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- प्रमुख बोलियाँ विशेषकर अवधी, ब्रज तथा खड़ी बोली स्वतंत्र रूप से प्रयोग में आने लगी। साहित्यिक दृष्टि से इस युग में मुख्यत: ब्रज और अवधी में साहित्य निर्माण...२९ KB (२,११९ शब्द) - १६:०८, १७ दिसम्बर २०२२
- इसकी लिपि देवनागरी है। भक्ति काल में ब्रज भाषा का प्रयोग जोरो से हुआ। सूरदास तथा तुलसीदास जैसे महान कवियों ने ब्रज भाषा में अपने विचारों को वाणी देकर इस...४४ KB (३,०३१ शब्द) - १६:३७, १७ दिसम्बर २०२२
- मध्यकाल मे ब्रज भाषा का प्रचलन और उसका दौर एक लंबी अवधि तक चला ! ज्यादातर काव्य ब्रज भाषा मे लिखे गए! ब्रज क्षेत्र में होने के कारण इस भाषा को ब्रज भाषा कहा...१४ KB (१,१०० शब्द) - ०४:३६, २५ जुलाई २०२१
- हिंदी ही है। इस युग में हिंदी की अन्य बोलियों में भी रचनाएं की गई जैसे- ब्रज, बुंदेलखंडी, कन्नौजिया आदि मध्यकाल मध्यकाल में भी संत और सूफी कवियों के द्वारा...२७ KB (२,००९ शब्द) - १६:३८, १७ दिसम्बर २०२२
- विशेषतः साहित्य में। जैसे आधुनिक काल से पूर्व के हिन्दी का सारा साहित्य ब्रज, अवधी, राजस्थानी, मैथिली आदि तथाकथित बोलियों में ही लिखा गया है। भाषा के...११ KB (८५१ शब्द) - १६:०८, १७ दिसम्बर २०२२
- बूझत स्याम कौन तू गोरी। कहाँ रहति, काकी है बेटी, देखी नहीं कहूँ ब्रज-खोरी। काहे कौ हम ब्रज-तन आवति, खेलत रहति आपनी पौरी। सुनत रहति सरवननि नंद ढोटा, करत फिरत...२३ KB (१,७२८ शब्द) - ०४:५०, २५ जुलाई २०२१
- बूझत स्याम कौन तू गोरी। कहाँ रहति, काकी है बेटी, देखी नहीं कहूँ ब्रज-खोरी। काहे कौ हम ब्रज-तन आवति, खेलत रहति आपनी पौरी। सुनत रहति सरवननि नंद ढोटा, करत फिरत...२३ KB (१,७२८ शब्द) - ०४:५३, २५ जुलाई २०२१
- दास कहावा। सो नर मोहिं सपनेहुँ नहिं भावा।" तुलसीदास ने संस्कृत, अवधी और ब्रज में रचनाएँ कर भाषाई समन्वय के साथ-साथ शास्त्र और लोक का भी सुंदर समन्वय किया।...१६ KB (१,१३८ शब्द) - ०४:४६, २५ जुलाई २०२१
- इसमें सूरदास जैसे महान लोकप्रिय कवि ने रचना की और वह कृष्ण-भक्ति के केंद्र ब्रज की बोली थी जिससे यह कृष्ण-भक्ति की भाषा बन गई। भक्ति काव्य की ब्रजभाषा प्रवाह...१६ KB (१,१४६ शब्द) - ०४:५१, २५ जुलाई २०२१
- उनकी रचनाएं सरस्वती में छपे। लेकिन सबको मौका नहीं मिलता... और फिर आप तो ब्रज भाषा में लिखते हैं। सरस्वती खड़ी बोली की पत्रिका है। मैं भला कैसे छाप सकता...३० KB (२,३२६ शब्द) - ०३:५७, १२ सितम्बर २०२०
- कहानी आदि पर आधारित सांग बहुत लोकप्रिय रहे हैं। रास - यह ब्रज के इलाके का लोकनाट्य है। इसकी भाषा ब्रज होती है। इसमें कृष्ण के जीवन की विभिन्न घटनाओं को लोकनाट्य...१३ KB (९७६ शब्द) - ०४:३३, २५ जुलाई २०२१
- 'कवितावली', 'विनय पत्रिका' और'गीतावली' तीनों की भाषा ब्रज है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के शब्दों में "कवितावली तो ब्रज की चलती भाषा का सुन्दर नमूना है।" तुलसीदास ने...२४ KB (१,७८३ शब्द) - १३:४२, २ सितम्बर २०२१
- आसक्ति का संकेत मिलता है: क्यों निकसों इह खोरि सांकरी। नंदनंदन ठाढ़े मग रोके भारत ताकि उरोज मांझरी।। चंचल नैन उरज अनियारे तन मन देखियत मदन छाकरी। जानि न दै...४ KB (३१२ शब्द) - ०४:५९, २६ जुलाई २०२१
- में करते हैं। सुविदित है कि हिंदी भारत की राजभाषा है। 'राज' शब्द का प्रयोग भाषा के लिए बहुत अच्छा नहीं है, क्योंकि भारत की कोई भाषा प्रजाभाषा नहीं है। राजभाषा...२० KB (१,४७४ शब्द) - ०४:५३, २५ जुलाई २०२१
- बन्धन को तोड़ दिया। भक्त कवयित्रियों में बहिणाबाई, लल्लेश्वरी, कुबरी बाई, ब्रज दासी, मुदुछुपलानी, वीरशैव धर्म संबंधी कन्नड़ कवयित्री भी विख्यात हैं। हालांकि...४५ KB (२,८४५ शब्द) - १९:२७, ६ मार्च २०२४
- कहते है. 'जयंद्रथ वध' की प्रसिद्धि ने ब्रज भाषा के मोह का वध कर दिया 'भारत-भारती' की लोकप्रियता खड़ीबोली की विजय-भारती सिद्ध हुई ब्रजभाषा का वैभवशाली रुप...१३० KB (७,९१६ शब्द) - ०४:५८, २५ जुलाई २०२१
- इसमें सूरदास जैसे महान लोकप्रिय कवि ने रचना की और वह कृष्ण-भक्ति के केंद्र ब्रज की बोली थी जिससे यह कृष्ण-भक्ति की भाषा बन गई। भक्ति काव्य की ब्रजभाषा प्रवाह...७२ KB (५,१७७ शब्द) - ०४:५१, २५ जुलाई २०२१
- में काव्यधारा को नएनए विषयों की ओर मोड़ने की प्रवृत्ति दिखाई पड़ी, पर भाषा ब्रज ही रहने दी गई और पद्य के ढाँचों, अभिव्यंजना के ढंग तथा प्रकृति के स्वरूपनिरीक्षण...१३२ KB (९,९७४ शब्द) - १३:३१, २४ मार्च २०१७
- गयी है। छायावाद से पहले तक यह भावना कवियों मे कही ना कही जीवित थी कि कविता ब्रज में ही सुंदर हो सकती है, खड़ी बोली में निरसता है। इस बात को गलत सिद्ध छायावादी...९५ KB (६,६०३ शब्द) - ०५:१६, ३ दिसम्बर २०२१
- समान स्वर्गीय पं. सत्यनारायण 'कविरत्न' (जन्म संवत् 1936, मृत्यु 1975) भी ब्रज की मधुरवाणी सुनाते रहे। रीतिकाल के कवियों की परंपरा पर न चलकर वे या तो भक्तिकाल...६० KB (४,५७९ शब्द) - १३:३८, २४ मार्च २०१७