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आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिंदी कविता/जायसी

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पदमावत

४ : मानसरोदक खण्ड

[५९]

एक देवस कौनिउ तिथि आई। मानसरोदक चली अन्हाई।१।
पदुमावति सब सखीं बोलाई। जनु फुलवारि सबै चलि आई।२।
कोइ चंपा कोइ कुंद सहेलीं। कोइ सुकेत करना रस बेलीं।३।
कोइ सुगुलाल सुदरसन राती। कोइ बकौरि बकचुन विहँसाती।४।
कोइ सु बोलसरि पुहुपावती। कोइ जाही जूही सेवती।५।
कोइ सोनजरद जेउँ केसरि। कोइ सिंगारहार नागेसरि।६।
कोइ कूजा सदबरग चँबेली। कोई कदम सुरस रसबेली।७।
चलीं सबै मालति सँग फूले कँवल कमोद।
बेधि रहे गन गंध्रप बास परिमलामोद॥४।१॥[]

व्याख्या

[६०]

खेलत मानसरोवर गई। जाइ पालि पर ठाढ़ी भई।१।
देखि सरोवर रहसहिं केली। पदुमावति सौं कहहिं सलेली।२।
ऐ रानी मन देखु बिचारी। एहि नैहर रहना दिन चारी।३।
जौ लहि अहै पिता कर राजू। खेलि लेहु जौं खेलहु आजू।४।
पुनि सासुर हम गौनब काली। कित हम कित एह सरवर पाली।५।
कित आवन पुनि अपने हाथाँ। कित मिलिकै खेलब एक साथा।६।
सासु नँनद बोलिन्ह जिउ लेहीं। दारुन ससुर न आवै देहीं।७।
पिउ पिआर सब ऊपर सो पुनि करै दहुँ काह।
कहुँ सुख राखै की दुख दहुँ कस जरम निबाह॥४।२॥[]

व्याख्या

[६१]

सरवर तीर पदुमिनीं आई। खोंपा छोरि केस मोकराई।१।
ससि मुख अंग मलैगिरि रानी। नागन्ह झाँपि लीन्ह अरघानी।२।
ओनए मेघ परी जग छाहाँ। ससि की सरन लीन्ह जनु राहाँ।३।
छपि गै दिनहि भानु कै दसा। लै निसि नखत चाँद परगसा।४।
भूलि चकोर दिस्टि तहँ लावा। मेघ घटा महँ चाँद दिखावा।५।
दसन दामिनी कोकिल भाषीं। भौहें धनुक गगन लै राखीं।६।
नैन खँजन दुइ केलि करेहीं। कुच नारँग मधुकर रस लेहीं।७।
सरवर रूप बिमोहा हिएँ हिलोर करेइ।
पाय छुवै मकु पावौं तेहि मिसु लहरैं देइ॥४।४॥[]

व्याख्या

[६२]

धरीं तीर सब छीप क सारीं। सरवर महँ पैठीं सब बारी।१।
पाएँ नीर जानु सब बेलीं। हुलसी करहिं काम कै केलीं।२।
नवल बसंत सँवारहि करीं। होइ परगट चाहहिं रस भरीं।३।
करिल केस बिसहर बिस भरे। लहरैं लेहि कँवल मुख धरै।४।
उठे कोंप जनु दारिवँ दाखा। भई ओनंत प्रेम कै साखा।५।
सरवर नहिं समाइ संसारा। चाँद नहाइ पैठ लिए तारा।६।
धनि सो नीर ससि तरई उई। अब कत दिस्टि कँवल औ कुई।७।
चकई बिछुरी पुकारै कहाँ मिलहु हो नाँह।
एक चाँद निसि सरग पर दिन दोसर जल माँह॥४।५॥[]

व्याख्या

संदर्भ

  1. पदमावत, संपादक - वासुदेवशरण अग्रवाल, लोकभारती प्रकाशन, संस्करण - २०१०, पृष्ठ - ५८-६०
  2. पदमावत, संपादक - वासुदेवशरण अग्रवाल, लोकभारती प्रकाशन, संस्करण - २०१०, पृष्ठ - ६०-६१
  3. पदमावत, संपादक - वासुदेवशरण अग्रवाल, लोकभारती प्रकाशन, संस्करण - २०१०, पृष्ठ - ६१-६२
  4. पदमावत, संपादक - वासुदेवशरण अग्रवाल, लोकभारती प्रकाशन, संस्करण - २०१०, पृष्ठ - ६२-६३