भारतीय काव्यशास्त्र
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भारतीय काव्यशास्त्र से अभिप्राय संस्कृत भाषा में प्रस्तुत काव्यशास्त्र से ही है। चूंकि अन्य भारतीय भाषाओं में भी जिन काव्यशास्त्र का प्रतिपादन और विवेचन किया गया है उसमें संस्कृत-काव्यशास्त्र के ही मूल सिद्धांतों को अपनाया गया है। भारतीय काव्यशास्त्र के अंतर्गत काव्य या साहित्य को उसके विभिन्न अवयवों की व्याख्या विभिन्न संप्रदायों और उनके संस्थापक आचार्यों द्वारा की गई है। यह पाठ्य-पुस्तक पश्चिम बंग राज्य विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों के स्नातक हिंदी (प्रतिष्ठा) के तृतीय सत्रार्द्ध के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर बनाई गई है। अन्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के विद्यार्थी भी सामग्री से लाभान्वित हो सकते हैं तथा संबंधित संकाय अध्यापकों द्वारा इसमें यथोचित विस्तार किया जा सकता है।
विषय सूची
[सम्पादन]- काव्य लक्षण
- काव्य हेतु
- काव्य प्रयोजन
- काव्य गुण
- काव्य दोष
- शब्द शक्तियाँ
- रस सिद्धांत
- रस के अंग
- रस का स्वरूप
- रस-निष्पत्ति
- साधारणीकरण
- अलंकार सिद्धांत
- अलंकार की अवधारणा
- अलंकार और अलंकार्य
- अलंकारों का वर्गीकरण
- रीति सिद्धांत
- रीति की अवधारणा
- रीति का वर्गीकरण
- ध्वनि सिद्धांत
- ध्वनि की अवधारणा और स्वरूप
- ध्वनि के भेद
- वक्रोक्ति सिद्धांत
- वक्रोक्ति की अवधारणा
- वक्रोक्ति का वर्गीकरण
- वक्रोक्ति एवं अभिव्यंजना
- औचित्य सिद्धांत