पर्यावरणीय भूगोल/बायोम

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पर्यावरणीय भूगोल
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धरती या समुद्र के किसी बड़े क्षेत्र को जैवक्षेत्र बोलते हैं जिसके सभी भागों में मौसम, भूगोल और निवासी जीवों (विशेषकर पौधों और प्राणी) की समानता हो।[१] किसी बायोम में एक ही तरह का पारितंत्र होता है, जिसके पौधे एक ही प्रकार की परिस्थितियों में पनपने के लिए एक जैसे तरीके अपनाते हैं।[२]जैवक्षेत्र के अन्तर्गत प्रायः स्थलीय भाग के समग्र वनस्पति और जन्तु समुदायों को ही सम्मिलित किया जाता हैं क्योंकि सागरीय जैवक्षेत्र का निर्धारण कठिन होता है।

One विश्व में अलग प्रकार के बायोम

हालांकि इस दिशा में शोधकर्ताओं द्वारा प्रयास किया गया हैं। यद्यपि जैवक्षेत्र में वनस्पति तथा जन्तु दोनों को सम्मिलित करते हैं, तथापि हरे पौधों का ही प्रभुत्व होता है क्योंकि इनका कुल जीवभार जन्तुओं की तुलना में बहुत अधिक होता है।[३]

बायोम के प्रकार[सम्पादन]

ट्रिवार्था ने मृदाजल और ताप की उपलब्धता के आधार पर विश्व के बायोमों को 5 भागों में बांटा है:-

वन बायोम[सम्पादन]

इसे दो वृहत् और छह उपविभागों में बांटा है:-

  1. सदाहरित वन
  2. पर्णपाती वन

सदाहरित वन[सम्पादन]

उष्णकटिबंधीय सदाहरित वन[सम्पादन]

विषुवतीय प्रदेशों और उष्णकटिबंधीय तटीय प्रदेशों के भारी वर्षा और उच्च तापमान की दशाओं में सघन, ऊँचे एवं विश्व के सर्वाधिक विविधतापूर्ण जैव-सम्पदा एवं कठोर लकड़ियों वाले पेड़ जैसे-महोगनी, आबनूस, रोजवुड और डेल्टाई भागों में मैंग्रोव के वन पाये जाते हैं । पृथ्वी के 12% भाग इन्हीं वनों से ढँके हुए हैं।वृक्षों की सघनता के कारण यहाँ प्रकाश नहीं पहुँच पाता है जिससे अंधेरा छाया रहता है। लताएं (लियाना) व अधिपादप (एपीफाइट) इस बायोम की प्रमुख प्रजाति है । ये वन अत्यधिक जैव-विविधतापूर्ण हैं। पृथ्वी के आधे से अधिक जन्तुओं व वनस्पतियों की प्रजातियाँ यहां पायी जाती है ।

इन वनों में मिलने वाले जीवों में हाथी, गैंडा, जंगली सुअर, शेर, घड़ियाल तथा बंदर व सांपों की अनेक प्रजातियां होती हैं । आमेजन बेसिन, कांगो बेसिन, अफ्रीका का गिनी तट, जावा-सुमात्रा आदि इन वनों के प्रमुख क्षेत्र हैं । ब्राजील में इन वनों को सेलवास कहा जाता है । वर्तमान समय में झूम खेती एवं अवैज्ञानिक व अत्यधिक दोहन के कारण पृथ्वी के इस सबसे जटिल पारिस्थितिक तंत्र तथा इसके विशाल आनुवांशिकी संसाधन पर खतरा उत्पन्न हो गया है‌। अतः इसका संरक्षण जरूरी है ।

मध्य अक्षांशीय सदाहरित वन[सम्पादन]

उपोष्ण प्रदेशों में महाद्वीपों के पूर्वी

तटीय भागों के ये वर्षा वन होते हैं। यहाँ प्रायः एक ही जाति वाले वृक्षों की प्रधानता पायी जाती है। चौड़ी पत्तीवाले कठोर लकड़ी ओक, लॉरेल, मैग्नेलिया, यूकेलिप्टस आदि के वन यहाँ प्रमुख होती हैं। दक्षिणी चीन, जापान, दक्षिणी पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिणी ब्राजील आदि इसके प्रमुख क्षेत्र हैं।

भूमध्यसागरीय वन[सम्पादन]

मध्य अक्षांशों में महाद्वीपों के पश्चिमी सीमांतों पर शीतकालीन वर्षा प्रदेशों में ये वन पाए जाते हैं। यहाँ के प्रमुख वृक्ष कार्क, ओक, जैतून, चेस्टनट, पाइन इत्यादि हैं। इस बायोम में अग्नि से नष्ट न होने वाले पौधे और सूखे में रहने योग्य जंतु पाए जाते हैं। यहाँ रंग-बिरंगी चिड़ियों की अधिकता है ।

Vineyards in Italy
Vineyards in Italy

ग्रीष्मकाल की शुष्क जलवायु से बचाव के लिए वृक्षों ने स्वयं को अनुकूलित किया है। भूमध्य सागरीय प्रदेश ‘सिट्रस फलों’ के लिए प्रसिद्ध इनमें अंगूर, नींबू, नारंगी, शहतूत, नाशपाती व अनार प्रमुख है । चैपेरल, लैवेन्डर, लॉरेल तथा अन्य सुगन्धित जड़ी-बूटियाँ (मैक्वीस) का भी यहां उत्पादन होता है।

शंकुधारी वन[सम्पादन]

उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र के चारों ओर यूरोप,एशिया व उत्तरी अमेरिका महाद्वीपों में एंव अन्य भागों में ऊँचे पर्वतों पर जाए जाने वाले मुलायम लकड़ी के वन शकुंधारी वन होते हैं । इन वनों में प्रमुख वृक्ष चीड़, देवदार, फर, हेमलॉक, स्प्रूस हैं जिसका वर्धन काल ग्रीष्मकाल तक सीमित रहता है । इन वृक्षों की पत्तियाँ मोटी व सुइयों के आकार की होती हैं जो कम वाष्पोत्सर्जन करती है एवं शीत ऋतु में ठंड से बचाव में सहायक होती है । शंकुधारी वन विश्व के वन क्षेत्रों के अंतर्गत सर्वाधिक विस्तार रखते हैं । टैगा वनों के प्रदेश में लोमड़ी, मिंक, समूर व साइबेरियन क्रेन मिलते है ।

पर्णपाती वन[सम्पादन]

मध्य अक्षांशीय पर्णपाती वन[सम्पादन]

ये शीतल जलवायु के तटीय प्रदेशों में पाए जाने वाले वन होते हैं। उत्तर पूर्वी अमेरिका, दक्षिणी चिली आदि क्षेत्रों में इन वनों की व्याप्ति है। इन वनों में प्रमुख वृक्ष ओक, बीच, वालनट, मैपल, ऐश, चेस्टनट आदि हैं । शीत ऋतु में ठंड से बचाव के लिए इनकी पत्तियाँ झड़ जाती हैं ।

उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन या मानसूनी वन[सम्पादन]

एशिया के मानसूनी प्रदेशों, ब्राजील, मध्य अमेरिका, उत्तरी आस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले इन वन क्षेत्रों में शुष्क ऋतु होती है एवं उसके बाद वर्षा होती है। यहाँ सागवान, शीशम, साल, बाँस आदि प्रमुख वृक्ष पाए जाते हैं। उष्ण कटिबंधीय सदाहरित वनों के बाद सर्वाधिक विविधता इन्हीं वन क्षेत्रों में पाई जाती है ।

सवाना बायोम[सम्पादन]

इस बायोम में आर्द्र-शुष्क उष्णकटिबंधीय जलवायु पायी जाती है। यह पार्कलैंड भूमि है जहाँ घासभूमियों के क्षेत्र में यत्र-तत्र कुछ वृक्ष होते हैं। 5 मीटर लंबी और सघन हाथी घास ,सवाना प्रदेश की प्रमुख घास है। अफ्रीका, भारत, ब्राजील, पूर्वी आस्ट्रेलिया आदि इसके प्रमुख क्षेत्र हैं। वेनेजुएला में इस बायोम को लानोस कहा जाता है ।

सवाना बायोम में पेड़-पौधे और जन्तुओं में सूखे को सहन करने की क्षमता होती है तथा वृक्षों में अधिक विविधता नहीं होती। इस बायोम में हाथी, दरियाई घोड़ा, जंगली भैंस, हिरण, जेब्रा, सिंह, चीता, तेंदुआ, गीदड़, घड़ियाल, हिप्पोपोटैमस, सांप, ऐमू व शुतुरमुर्ग जैसे जानवर मिलते है। यह प्रदेश बड़े-बड़े शिकारों की भूमि के नाम से प्रसिद्ध है तथा विश्व प्रसिद्ध ‘जू’ है। मानवीय हस्तक्षेप के कारण इस क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है।

घास भूमि बायोम[सम्पादन]

अर्द्धशुष्क महाद्वीपीय घास भूमि[सम्पादन]

यहाँ की प्रमुख वनस्पतियाँ लैन्टेना और बुफैलो घास, सूर्यमुखी लोको घास आदि हैं। इन छोटे घास के मैंदानों को यूक्रेन व दक्षिणी पश्चिमी रूस में स्टेपी, दक्षिण अफ्रीका में वेल्ड कहा जाता है।

मध्य अक्षांशीय आर्द्र घास भूमि[सम्पादन]

उपोष्ण आर्द्र जलवायु प्रदेशों में ये लंबी एवं सघन घास के मैदान हैं। उत्तरी अमेरिका में इन्हें प्रेयरी, दक्षिणी अमेरिका में पम्पास, आस्ट्रेलिया में डाउन्स, न्यूजीलैंड में कैंटरबरी और हंगरी में पुस्टाज कहते हैं।

मरुस्थलीय बायोम[सम्पादन]

यहाँ वनस्पतियों का अभाव पाया जाता है।

मरुस्थलीय क्षेत्र
मरुस्थलीय क्षेत्र

यहां केवल छोटी झाड़ियाँ, नागफनी, बबूल, खजूर, खेजड़ी आदि वनस्पतियाँ ही मिलती हैं।यह सभी लक्षण रेगिस्तानी

Sahara Desert
Sahara Desert

पौधे में एक-समान होने से जीव-वैज्ञानिक इस परितंत्र को एक 'बायोम' का ख़िताब देते हैं।[४]

टुण्ड्रा बायोम[सम्पादन]

टुण्ड्रा वे मैदान हैं, जो हिम तथा बर्फ़ से ढँके रहते हैं तथा जहाँ मिट्टी वर्ष भर हिमशीतित रहती है। अत्यधिक कम तापमान और प्रकाश, इस बायोम में जीवन को सीमित करने वाले कारक हैं। वनस्पति इतनी बिखरी हुईं होती हैं कि इसे आर्कटिक मरूस्थल भी कहते हैं। यह बायोम वास्तव में वृक्षविहीन है। इसमें मुख्यतः लाइकेन,काई, हीथ,घास तथा बौने विलो-वृक्ष शामिल होते हैं। हिमशीतित मृदा का मौसमी पिघलाव भूमि की कुछ सेंटीमीटर गहराई तक कारगर रहता है, जिससे यहाँ केवल उथली जड़ों वाले पौधे ही उग सकते हैं। इस क्षेत्र में कैरीबू,आर्कटिक खरगोश,आर्कटिक लोमड़ी, रेंडियर, हिम उल्लू तथा प्रवासी पक्षी सामान्य रूप से पाए जाते हैं।[५]

संबंधित प्रश्न[सम्पादन]

  1. बायोम किसे कहते हैं।
  2. बायोम कितने प्रकार के होते हैं व्याख्या करें।
  3. वन के कितने प्रकार होते हैं।

सन्दर्भ[सम्पादन]

  1. Life: The Science of Biology, David Sadava, H. Craig Heller, David M. Hillis, May Berenbaum, Macmillan, 2009, ISBN 978-1-4292-1962-4, ... A biome is an environment that is defined by its climatic and geographic attributes and characterized by ecologically similar organisms, particularly its dominant plants ...
  2. Toward a Unified Ecology, Timothy F. H. Allen, Thomas W. Hoekstra, Columbia University Press, 1992, ISBN 978-0-231-06919-9, ... What makes a biotic collection a biome is the manner in which all members are pressed against certain constraints that dictate plant architecture of the dominant. The same vegetation can be seen as either an exemplar of a community or a biome ...
  3. भौतिक भूगोल का स्वरूप, सविन्द्र सिंह, प्रयाग पुस्तक भवन, prayagraj, २०१२, पृष्ठ ६६४, ISBN: ८१-८६५३९-७४-३
  4. Environmental Science, Daniel D. Chiras, pp. 83, Jones & Bartlett Publishers, 2012, ISBN 978-1-4496-1486-7, ... The Desert Biome ... often widely spaced on the desert floor, which reduces competition for water and ensures an adequate supply. How do plants space themselves? Some plants release growth-inhibiting chemicals into the soil that deter competitors from taking root in a region around them ...
  5. भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत, (कक्षा ११ के लिए पाठ्यपुस्तक- सत्र १), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, २00२, पृष्ठ- १३७, ISBN:81-7450-075-8