खोज परिणाम
इस विकि पर "तृप्ति" नाम का पृष्ठ बनाएँ! खोज परिणाम भी देखें।
- वह उसे कयों जाएगा ? वह किसी को छोडकर दूसरे से अपने को क्यों तृप्त करेगा। उसे उसी से तृप्ति मिलती है तो वह उसी को खाएगा, पीयंगा वह दूसरे की तरफ देखेगा भी...६ KB (४७८ शब्द) - ०५:२८, ३० जुलाई २०२१
- ढूँढो उनके चरण चिह्न भी, पाओगे तुम इनके तट पर। सच्चा प्रेम वही है जिसकी तृप्ति आत्म-बलि पर हो निर्भर। त्याग बिना निष्प्राण प्रेम है, करो प्रेम पर प्राण...२ KB (१५८ शब्द) - ०४:५१, ३० जुलाई २०२१
- रचनाएँ हमें उपलब्ध हैं। किंतु मनुष्य लिपि की इस क्रांतिकारी उपलब्धि से भी तृप्त नहीं हुआ। लिपि में स्थायित्व भले ही हों, उसकी सबसे बड़ी सीमा यह थी कि भाषा...६ KB (४२१ शब्द) - १६:०४, १७ दिसम्बर २०२२
- भुजंगप्रयात छंद कहते हैं । उदाहरण- बनाती रसोई सभी को खिलाती , इसी काम में आज मैं तृप्ति पाती । रहा किन्तु मेरे लिए एक रोना , खिलाऊँ किसे मैं अलोना - सलोना (चार...९ KB (६९४ शब्द) - ०७:१३, १७ मई २०२२
- प्रकार की कृत्रिमता नहीं। उनके इस रूप का पान कर सभी सखियाँ अपने नयनों को तृप्त करती हैं। लाल की रूप माधुरी नैननि निरखि नेकु सखि। मनसिज मन हरन हास ,सामरौ...४ KB (३१८ शब्द) - ०५:००, २६ जुलाई २०२१
- प्राप्त करते हैं। उनकी रूप माधुरी अपूर्व है जिसे देखकर उपासक के नेत्र कभी तृप्त नहीं होते। इसीलिए उन्होंने कहा है ~~ हम तो युगल रूप रस माते नाते के माने।...५ KB (३५० शब्द) - ०५:०३, २६ जुलाई २०२१
- की। इन आख्यानों का उद्देश्य केवल मनोंरजन था और हमारे अद्भुत रस-प्रेम की तृप्ति। साहित्य का जीवन से कोई लगाव है, यह कल्पनातीत था। कहानी, कहानी है, जीवन...७२ KB (५,६५२ शब्द) - ०४:५५, २५ जुलाई २०२१
- की। इन आख्यानों का उद्देश्य केवल मनोंरजन था और हमारे अद्भुत रस-प्रेम की तृप्ति। साहित्य का जीवन से कोई लगाव है, यह कल्पनातीत था। कहानी, कहानी है, जीवन...७० KB (५,५३९ शब्द) - ११:४८, ४ जनवरी २०२२
- उनका यह कृत्रिम प्रयास सराहनीय है। दूसरी ओर ये देव अपनी भीतरी मानसिकता की तृप्ति हेतु 'विदेशी जूते कम्पनी' के राष्ट्रीय उद्घाटन में भाग लेने पहुंच गए। अर्थात...२६ KB (१,९७९ शब्द) - ०७:३४, २२ अप्रैल २०२०
- ज्यों उसे निकट से देखते हैं, त्यों त्यों उसे और देखने की चाहा उमड़ती है, मन तृप्त ही नहीं होता क्योंकि वह प्रत्येक क्षण बदलता रहता है, पहले से अधिक आकर्षक...३१ KB (२,५०४ शब्द) - ०५:०६, २५ जुलाई २०२१
- ठाकुर की बरत याद आई, जिसमें बीस साल पहले वह गया था। उस दावत में उसे जो तृप्ति मिली थी, वह उसके जीवन में एक याद रखने लायक बात थी, और आज भी उसकी याद ताजा...३३ KB (२,८६३ शब्द) - ०५:११, ३१ मई २०२१
- की प्यास का संसार भर तू, कण्ठगत लघु बिन्दु कर तू! प्यास ही जीवन, सकूँगी तृप्ति में मैं जी कहाँ? चपल बन बन कर मिटेगी झूम तेरी मेघवाला! मैं स्वयं जल और ज्वाला...३९ KB (३,१७२ शब्द) - १७:०८, २९ जून २०२३
- भले जंचते हैं) पर यह मुख टकटकी बांधकर देखने में ही आता है (सौन्दर्य से तृप्ति नहीं होती)। इस कारण मेरी सम्मति तो यह है कि इस मुख के समान यही मुख हे, न...३५ KB (२,६९७ शब्द) - ०५:०३, ४ सितम्बर २०२१
- भले जंचते हैं) पर यह मुख टकटकी बांधकर देखने में ही आता है (सौन्दर्य से तृप्ति नहीं होती)। इस कारण मेरी सम्मति तो यह है कि इस मुख के समान यही मुख हे, न...३५ KB (२,६२९ शब्द) - १३:१५, ३ अगस्त २०२२
- सब हलचल शांत रहती है, केवल अभावों की पूर्ति करने वाले अतृप्त कामनाओं की तृप्ति का विधान करने वाले स्वप्न ही जगा करते हैं, इस गीत में पूर्णतया व्यक्त हैं...२३० KB (१७,७४१ शब्द) - १३:४९, २५ मार्च २०१७
- क्या दोष? पहले जो आँखें प्रिय की सुन्दर छवि देख-देख कर प्रसन्न होती थी, तृप्त होती थी, वही आँखें अब दिन-रात अश्रु बहाती रहती है। आँखों की दीन दशा का घनानंद...२५ KB (१,९१५ शब्द) - १६:०६, २८ जनवरी २०२४
- आलोचकों द्वारा आरोपित पूर्वग्रहों की मैली ओट से इन्हें न देखें, अपनी स्वच्छ सहृदयता से ही देखें; हमारा विश्वास है कि इस संग्रह से आपको तृप्ति मिलेगी।...४६ KB (३,७४३ शब्द) - १२:०५, २७ जनवरी २०२२
- दिखा रही हो अथवा जग को पर सेवा का मार्ग अमर? कभी लोभ सी लंबी होकर, कभी तृप्ति सी हो फिर पीन, क्या संसृति की अचित भूति तुम सजनि! नापती हो स्थिति हीन? श्रमित...४९ KB (३,८३१ शब्द) - ११:३६, ११ नवम्बर २०२३
- करता है। यदि कोई इसके घर आ जाता है तो यह उसको मृदु वचन, मीठे जल और अन्न से तृप्त करता है। धोखा यह किसी को नहीं देता। यदि इसको कोई धोखा दे भी दे, तो इसका...६१ KB (५,०८६ शब्द) - ०९:४९, १७ मई २०२३
- में प्रकट होने लगा। सौंदर्य अब दूर से देखने की चीज़ नहीं रहा, भोगने और तृप्त होने का हो गया। स्वयं अज्ञेय ने अपनी अनेक कविताओं में नारी, प्रेम, मादकता...७६ KB (५,६३१ शब्द) - १७:३२, २० फ़रवरी २०२४