किसी काम में बहल गई। लेकिन जब दोपहर आई मुन्नी की बुआ, तब वह मुन्नी सहज मानने वाली न थी। बुआ...
    ५१ KB (४,४४८ शब्द) - ०४:४४, २५ जुलाई २०२१
  • ठान ली। चिलम पी, गाया, फिर हुक्का पिया । इस तरह साहुजी आधी राततक नींदको बहलाते रहे, अपनी जानमे तो वे जागते ही रहे । पर पौ फटते ही जो नींद टूटी और कमरपर...
    ५४ KB (४,३२३ शब्द) - ०४:५४, ३० जुलाई २०२१
  • मालूम होता है लोग खाने बैठ गए। जेवनार गाया जा रहा है, यह विचार कर वह मन को बहलाने के लिए लेट गईं। धीरे-धीरे एक गीत गुनगुनाने लगीं। उन्हें मालूम हुआ कि मुझे...
    ४१ KB (३,३६१ शब्द) - ०८:५४, १० जनवरी २०२२
  • अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का सर्वश्रेष्ठ वृत्त चित्र निर्माता पुरस्कार जीता? – बिनय बहल 293. ​ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन काल में सदर-दीवानी-अदालत की स्थापना...
    १११ KB (८,१७५ शब्द) - १०:४९, ४ मई २०१७
  • नृत्य सा कर रही थी। वह जगत् और जीवन के जटिल स्वरूप से घबराने वालों का जी बहलाने का काम करती रही है। अब उसे अखिल जीवन के नाना पक्षों की मार्मिकता का साक्षात्कार...
    २३० KB (१७,७४१ शब्द) - १३:४९, २५ मार्च २०१७