अस्मितामूलक विमर्श और हिंदी साहित्य
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यह पाठ्य-पुस्तक पश्चिम बंग राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों के स्नातक हिंदी (प्रतिष्ठा) के पंचम सत्रार्द्ध के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर बनाई गई है। अन्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के विद्यार्थी भी सामग्री से लाभान्वित हो सकते हैं तथा संबंधित संकाय अध्यापकों द्वारा इसमें यथोचित विस्तार किया जा सकता है।
विषय सूची
[सम्पादन]- इकाई-I - अस्मितामूलक विमर्श - अवधारणा, स्वरूप, संभावनाएँ और चुनौतियाँ :
- इकाई-II - विमर्शमूलक कथा साहित्य :
- ओमप्रकाश वाल्मीकि - सलाम
- हरिराम मीणा - धूणी तपे तीर (पृष्ठ संख्या 158-167)
- डॉ॰ रोज़ करकेट्टा - फ़िक्स डिपोजिट
- इकाई-III - विमर्शमूलक कविता :
- दलित कविता - अछूतानंद (दलित कहाँ तक पड़े रहेंगे), नगीना सिंह (कितनी व्यथा), माता प्रसाद (सोनवा का पिंजरा)
- स्त्री कविता - कीर्ति चौधरी (सीमा रेखा), कात्यायनी (सात भाइयों के बीच चम्पा), सविता सिंह (मैं किसकी औरत हूँ)
- आदिवासी कविता - निर्मला पुतुल (तुम्हारे एहसान लेने से पहले सोचना होगा हमें), सुशीला सामद (संध्या), अनुज लुगुन (ससन दिरी)
- इकाई-IV - विमर्शमूलक अन्य विधाएँ :
- प्रभा खेतान - अन्या से अनन्या तक (पृष्ठ संख्या 28-42)
- तुलसीराम - मुर्दहिया (चौथा भाग - 'मुर्दहिया के गिद्ध तथा लोक जीवन'
- सुमित पी॰ वी॰ - मेरा जीवन मेरी कहानी (केरल की आदिवासी नेता सी॰ के॰ जानु की जीवनी का हिंदी अनुवाद)
- हेराल्ड एस॰ तोपनो - इतिहासकारों के लिए आसान नहीं होता तटस्थ रहना