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- जीवन के केंद्र नहीं हो सकते, उन्हें तो अब बेटी की शादी के लिए भी उत्साह बुझ गया। किसी बात में हस्तक्षेप न करने के निश्चय के बाद भी उनका अस्तित्व उस...४२ KB (३,५३८ शब्द) - १३:११, १७ दिसम्बर २०२३
- विश्वास करते हो?” हवा के हल्के झोंके से मोमबत्तियाँ एक बार प्रज्जवलित होकर बुझ गयीं। टैरेस पर ह्यूबर्ट और डाक्टर अँधेरे में एक-दूसरे का चेहरा नहीं देख पा...१४८ KB (१२,१८८ शब्द) - ०९:०६, २४ सितम्बर २०२१
- ओछी लिप्सा त्यागकर प्रगतिशील रचनाकारों ने अपना दायित्व जिस निष्ठा और समझ-बूझ के साथ निभाया, वह हिन्दी साहित्य, भारतीय साहित्य और भारत की राष्ट्रीय अस्मिता...११ KB (८११ शब्द) - १०:४८, २६ जून २०२०
- भी कहीं बढ़कर है। पेट की यह आग (जठराग्नि) मेघ-रूपा श्री रामचंद्र जी से ही बुझ सकती है-कहने का आशय यह है कि प्रभु राम की कृपा के बिना मनुष्य की जठराग्नि...६ KB (४४५ शब्द) - ०५:२८, ३० जुलाई २०२१
- तिल्ली को जब हाइड्रोजन गैस के संपर्क में लाया जाता है तो माचिस की तिल्ली बुझ जाती है एवं गैस पॉप ध्वनी के साथ जल जाती है। वह धातु जो एसिड एवं एल्कली के...२ KB (१४९ शब्द) - ०४:५६, ३० जुलाई २०२१
- बात है कि रिपोर्टर (संवाददाता/प्रतिनिधि/उप-संपादक) का परिश्रम, उनकी सूझ-बूझ, समाचार सूंघने, खोजने और समाचार का पीछा करने की प्रवृत्ति द्वारा विभिन्न...८ KB (५४१ शब्द) - १७:४०, २९ अगस्त २०२२
- एकाएक हवा का ऐसा ठंडा, चुभने वाला, बिच्छू के डंक का-सा झोंका लगा कि वह फिर बुझते हुए अलाव के पास आ बैठा और राख को कुरेदकर अपनी ठंडी देह को गर्माने लगा। जबरा...२४ KB (२,१०६ शब्द) - १०:००, २४ सितम्बर २०२१
- बीसियों गुजरें कहाँ किसी ने देखा बेचारी के तरफ छलक रहा है गुणों का अभिशाप बुझी - बुझी निगाहों में...” एक ओर नाकासी गाय की कामना गत समानानो सरी ओर वद्रों को...२३ KB (१,६८१ शब्द) - ०७:५४, २६ मई २०२२
- नहीं है जिनकी, उनको भी डस लेते विषधर, आओ मिलकर प्रेमरंग से, सबके मन का जहर बुझाए अमृत भर दें नख से शिख तक, हर चेहरे पर रंगत लाएं, कष्ट मिटाएं मानवता का,...४ KB (२८८ शब्द) - ०४:३७, २५ जुलाई २०२१
- मूर्ख है। वह ऐसा मूर्ख है जो अपने घर के पास बहती गंगा को छोड़कर प्यास बुझाने के लिए कुआं खोद रहा है। कवि बताता है कि जिन भँवरों ने कमल के पराग के रस...८ KB (५८१ शब्द) - १३:००, २६ मई २०२०
- दोपहर का भोजन अमरकांत सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रख कर शायद पैर की उँगलियाँ या जमीन पर चलते चीटें-चीटियों...३० KB (२,५९८ शब्द) - १०:५४, ९ अक्टूबर २०२१
- जनतंत्र का जन्म – रामधारी सिंह दिनकर सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन...४ KB (३०१ शब्द) - ०४:५९, ३० जुलाई २०२१
- आनी।। पुलकित अंग अब ही ह्वै आयो निरखि देखि निज देह सिरानी। सूर् सुजान सखी के बूझे प्रेम प्रकश भयो बिहसानी।। (अष्टछाप ;डा ० धीरेन्द्र वर्मा :पृष्ठ १७ )...९ KB (६८९ शब्द) - ०५:०४, २६ जुलाई २०२१
- आने पर अपने पल्लू से ढक कर बुझने से बचा लेती है बाद में अर्थात सूर्य के निकलने पर वही औरत उसे अपने पल्लू की चोट मारकर उसे बुझा देती है। विशेष- ४- पावस देखि...१८ KB (१,३८९ शब्द) - ०५:०७, २५ जुलाई २०२१
- प्रमुख रूप के किया है। भगवतीचरण वर्माकृत ‘मैं और केवल मैं’, ‘चौपाल में’ तथा ‘बुझता दीपक’, में पीड़ित मानव की अन्तर्वेंदना का करुण स्वर उभर कर सामने आया है।...३४ KB (२,१६४ शब्द) - ०५:४३, १० जुलाई २०२१
- के हाथ सब, भारी है भरोसो 'तुलसी' के एक नाम को। अति ही अयाने उपखानों नहिं बूझो लोग, साह ही को गोत मोत होते हैं गुलाम को। साधु कैं असाधु कै, भलौ कै पोच,...७ KB (५६० शब्द) - ०५:२८, ३० जुलाई २०२१
- वातावरण तैयार करने में कार्बन डाई-आक्साइड का उपयोग 1.सोडा वाटर बनाने में 2.आग बुझाने में 3.हार्ड स्टील के निर्माण में ग्रेफाइट का उपयोग 1.इलेक्ट्रोड बनाने में...७४ KB (५,३८६ शब्द) - १७:३३, ३ अगस्त २०१७
- गया। पीछे दस आदमी कौन रहें, इस पर बड़ी हुज्जतहुई। कोई रहना न चाहता था। समझा-बुझा कर सूबेदार ने मार्च किया। लपटन साहब लहनाकी सिगड़ी के पास मुँह फेर कर खड़े...४६ KB (३,७८४ शब्द) - ०८:२६, ७ फ़रवरी २०२२
- सागर में जल के बीच में कूद पड़ा है। और अपनी आग बुझाली हैं उसकी पूँछ की आग बुझ गयी है। उसने अपने शरीर को भी छोटा कर लिया है। पुनः उसी रूप में वापिस आ गया...८ KB (६५० शब्द) - ०५:३०, ३० जुलाई २०२१
- [ आभूषणों के ] नग [ उसकी ] दीपसिखा सी देश से जगमगारी हैं । [ अतः ] दीपक बुझा देने पर भी घर में बड़ा उजाला ( प्रकाश ) रहता है । जिस घर गें बहुत से दर्पण...७ KB (५७९ शब्द) - ०४:४१, २५ जुलाई २०२१