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- दया कर दान विद्या का, हमें परमात्मा देना, दया करना हमारी आत्मा में, शुद्धता देना। हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आँखों में बस जाओ, अँधेरे दिल में आकर के, प्रभु...२ KB (११५ शब्द) - ०६:४९, ८ जून २०२३
- धूमैला भूत, एक देह-हीन पुकार, कमरे के भीतर और इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लगी। आत्म-चैतन्य के प्रकाश भूत बन गए। भूत-बाधा-ग्रस्त कमरों को अन्ध-श्याम साँय-साँय...१२ KB (९४६ शब्द) - ०७:१३, २७ मई २०२३
- अपकार में। कीजिए हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा, मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा। ॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिए...॥ प्रेम से हम गुरु जनों की नित्य...२ KB (१७५ शब्द) - ११:०२, १९ अगस्त २०२२
- संपर्क के कारण हिन्दी के अनेक शब्द स्त्रीलिंग हो गए हैं, जैसे: "आय", "आयु", "आत्मा", आदि। सरलता: आज का मनुष्य सरलता का आग्रही हो गया है। मनुष्य कम-से-कम प्रयत्न...९ KB (६६१ शब्द) - १६:०५, १७ दिसम्बर २०२२
- माध्यम है। इसको ऐसे भी कह सकते हैं कि शब्द शरीर है तो अर्थ आत्मा। जिस तरह शरीर की सहायता से ही आत्मा का प्रत्यक्षीकरण होता है, उसी प्रकार शब्द की सहायता से...२१ KB (१,५८९ शब्द) - ०५:५३, २२ दिसम्बर २०२३
- संबंध में लिखते हुए कहा है, "विचार और भाषा में थोड़ा ही अंतर है। 'विचार' आत्मा की मूक या अध्वन्यात्मक बातचीत है, पर वही जब ध्वन्यात्मक होकर होंठों पर प्रकट...८ KB (६०९ शब्द) - १६:०४, १७ दिसम्बर २०२२
- मिला था । जबरा शायद यह समझ रहा था कि स्वर्ग यहीं है, और हल्कू की पवित्र आत्मा में तो उस कुत्ते के प्रति घृणा की गंध तक न थी । अपने किसी अभिन्न मित्र या...२४ KB (२,१०६ शब्द) - १०:००, २४ सितम्बर २०२१
- रीति निरूपक आचार्यों में वामन की देन सर्वाधिक है,उन्होंने रीति को काव्य की आत्मा माना है। इनसे पूर्व भरत, भामह, और दण्डी ने रीति विषयक सामग्री प्रस्तुत की।...११ KB (७८० शब्द) - १८:०८, २ जुलाई २०२०
- को पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करता है। आत्मकथा का मूल तत्व यथार्थ है। जिस आत्म कथा में यथार्थ की कमी होती है, वह सफल आत्मकथा नहीं होती है। हिन्दी में आत्मकथाओं...१५ KB (१,०७५ शब्द) - १४:१६, २६ अगस्त २०२१
- विचारों को संकलित 'ग्रंथावली' से अवतरित है। इस रहस्यवादी पद में कबीर ने आत्मा-परमात्मा के संबंध को कमलिनी के माध्यम से उद्घाटित किया है। काहे री नलिनी...६ KB (४६७ शब्द) - ०५:२९, ३० जुलाई २०२१
- दर्शन करने की क्षमता रखता है| अाध्यात्मिकता में रूची रखने वालों के लिए, 'आत्मा को परमात्मा से मिलाने का एक साधन है' तो भौतिकता को अपनाने वालों के लिए,...५ KB (३६८ शब्द) - ०६:४४, १३ जून २०२१
- अंग (9) कबीर औगुँण ना गहैं गुँण ही कौ ले बीनि। घट घट महु के मधुप ज्यूँ, पर आत्म ले चीन्हि।। (10) बसुधा बन बहु भाँति है, फूल्यो फल्यौ अगाध। मिष्ट सुबास कबीर...६६४ B (४० शब्द) - २२:०२, १३ नवम्बर २०२२
- भारतीय दार्शनिकों ने संसार को माया समझा तथा आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंधों की गंभीर विवेचना की। वास्तव में इस विषय पर जितना गहन चिंतन भारतीय दार्शनिकों...१७ KB (१,२१९ शब्द) - ०५:२०, ३० जुलाई २०२१
- मिलकर एक शक्ति का निर्माण कर सकते हैं। इसमें जीने की अदम्य क्षमता है। यह आत्मा उसी ब्रह्म का प्रतीक है, उसी की तरह अपार, सामर्थ्यवान है। लेकिन इस ब्रह्म...१० KB (७९९ शब्द) - ०५:०९, २ अप्रैल २०२३
- पकड़ेंगे शायद घोड़े अश्वमेध के साधारणतया खेद के पहले है जो बनेगे वे गौरव के निधान आत्मसम्मान या आत्मा का शरीर से जीतेगा दुविधा का एक और वक्त बीतेगा।...२ KB (१२८ शब्द) - १२:२९, २७ मई २०२२
- तृप्ति आत्म-बलि पर हो निर्भर। त्याग बिना निष्प्राण प्रेम है, करो प्रेम पर प्राण निछावर। देश-प्रेम वह पुण्य क्षेत्र है, अमल असीम त्याग से विलसित। आत्मा के...२ KB (१५८ शब्द) - ०४:५१, ३० जुलाई २०२१
- मूल शराकेश भैया आपके जैसे लोग को में अपने आत्मा से नमन करता हूँ...३०५ B (१४ शब्द) - ०५:२३, २७ मई २०२१
- का रीति संप्रदाय इसको विद्वान न तो स्वीकार करते हैं और ना नकारते हैं क्योंकि काव्य आत्मा रीति वह कहते हैं इस प्रकार इस संप्रदाय का वर्णन किया जाता है...२ KB (१४२ शब्द) - १८:२१, २ जुलाई २०२०
- रचित है। इस दोहे में दो विरही (चकवा-चकवी पक्षी) जनो की पीड़ा के माध्यम से आत्मा परमात्मा के बिछुड़ने का संकेत दिया है। चकवा चकवी दो जने... रैन बिछोही होय॥...३ KB (१९३ शब्द) - ०५:२९, ३० जुलाई २०२१
- अपने शरीर और आत्मा को एक साथ करना और उसकी शक्ति का योग ही योग कहलाता है। इसमें शरीर और मन दोनों को स्वस्थ करने हेतु अभ्यास किया जाता है।...४७५ B (३० शब्द) - ०६:४३, १३ जून २०२१