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- आवत ; जिमि नर गन मन विविध , मनोरथ करत मिटावत ।। हरिगीतिका छंद - परिभाषा - हरिगीतिका छंद भी सममात्रिक छंद है। इसमें चार चरण है और प्रत्येक चरण में अट्ठाईस...४ KB (३१४ शब्द) - ०६:५७, ७ मई २०२२
- घनाक्षरी ) ( ख ) सममात्रिक छंद ( उल्लाला , चौपाई , रोला , हरिगीतिका ) ( ग ) अर्द्ध सममात्रिक छंद : बरवै , दोहा , सोरठा ( घ ) विषम सममात्रिक : कुंडलिया ,...४ KB (२९६ शब्द) - ०७:११, १७ मई २०२२
- साहित्य के दायरे का चतुर्मुखी विकास किया। उनके लेखन में दोहा, चौपाई, हरिगीतिका, छंद, कवित्त, सवैया आदि में उत्कृष्टता का परिचय मिलता है। सुमित्रानंदन पंत...१५ KB (१,०२१ शब्द) - ११:१९, ७ जून २०२०
- पर, संकटों से मत डरो में छंद है - हरिगीतिका मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय, जा तन की झांई परे, श्यामु हरित दु्रति होय में छंद है - दोहा नील सरोरूह स्याम...६६ KB (४,७३७ शब्द) - १३:०१, २३ फ़रवरी २०१९
- सवैया, कवित्त, भुजंग प्रयात, बावै, हरिगीतिका आदि भक्ति काव्य के बहुप्रयुक्त छंद हैं। सवैया, कवित्त हिंदी के अपने छंद हैं, जो भक्ति काव्य में दिखलाई पड़ते...१६ KB (१,१४६ शब्द) - ०४:५१, २५ जुलाई २०२१
- सवैया, कवित्त, भुजंग प्रयात, बावै, हरिगीतिका आदि भक्ति काव्य के बहुप्रयुक्त छंद हैं। सवैया, कवित्त हिंदी के अपने छंद हैं, जो भक्ति काव्य में दिखलाई पड़ते...७२ KB (५,१७७ शब्द) - ०४:५१, २५ जुलाई २०२१
- हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल)/भारतेन्दु और द्विवेदी-युगीन काव्य की प्रवृत्तियाँ (अनुभाग छंद-अलंकार)परम्परागत छंद-अलंकारो का प्रयोग अपनी कविताओं में किया हैं। जिसमें उल्लेखनिय हैं आर्या, कुण्डलियाँ, दोहा, चौपाई, सोरठा, रोला, हरिगीतिका जैसे छंदो तथा कविता...१३० KB (७,९१६ शब्द) - ०४:५८, २५ जुलाई २०२१
- गया किधर गई इन्होंने 'नलनरेश' नामक महाकाव्य 19 सर्गों में रोला, हरिगीतिका आदि हिन्दी छंदों में लिखा है। इसकी शैली अधिकतर उस काल की है जिस काल में द्विवेदीजी...२३० KB (१७,७४१ शब्द) - १३:४९, २५ मार्च २०१७