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  • में कवि कहते हैं कि जब बचपन था तो सबकुछ अपना था हँसते थे, खेलते थे, अल्हड़ मौज मस्ती करते थे वो बचपन के दिन अब केवल आखों में बसे हैं, क्या आज हम आज भी वैसे...
    ३ KB (२६६ शब्द) - ०९:५१, ३१ मई २०२०
  • साहित्य से है।उस व्यवस्था का विरोधी साहित्य जिसमें 90% की कमाई पर 10% लोग मौज कर रहे हैं।जनवादी साहित्य मुट्ठी भर शोषक-शासक वर्ग के प्रति विशाल शोषित जन-समुदाय...
    ५ KB (३४६ शब्द) - १०:५९, २६ जून २०२०
  • खंदक इस गीत से गूँज उठी और सिपाही फिर ताजे हो गए, मानों चार दिन से सोतेऔर मौज ही करते रहे हों। दोपहर रात गई है। अँधेरा है। सन्नाटा छाया हुआ है। बोधासिंह...
    ४६ KB (३,७८४ शब्द) - ०८:२६, ७ फ़रवरी २०२२
  • गुलबदन, तख्त-हजारा! लहसनवाँ मौज में है। दिन-भर हीराबाई को देखता होगा। कल कह रहा था, हिरामन मालिक, तुम्हारे अकबाल से खूब मौज में हूँ। हीराबाई की साड़ी धोने...
    १२५ KB (१०,५०२ शब्द) - ०८:१७, १० अक्टूबर २०२३
  • dirty, soiled ; Adjective—यह कपड़ा तो मैला हो गया है। मोज़ा -- sock, stocking—Masculine—Noun—यह मोज़ा बदबू कर रहा है। मोटा -- fat, thick ; Adjective—यह आदमी...
    ५३ KB (४,५८० शब्द) - २३:१०, ९ जून २०२१
  • है! ऐ हिम्मते मरदाना, क्यों न अपनी कमंद में तू खदा को ही पफाँस लाए?) चूं मौज साज़ बजूदम ज़े सैल बेपरवास्त, गुमाँ मबर कि दरीं बहर साहिले जोयम। (अर्थात्...
    ७२ KB (५,६५२ शब्द) - ०४:५५, २५ जुलाई २०२१
  • है! ऐ हिम्मते मरदाना, क्यों न अपनी कमंद में तू खदा को ही पफाँस लाए?) चूं मौज साज़ बजूदम ज़े सैल बेपरवास्त, गुमाँ मबर कि दरीं बहर साहिले जोयम। (अर्थात्...
    ७० KB (५,५३९ शब्द) - ११:४८, ४ जनवरी २०२२
  • कुछ कहूँ। उजड रामू बोला --- तुम अगर सोचती हो कि भैया कमायेंगे और मैं बैठो मौज करूंँगी, तो इस भरोसे न रहना। यहाँ किसी ने जनम-भर का ठीका नहीं लिया है। रामू...
    २६ KB (२,२४२ शब्द) - ०४:५४, ३० जुलाई २०२१
  • ने उसे बिस्तरे पर लिटा दिया। ह्यूबर्ट ने बिना किसी विरोध के चुपचाप जूते-मोजे उतरवा दिये। जब डाक्टर ह्यूबर्ट की टाई उतारने लगा, तो ह्यूबर्ट, अपनी कुहनी...
    १४८ KB (१२,१८८ शब्द) - ०९:०६, २४ सितम्बर २०२१
  • खंदक इस गीत से गूँज उठी और सिपाही फिर ताजे हो गए, मानों चार दिन से सोतेऔर मौज ही करते रहे हों। 3 दोपहर रात गई है। अँधेरा है। सन्नाटा छाया हुआ है। बोधासिंह...
    ४६ KB (३,७८६ शब्द) - १७:४४, २१ मार्च २०२२
  • खंदक इस गीत से गूँज उठी और सिपाही फिर ताजे हो गए, मानों चार दिन से सोतेऔर मौज ही करते रहे हों। 3 दोपहर रात गई है। अँधेरा है। सन्नाटा छाया हुआ है। बोधासिंह...
    ४६ KB (३,७९२ शब्द) - ०३:५८, १९ अगस्त २०२२
  • गुलबदन, तख्त-हजारा! लहसनवाँ मौज में है। दिन-भर हीराबाई को देखता होगा। कल कह रहा था, हिरामन मालिक, तुम्हारे अकबाल से खूब मौज में हूँ। हीराबाई की साड़ी धोने...
    १२६ KB (१०,५४५ शब्द) - ०४:४४, २५ जुलाई २०२१
  • खंदक इस गीत से गूँज उठी और सिपाही फिर ताजे हो गए, मानों चार दिन से सोतेऔर मौज ही करते रहे हों। 3 दोपहर रात गई है। अँधेरा है। सन्नाटा छाया हुआ है। बोधासिंह...
    ४६ KB (३,७८६ शब्द) - १७:४३, २१ मार्च २०२२
  • तीर ग्राम असनीगोपालपुर मंदिरगोपाल जी को करत मंत्र जापे हैं। कबि बादशाही मौज पावै बादशाही वो जगावै बादशाही जाते अरिगन कांपे हैं। जब्बर गनीमन के तोरिबे...
    ५५ KB (४,२६३ शब्द) - ०३:०८, २१ अप्रैल २०२२
  • के प्रथम उल्लेखनीय व्यंग्यकार हैं । ' मतवाला ' ' गोलमाल ' , ' भूत ' , ' मौजी ' , ' मनोरंजन ' आदि पत्रिकाओं में इनकी अनेक हास्यरसात्मक कविताओं का प्रकाशन...
    ९५ KB (६,६०३ शब्द) - ०५:१६, ३ दिसम्बर २०२१
  • हैं। इसी प्रकार फारसी अरबी के लफ्ज ही नहीं, बड़े बड़े फिकरे तक भट्टजी अपनी मौज में आकर रखा करते थे। इस प्रकार उनकी शैली में एक निरालापन झलकता है। प्रतापनारायण...
    १२५ KB (९,३०५ शब्द) - ०८:३०, ७ सितम्बर २०१६
  • इनके अतिरिक्त खड़ी बोली में फुटकल कविताएँ भी पाठकजी ने बहुत सी लिखीं। मन की मौज के अनुसार कभी कभी ये एक ही विषय के वर्णन में दोनों बोलियों के पद्य रख देते...
    १३२ KB (९,९७४ शब्द) - १३:३१, २४ मार्च २०१७
  • ऑक्सीजन थैरेपी चैंबर (समुद्रसुता), कड़ाके की ठंड के लिए गर्म दस्ताने और मौजे, 65° ष्ट पर लंबी अवधि तक तैयार डिब्बाबंद भोजन को रखने और गर्म करने की प्रणाली...
    १५१ KB (९,७५० शब्द) - ०४:०४, १७ फ़रवरी २०१८
  • ने उसे बिस्तरे पर लिटा दिया। ह्यूबर्ट ने बिना किसी विरोध के चुपचाप जूते-मोजे उतरवा दिये। जब डाक्टर ह्यूबर्ट की टाई उतारने लगा, तो ह्यूबर्ट, अपनी कुहनी...
    १४८ KB (१२,१९० शब्द) - ०४:४४, २५ जुलाई २०२१
  • लगें। लोग कहते हैं कि समालोचकगण अपनी बातें कहते ही रहते हैं, पर कवि लोग जैसी मौज होती है वैसी रचना करते ही हैं। पर यह बात नहीं है। कवियों पर साहित्य के मीमांसकों...
    १९३ KB (१४,४३२ शब्द) - १३:२९, २४ मार्च २०१७
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