हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन) सहायिका/दोहे
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खुसरो/
(1)गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस।
(2)खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग।
(3)देख मैं अपने हाल को राऊ, ज़ार-ओ-ज़ार।
(4)चकवा चकवी दो जने उन मारे न कोय।
(5)सेज सूनी देख के रोऊँ दिन रैन।
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पुस्तक:हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन) सहायिका
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