हिंदी पत्रकारिता/संपादन कला,संपादक का उत्तरदायित्व,शीर्षकीकरण, आमुख
सम्पादन का शाब्दिक अर्थ है – किसी काम को अच्छी और ठीक तरह से पूरा करना। किसी पुस्तक का विषय या सामयिक पत्र के लेख आदि अच्छी तरह देखकर उनकी त्रुटियाँ आदि दुर करके और उनका ठीक क्रम लगा कर उन्हें प्रकाशन के योग्य बनाना।
वास्तव में सम्पादन एक कला है। इसमें समाचारों, लेखों, या कहें कि किसी समाचार पत्र-पत्रिका में प्रकाशित की जाने वाली सभी तरह की सामग्री का चयन किया जाता है। सम्पादन आसान काम नहीं है। इसमें मेधा, निपुणता और अभिप्रेरणा की आवश्यकता होती है। जे. एडवर्ड मर्रे ने ठीक ही कहा है – “Because copy editing is an art, the most important ingredient after training and talent is strong motivation. Not only he should know his job but also he must love it………”
संचार माध्यमों के संदर्भ में जब हम सम्पादन की चर्चा करते हैं तब सम्पादन का अर्थ समाचार के पाठक, दर्शन तथा श्रोता के लिए ग्रहणीय बनाना होता है। अतः समाचार का उद्देश्य - “समाचार को पाठक, दर्शक तथा श्रोता के लिए उपयोगी बनाना।”