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इस विकि पर "प्रतिमान : समय समाज संस्कृति" नाम का पृष्ठ बनाएँ! खोज परिणाम भी देखें।
- समय वह रक्त, मांस, और हड्डियों से बना एक जीवित प्राणी होता है। उसमें कोई भी सामाजिक गुण नहीं होता। समाज के रीति-रिवाजों, प्रथाओं मूल्यों एवं संस्कृति...२० KB (१,४६४ शब्द) - ०५:०१, ३० जुलाई २०२१
- में योजनात्मक विकास का मूल उद्देश्य -संचयन और वैधीकरण था। आर्थिक विकास प्रतिमान में औद्योगीकरण को प्राथमिकता दी गई, जिससे प्रकृति का असीम और अबाधित दोहन...१० KB (६८७ शब्द) - ०५:०३, ३० जुलाई २०२१
- विकास का नया प्रतिमान सुमंगलम् (ए न्यू पैराडाइम आफ डेवेलपमेंट-सुमंगलम्) पुस्तक का नाम - ए न्यू पैराडाइम आफ डेवेलपमेंट - सुमंगलम् लेखक - डा. बजरंग लाल गुप्त...२९२ KB (२२,०५७ शब्द) - १५:१२, २७ जनवरी २०१७
- शाश्वत सत्य जैसी चीज नहीं होती। समय और समाज के परिवर्तन के साथ साहित्यिकता के प्रतिमानों में परिवर्तन होता है। परिवर्तनशील समाज में साहित्य बदलता है, उसकी...१६ KB (१,१७५ शब्द) - १५:४०, २९ फ़रवरी २०२४
- कोई सुव्यवस्थित धर्म नहीं था। इसलिये उन्होंने संस्कृति के इन उपादानों को भारत से लिया। वे भारतीय समाज के अभिन्न अंग बन गए। इस काल की एक विशेषता ईंटों...१७३ KB (१२,५८६ शब्द) - ०५:१६, ३० जुलाई २०२१
- संपादन करके श्री जगन्नाथ दास रत्नाकर ने प्राचीन ग्रंथों के संपादन व लेखन का प्रतिमान उपस्थित कर दिया। इसी युग में तुलनात्मक आलोचना के क्षेत्र में पद्मसिंह शर्मा...४३ KB (३,०५० शब्द) - १७:२१, २ जनवरी २०२३